Delhi Violence: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को आरोप लगाया कि दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा ‘‘राज्य प्रायोजित नरसंहार’’ थी। उन्होंने कहा कि भाजपा देशभर में ‘‘दंगों का गुजरात मॉडल’’ लागू करने की कोशिश कर रही है। तृणमूल कांग्रेस के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बनर्जी ने रविवार को शहर में हुई अमित शाह की रैली में शामिल होने के लिए जाते हुए ‘‘गोली मारो..’’ के विवादित नारे लगाने वालों की निंदा की।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं दिल्ली में मासूम लोगों की हत्या से अत्यंत दुखी हूं। मेरे विचार से यह नरसंहार था…दिल्ली में हिंसा राज्य प्रायोजित थी।’’ बनर्जी ने दावा किया कि यह संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के कारण हुआ कि दिल्ली में ‘‘इतने सारे लोग मारे गए’’। उन्होंने कहा कि ‘‘अमित शाह को यह बात अपने जहन में रखनी चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि भाजपा को दिल्ली दंगों के लिए माफी मांगनी चाहिए।
उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में हुई हिंसा को कथित तौर पर भड़काने वाले नफरती भाषणों के लिए नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के अनुरोध वाली एक याचिका पर चार मार्च को सुनवाई करने का सोमवार को निर्णय किया। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ दंगा पीड़ितों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करने को सहमत हुई।


कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने दिल्ली में हिसा के लिए रविवार को केंद्र पर निशाना साधा और कहा कि सीएए, एनपीआर तथा एनआरसी क्रमश: अलगाव, कट्टरता और अतिवाद को प्रर्दिशत करते हैं । उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़की सांप्रदायिक हिसा में कम से कम 42 लोगों की मौत हो गयी और 200 से ज्यादा लोग घायल हो गए । कांग्रेस नेता ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) लाकर राष्ट्रीय राजधानी में अशांति पैदा करने के लिए केंद्र पर दोष मढ़ा और देश के लोगों से सीएए, राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के खिलाफ एकजुट होने की अपील की। तिवारी ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘सीएए = अलगाव, एनपीआर = कट्टरता, एनआरसी = अतिवाद। इस राष्ट्र के लिए आगे उथल-पुथल भरा और दुर्भाग्यपूर्ण मार्ग है। राजग/भाजपा ने हवा का रुख भांप लिया है। देश में बवंडर मच रहा है। आइए भारत को बचाने के लिए हम सब एकजुट हो जाएं। एनपीआर-एनआरसी को ना कहें । ’’
हालात का जायजा लेने के लिए सोमवार को उत्तर पूर्वी दिल्ली के दंगा प्रभावित इलाकों का दौरा किया और स्थानीय लोगों से बातचीत की।एक अधिकारी ने कहा कि उपराज्यपाल के साथ पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी थे। वे हिंसा में सबसे बुरी तरह से प्रभावित हुए शिव विहार और करावल नगर के इलाकों में गए। पिछले हफ्ते जाफराबाद, मौजपुर, बाबरपुर, चांद बाग, शिव विहार, भजनपुरा, यमुना विहार और मुस्तफाबाद में सांप्रदायिक हिंसा हुई थी, जिसमें 42 लोगों की मौत हुई है और 200 से ज्यादा जख्मी हुए हैं।
दिल्ली में अफवाह फैलाने को लेकर दिल्ली पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी है। दिल्ली पुलिस के मुताबिक 2 मार्च को अफवाह फैलाने के मामले में 18 व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई है और संबंधित धाराओं में 2 मामले दर्ज किए गए हैं।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को आरोप लगाया कि दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा ‘‘राज्य प्रायोजित नरसंहार’’ थी। उन्होंने कहा कि भाजपा देशभर में ‘‘दंगों का गुजरात मॉडल’’ लागू करने की कोशिश कर रही है। तृणमूल कांग्रेस के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बनर्जी ने रविवार को शहर में हुई अमित शाह की रैली में शामिल होने के लिए जाते हुए ‘‘गोली मारो..’’ के विवादित नारे लगाने वालों की निंदा की।उन्होंने कहा, ‘‘मैं दिल्ली में मासूम लोगों की हत्या से अत्यंत दुखी हूं। मेरे विचार से यह नरसंहार था...दिल्ली में हिंसा राज्य प्रायोजित थी।’’ बनर्जी ने दावा किया कि यह संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के कारण हुआ कि दिल्ली में ‘‘इतने सारे लोग मारे गए’’। उन्होंने कहा कि ‘‘अमित शाह को यह बात अपने जहन में रखनी चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि भाजपा को दिल्ली दंगों के लिए माफी मांगनी चाहिए।
उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में हुई हिंसा को कथित तौर पर भड़काने वाले नफरती भाषणों के लिए नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के अनुरोध वाली एक याचिका पर चार मार्च को सुनवाई करने का सोमवार को निर्णय किया। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ दंगा पीड़ितों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करने को सहमत हुई। दंगा पीड़ितों की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोन्जाल्विस ने इस याचिका का उल्लेख तत्काल सुनवाई के लिए किया था। गोन्जाल्विस ने कहा कि हाल में हुई हिंसा के चलते लोगों के मरने की खबर आना बदस्तूर जारी रहने के बावजूद दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में दंगों से जुड़े मामलों की सुनवाई चार हफ्ते के लिए टाल दी है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को पुलिस को उत्तरपूर्वी दिल्ली में हिंसा प्रभावित लोगों के पुनर्वास एवं उपचार के लिए उठाए गए कदमों पर स्थिति रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया। मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने दिल्ली पुलिस को अदालत के 26 फरवरी के आदेश के अनुपालन में उसके द्वारा उठाए गए कदमों पर एक रिपोर्ट दायर करने के निर्देश दिए हैं। इस आदेश में पीड़ितों के पुनर्वास के लिए कुछ निर्देश जारी किए गए थे। अदालत ने मामले में अगली सुनवाई 30 अप्रैल तय की है।
पिछले हफ्ते की दिल्ली हिंसा के बाद ताजा झड़पों की खबरों के बीच रविवार शाम को दिल्ली के कुछ इलाकों में अफवाह फैलने से लोग दहशत में आग गए। दहशत के बाद दिल्ली पुलिस और खुफिया एजेंसियां शरारती तत्वों की पहचान के लिए पिछले 24 घंटों में नियंत्रण कक्ष में किए गए कॉल का विश्लेषण कर रही हैं। अकेले पश्चिमी दिल्ली में पुलिस कंट्रोल रूम (पीसीआर) में शाम 7 बजे से आधी रात के बीच पांच घंटे में में 481 पैनिक कॉल किए गए। फोन करने वाले सभी लोगों ने अपने इलाके में सांप्रदायिक हिंसा की बात कही लेकिन सभी फर्जी पाए गए।
दरअसल दिल्ली के पश्चिमी दिल्ली में सुभाष नगर, तिलक नगर, जनकपुरी और खयाला सहित कई इलाकों में हिंसा के बारे में अफवाह फैलने के बाद रविवार शाम लोगों के बीच दहशत पैदा हो गयी थी। अफवाह को लेकर दिल्ली पुलिस और आम आदमी पार्टी के नेताओं ने किसी भी घटना से इनकार किया और लोगों से शांति की अपील की।
रागेश द्वारा राज्यसभा सचिवालय को भेजे नोटिस में सोमवार को सदन की कार्यवाही स्थगित कर दिल्ली दंगों के मुद्दे पर सभापति से चर्चा कराने की मांग की गई है। उन्होंने कहा कि दिल्ली दंगों में 42 निर्दोष लोगों की जान चली गई और लगभग 200 लोग घायल हुए। इसे जनहित से जुड़ा गम्भीर विषय बताते हुए तीनों सदस्यों ने इस पर चर्चा कराने की मांग की है। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और राजद सहित अन्य दलों के सदस्यों ने भी रविवार को कहा था कि वे इस मुद्दे को संसद में जोरशोर से उठाएंगे। इसके मद्देनजर संसद के दोनों सदनों की बैठक हंगामेदार रहने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।
दिल्ली में पिछले दिनों हुए सांप्रदायिक दंगों के मुद्दे को सोमवार से शुरू हो रहे संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में विपक्षी दलों ने राज्यसभा में जोरशोर से उठाने की तैयारी कर ली है। माकपा और आप के सदस्यों ने राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू से उच्च सदन की कार्यवाही स्थगित कर दिल्ली के दंगों के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की है। इस मुद्दे पर माकपा के के.के रागेश, टीके रंगराजन और आम आदमी पार्टी (आप) के संजय सिंह ने नियम 267 के तहत कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है।
डीसीपी (पश्चिम) दीपक पुरोहित ने बताया, "पश्चिमी जिले के खयाला-रघुबीर नगर इलाके में तनाव को लेकर एक अफवाह की जानकारी मिली है। इसमें जरा भी सचाई नहीं है । सभी से शांति बनाए रखने की अपील की जाती है क्योंकि स्थिति पूरी तरह सामान्य और शांतिपूर्ण हैं।" कुछ जिलों के डीसीपी और थाना अधिकारियों ने ट्विटर से लोगों तक क्षेत्र में शंति होने और हालात सामान्य होने का संदेश पहुंचाया।
दिल्ली पुलिस पीआरओ एमएस रंधावा ने कहा, "कुछ लोगों को अफवाह फैलाने के आरोप में हिरासत में लिया गया है और उनके खिलाफ मामले दर्ज किए जा रहे हैं। अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।"
दिल्ली के शाहीनबाग इलाके में चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात है। पूरे क्षेत्र में धारा 144 लगा दी गई है। वहीं दिल्ली के कई इलाकों में अफवाहों के मद्देनजर विशेष सतर्कता बरती जा रही है।