दिल्ली विश्वविद्यालय का उत्तरी परिसर भी कोरोना की चपेट में आ गया है। यहां के सेंट स्टीफेंस कॉलेज के 13 विद्यार्थी, डीन और एक सुरक्षा अधिकारी के कोविड-19 से संक्रमित होने के बाद परिसर के भीतरी क्षेत्र को बंद कर दिया गया है। कॉलेज के प्रधानाचार्य की ओर से जारी एक नोटिस में कहा गया है कि सभी निवासियों के लिए एकांतवास और सामाजिक दूरी सुनिश्चित करने के लिए डीन कार्यालय की ओर से जरूरी व सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। कॉलेज की गवर्निंग बॉडी की सदस्य ने मामले में कॉलेज प्रबंधन से सफाई मांगी है और हालात बदतर होने वाले कारणों को उजागर करने को कहा है।
आवास-सह-कॉलेज के डीन और सार्वजनिक प्रबंधक (सुरक्षा अधिकारी) में कोरोना विषाणु की पुष्टि हुई है। ये दोनों छात्रावास में रहने वाले छात्रों व अन्य छात्रों के एक समूह को मार्च के आखिरी हफ्ते में हिमाचल प्रदेश के डलहौजी में शैक्षणिक दौरे पर ले गए थे। जानकारी के मुताबिक, कॉलेज के भीतरी हिस्से को सभी के लिए बंद कर दिया गया है। केवल प्रधानाचार्य से अनुमति मिलने पर ही वहां जाने की इजाजत होगी। प्रासंगिक और नियमित कार्य करने वाले उचित प्रक्रिया और सुरक्षा उपायों का पालन करते हुए कॉलेज के बाहरी हिस्से में आ-जा सकते हैं। स्थिति में सुधार की अधिसूचना मिलने तक संकाय के सदस्य कॉलेज आना टाल सकते हैं।
सेंट स्टीफेंस कॉलेज के गवर्निंग बॉडी की सदस्य नंदिता नारायण ने कॉलेज के प्रधानाचार्य जॉन वर्गीज को पत्र लिखकर छात्रों के कोविड-19 से संक्रमित होने और डलहौजी दौरे से संबंधित रिपोर्ट को लेकर कई सवाल किए।
पत्र में उन्होंने यह भी पूछा कि क्या कॉलेज प्रशासन ने इस दौरे और छात्रावास खोलने तथा 200 से अधिक छात्रों को पिछले कुछ महीनों में वापस आने की इजाजत देने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय और राज्य सरकार से अनुमति ली थी।
नारायण ने पूछा कि कोविड-19 महामारी के समय में कॉलेज के अधिकारियों ने इस दौरे का आयोजन क्यों किया? क्या इस दौरे को प्रधानाचार्य ने मंजूरी दी थी? क्या इसके लिए छात्रों के अभिभावकों की रजामंदी ली गयी थी? क्या महामारी के ऐसे समय में इस दौरे के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय और राज्य सरकार से अनुमति ली गयी थी? नारायण के मुताबिक,अपने जवाब में वर्गीज ने छात्रों और कर्मचारियोंं की जांच रिपोर्ट की पुष्टि करने के अलावा कहा कि जिस दौरे को लेकर सवाल किया जा रहा है, उसकी अनुमति उन्होंने दी थी और इसके लिए छात्रों के अभिभावकों से मंजूरी भी ली गई थी।