दिल्ली में बीजेपी विधायकों की शिकायतों को अधिकारियों द्वारा नहीं सुना जा रहा है, उन पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जा रहा है। स्पीकर विजेंद्र गुप्ता की एक चिट्ठी के बाद ऐसा कहा जाने लगा है। असल में विजेंद्र गुप्ता ने चीफ सेकरेट्री धर्मेंद्र को एक चिट्ठी लिखी है, उसमें कहा गया है कि नवनिर्वाचित विधायकों के साथ हर सरकारी विभाग के अधिकारी को मौजूद रहना चाहिए।

विजेंद्र गुप्ता क्यों नाराज हुए?

विजेंद्र गुप्ता के मुताबिक ऐसी शिकायतें मिली हैं जहां पर जरूरी सरकारी विभाग के अधिकारी विधायकों के साथ मौजूद नहीं रहते हैं, कई बार जवाब नहीं देते हैं। इस बारे में स्पीकर कहते हैं कि मेरे संज्ञान में कुछ शिकायतें लाई गई हैं जहां पर विधायकों के फोन कॉल तक नहीं लिए जा रहे हैं, उनके मैसेज का जवाब नहीं दिया जा रहा है। यह एक बहुत ही गंभीर मसला है।

असल में कुछ विधायक ही स्पीकर के पास गए थे, उनकी शिकायत थी कि तमाम कोशिशों के बाद भी कई अधिकारियों से बात ही नहीं हो पाती है, उनसे मिलना भी मुश्किल रहत है। जब ऐसी शिकायतें ज्यादा आने लगीं, तब विजेंद्र गुप्ता को एक चिट्ठी लिखनी पड़ी। अब इस चिट्ठी पर आम आदमी पार्टी ने मजे लेने शुरू कर दिए हैं, उनके मुताबिक पिछले 10 सालों से आम आदमी पार्टी की सरकार भी इसी चुनौती से जूझ रही थी, तब भी अधिकारी ही विधायकों की बात नहीं मानते थे।

आम आदमी पार्टी ने क्या बोला?

इस बारे में आम आदमी पार्टी के पूर्व विधायक सौरव भारद्वाज ने कहा कि दस साल तक दिल्ली के अफसरों को सिखाया गया कि मंत्री और विधायकों की बात नहीं सुननी। विधायकों और मंत्रियों के फ़ोन नहीं उठाने, चिट्ठी का जवाब नहीं देना।बात बात पर आम आदमी पार्टी को ज्ञान देने वाले आज ख़ुद परेशान हैं। अब भाजपा की सरकार बनी तो अफसरों की मनमानी समझ आ रही है । पहले यही भाजपा इन्ही अफसरों की तरफदारी करती थी, अब उन्हें कर्तव्य सिखाया जा रहा हैं। आज भाजपा को समझ आया है कि प्रजातंत्र को कमज़ोर करने से देश और जनता का सिर्फ नुक़सान ही होता है।

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