राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने दिल्ली विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर हनी बाबू को भीमा कोरेगांव एल्गार परिषद मामले में मंगलवार को गिरफ्तार किया।
एनआईए के एक प्रवक्ता ने बताया कि 54 वर्षीय हनी बाबू मुसालियरवीट्टिल थारियाल उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले में रहते हैं और दिल्ली विश्वविद्यालय के अंग्रेजी भाषा विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हैं।
उल्लेखनीय है कि यह मामला 31 दिसंबर 2017 में पुणे के शनिवारवाडा में कबीर कला मंच द्वारा आयोजित एल्गार परिषद के कार्यक्रम में कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने से जुड़ा है। आरोप है कि इसकी वजह से जातीय वैमनस्य बढ़ा और हिंसा हुई जिसके बाद पूरे महाराष्ट्र में हुए प्रदर्शन में जानमाल की क्षति हुई। एनआईए अधिकारी ने बताया कि जांच के दौरान खुलासा हुआ कि गैर कानूनी गतिविधि (निषेध) कानून के तहत प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) के वरिष्ठ नेताओं ने एल्गार परिषद के आयोजकों और मामले में गिरफ्तार आरोपियों से संपर्क किया था ताकि माओवाद/नक्सलवाद की विचारधारा का प्रसार किया जा सके और गैरकानूनी गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जा सके।
उल्लेखनीय है कि पुणे पुलिस ने इस मामले में आरोप पत्र और पूरक आरोप पत्र क्रमश: 15 नवंबर 2018 और 21 फरवरी 2019 को दाखिल किया था।अधिकारी ने बताया कि एनआईए ने इस साल 24 जनवरी को जांच अपने हाथ में ली और 14 अप्रैल को आनंद तेलतुम्बडे और गौतम नवलखा को गिरफ्तार किया।
एनआईए अधिकारी ने बताया कि आगे की जांच में खुलासा हुआ कि हनी बाबू नक्सली गतिविधियों और माओवादी विचारधारा का प्रसार कर रहा है और गिरफ्तार अन्य आरोपियों के साथ ‘सह-साजिशकर्ता’ है।एनआईए ने बताया कि हनी बाबू को बुधवार को मुंबई में विशेष एनआईए अदालत के समक्ष पेश किया जाएगा और उससे पूछताछ करने के लिए अदालत से उसे पुलिस हिरासत में भेजने का अनुरोध किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मामले में आगे की जांच जारी है।
एनआईए ने सुधा भारद्वाज की जमानत याचिका का विरोध किया: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मंगलवार को बम्बई उच्च न्यायालय को बताया कि उसने सामाजिक कार्यकर्ता और वकील सुधा भारद्वाज द्वारा उस याचिका का ‘‘कड़ा विरोध’’ किया है, जिसमें स्वास्थ्य आधार पर अंतरिम जमानत दिये जाने का अनुरोध किया गया है। भारद्वाज एल्गार परिषद-कोरेगांव भीमा मामले में एक आरोपी है और सितम्बर 2018 से भायखला महिला जेल में बंद है। एनआईए की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल अनिल सिंह ने न्यायमूर्ति आरडी धानुका की अध्यक्षता वाली एक पीठ को बताया कि एजेंसी के पास पर्याप्त सबूत है कि भारद्वाज ने ‘‘राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में भाग लिया था’’, और इस तरह वह जमानत पर रिहा होने की हकदार नहीं हैं।’’