उत्तर भारत में भीषण गर्मी पड़ रही है। इस बीच उत्तर पश्चिमी दिल्ली के गांव मुंगेशपुर में बुधवार को 52.9 डिग्री तापमान दर्ज किया गया और फिर ये इलाका सुर्ख़ियों में अ गया। उसके बाद से दिन में मुंगेशपुर में सड़कों पर एक भी व्यक्ति नजर नहीं आ रहा है। गलियां सुनसान हैं, तालाब सूख गये हैं, खेत खाली हैं। आईएमडी ने रीडिंग के लिए या तो गलती या स्थानीय कारणों को जिम्मेदार ठहराया। गुरुवार को अधिकारियों ने कहा कि अंतिम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। यहां गर्मी ने पहले से ही पानी की कमी से जूझ रहे निवासियों की मुसीबतें और बढ़ा दी हैं। बुधवार रात बिजली कटौती ने उनकी परेशानी और बढ़ा दी।

पानी की कमी से जूझ रहे लोग

गंदी गली के बीच अपने घर के अंदर बैठे जय ​​भगवान ने द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा, ”अब एक हफ्ते से पानी की एक बूंद भी नहीं आई है। मुख्य सड़क के किनारे रहने वालों के लिए भी स्थिति बेहतर नहीं है।”

53 वर्षीय सुनीता सिंह इंडियन एक्सप्रेस को बताती हैं, “जब से उन्होंने एक हफ्ते पहले पीएनजी पाइपलाइन के लिए ड्रिलिंग का काम शुरू किया है, तब से पानी की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई है।” वहीं उनके पड़ोसी 55 वर्षीय ऋषि कुमार कहते हैं, “पानी लगभग 2 घंटे के लिए आता है लेकिन कोई दबाव नहीं है।” निवासियों का कहना है कि उन्हें जो भी थोड़ी बहुत आपूर्ति मिलती है, वह कुछ घरों में लगी पानी की मोटरों द्वारा सोख ली जाती है।

दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी रविंदर कुमार ने कहा, “अब एक महीने से पानी की आपूर्ति 2-2.5 घंटे से घटाकर केवल 20-30 मिनट कर दी गई है। सड़क से नीचे रहने वाले लोगों के लिए स्थिति बहुत खराब है।” इस बीच 20 वर्षीय उज्जवल झांजर ने कहा, ”हमें दो हफ्ते के बाद आज पहली बार पानी की आपूर्ति मिली।”

एक अन्य निवासी जीत कौर का कहना है कि पिछली रात गर्मी के कारण रात 11 बजे बिजली का ट्रांसफार्मर फटने के बाद गांव में बिजली गुल हो गई थी। उन्होंने कहा कि पत्ता भी नहीं हिल रहा था, पसीने में भीगे भीगे रात गुजरी और अगले दिन सुबह 11 बजे बिजली बहाल हुई।

पाइपलाइन भी नहीं है ठीक

पानी की आपूर्ति में असमानता को समझाते हुए एक 55 वर्षीय महिला ने कहा कि क्षेत्र में दो पाइपलाइन हैं जिनमें से केवल नई पाइपलाइन से सीमित मात्रा में पानी मिल रहा है। वह आगे कहती हैं, “जिन गलियों में पुरानी पाइपलाइन है, वहां 10-15 दिनों से पानी नहीं आ रहा है। पानी की कमी का असर मवेशियों पर भी पड़ा है। गायों और भैंसों को औसत व्यक्ति की तुलना में बहुत अधिक पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन पर्याप्त आपूर्ति नहीं होने के कारण वे बार-बार बीमार पड़ रही हैं।”