पिछले साल अगस्त में 62 साल की एक महिला अपने हर महीने लेने वाली नींद की गोलियों का ऑनलाइन ऑर्डर देने के लिए एक वेबसाइट पर सर्फ कर रही थी। न्यूरोलॉजिकल बीमारी के कारण वह हर महीने इंटरनेट से दवाइयां मंगवाती थी। लेकिन इस बार उसकी यह आदत उसे बड़ी मुसीबत में डाल गई। ऑनलाइन दवाई मंगाने के चलते वह 77 लाख रुपये की कथित डिजिटल ठगी की शिकार बन गईं।
पुलिस ने बताया कि दो लोगों ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) के अफसर बनकर महिला से संपर्क किया और “अच्छे पुलिसवाले-बुरे पुलिसवाले” का नाटक किया। जब महिला ने यह घटना पुलिस को बताई, तो जांचकर्ताओं को उस आरोपी का पता लगाने में नौ महीने लग गए, जिसने ठगे गए पैसे का बड़ा हिस्सा अपने खाते में डलवाया था। आरोपी की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने उसके चार साथियों को भी पकड़ लिया, जिन्हें 1 जुलाई तक हिरासत में ले लिया गया था।
ठगों ने पीड़िता से कहा- सभी दवाएं भारत में प्रतिबंधित हैं
दिल्ली के वसंत कुंज की रहने वाली यह महिला सेवानिवृत्त शिक्षिका है। उसने बताया कि उसे अगस्त 2024 में एक फोन आया। कॉल करने वाले ने खुद को एनसीबी का अधिकारी बताया और दावा किया कि उसने ‘प्रतिबंधित दवाएं’ मंगवाई हैं। अकेली रहने वाली महिला घबरा गई। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, कॉलर ने कहा कि जो दवा उसने मंगवाई है वह भारत में गैरकानूनी है और एनसीबी को शक है कि वह दिल्ली में इन दवाओं की सप्लाई में शामिल है।
कॉलर ने उसे दो विकल्प दिए। या तो वह बैंक खाते की जांच के लिए एक तय राशि ट्रांसफर करे, या फिर गिरफ्तारी का सामना करे। महिला असहाय महसूस करने लगी और खुद को निर्दोष साबित करने के लिए उसने 10 सितंबर 2024 तक कई खातों में कुल मिलाकर 3 लाख रुपये भेज दिए। एक पुलिस अधिकारी ने बताया, “इसके बाद वह अगले कॉल का इंतजार करती रही, उम्मीद थी कि आरोप खत्म हो जाएंगे।”
करीब 10 दिन बाद, उसे फिर कॉल आया। इस बार कॉल करने वाला खुद को ‘अच्छा पुलिसवाला’ बता रहा था। अधिकारी ने बताया, “उस व्यक्ति ने कहा कि वह जानता है कि महिला निर्दोष है और उसे शांत रहकर एनसीबी को उसके पैसे वापस दिलाने का मौका देना चाहिए।” इसके दो दिन बाद, महिला के खाते में 20,000 रुपये वापस आए। उसे भरोसा दिलाया गया कि यह सिर्फ शुरुआत है और बाकी पैसे भी लौटाए जाएंगे। अधिकारी ने कहा, “महिला को लगा कि वह भरोसेमंद इंसान है।”
इसके बाद महिला को व्हाट्सएप पर एक वीडियो कॉल आया। अधिकारी ने बताया, “इस कॉल में चार लोग शामिल थे। उन्होंने महिला से कहा कि वह स्क्रीन शेयर करे और अपना बैंक खाता खोले ताकि सारे पैसे वापस किए जा सकें।” महिला ने ‘अच्छे पुलिसवाले’ पर भरोसा करते हुए सब निर्देश मान लिए। लेकिन यह भरोसा भारी पड़ गया। धोखेबाजों ने उसका नेटबैंकिंग पासवर्ड हासिल कर लिया। वीडियो कॉल खत्म होते ही उन्होंने कहा कि अब जांच पूरी हो चुकी है। उसी वक्त महिला के मोबाइल पर कई डेबिट मैसेज आने लगे। 5 लाख, 10 लाख रुपये जैसी रकम खाते से निकल चुकी थी। घबराकर महिला ने ‘एनसीबी अधिकारी’ को फोन किया, लेकिन उसका फोन बंद था।
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आखिरकार महिला ने एक रिश्तेदार की मदद से 26 सितंबर 2024 को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की IFSCO यूनिट में शिकायत दर्ज कराई। एसीपी मनोज कुमार और एसआई करमवीर की टीम ने जांच शुरू की। अधिकारी ने बताया, “तकनीकी सेवाओं और बैंकों की मदद से खाताधारकों के कॉल रिकॉर्ड और मोबाइल डिवाइस की जानकारी हासिल की गई। पता चला कि 48 लाख रुपये एक विशेष बैंक खाते में भेजे गए थे।” यह खाता हरियाणा के नूंह निवासी 23 वर्षीय अखिलेश के नाम पर था। पुलिस ने उसके घर छापा मारा और पाया कि वह दिल्ली में न्यायिक सेवा की तैयारी के बहाने रह रहा था। उसकी लोकेशन ट्रैक की गई और जून में पता चला कि वह मुखर्जी नगर में है।
अधिकारी ने बताया, “24 जून को अखिलेश को मुखर्जी नगर के इंदिरा विकास कॉलोनी में किराए के कमरे से पकड़ा गया। वह भागने की कोशिश कर रहा था लेकिन उसे गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में उसने बताया कि यह सारा पैसा उसे उसके साथियों अमजद, शाहिद और शकील के कहने पर मिला था।” उसने स्वीकार किया कि पीड़िता को वीडियो कॉल कर उसके मोबाइल की स्क्रीन शेयर करवाई गई, जिसके बाद पीड़िता के बैंक खाते से पैसे उसके खाते में ट्रांसफर किए गए। इसके बाद 27 जून को हरियाणा के पुन्हाना में छापा मारकर अमजद और शाहिद को पकड़ा गया। पुलिस ने बताया कि अमजद वही था जो खुद को महिला का हितैषी बताकर ‘अच्छा पुलिसवाला’ बना था।
पुलिस अधिकारी ने बताया, “अमजद ने खुलासा किया कि उसने और उसके बहनोई शाहिद ने शकील के साथ मिलकर पीड़िता को फोन किया और उसे गिरफ्तारी की धमकी दी। इसके अलावा उन्होंने चौथे आरोपी हामिद की भूमिका बताई, जो एक और फर्जी एनसीबी अधिकारी था।”
1 जुलाई को राजस्थान के डीग में हामिद के घर पर छापा पड़ा। शकील भी वहीं था। हालांकि, गांव वालों ने दोनों को बचाने की कोशिश की जिससे शकील भाग गया। बाद में पुलिस ने दोनों को पकड़ लिया। अब तक महिला को केवल 3 लाख रुपये ही वापस मिल सके हैं। पुलिस अभी भी कई बैंक खातों की निगरानी कर रही है। अधिकारियों ने बताया कि आरोपियों के पास से जब्त मोबाइल फोन में अन्य पीड़ितों के यौन शोषण से जुड़े सबूत भी मिले हैं। जांच जारी है।