Delhi Riots: दिल्ली दंगों के दौरान शाहरुख पठान को पिस्तौल मुहैया कराने वाले शख्स को दिल्ली की एक अदालत ने बरी कर दिया। कोर्ट का कहना था कि किसी ने भी आरोपी को पिस्तौल देते नहीं देखा। पुलिस कह रही है कि दोनों ने अपना गुनाह खुद कबूल किया है। लेकिन इस तरह का कबूलनामा कानूनन सही नहीं माना जा सकता। पुलिस ने और साक्ष्य जो एकत्र किए हैं वो भी आरोपी को कसूरवार ठहराने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।
पुलिस के मुताबिक 6 दिसंबर 2019 को दिल्ली दंगों के दौरान आरोपी बाबू वसीम ने शाहरुख पठान को पिस्तौल और कारतूस दिए थे। शाहरुख ने पुलिस के हवलदार पर फायरिंग कर उसकी जान लेने की कोशिश की। वसीम के खिलाफ पुलिस ने 25 आर्म्स एक्ट के तहत केस दर्ज किया था। एडिशनल सेशन जज अमिताभ रावत की कोर्ट ने उसे इस मामले से बरी कर दिया लेकिन पुलिस से बचने के मामले में उसके खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने का आदेश सुनाया गया। वसीम ने पुलिस से बचने के लिए कई जगहों को अपना ठिकाना बनाया था। आखिर में बीते साल 13 अप्रैल को वो पुलिस के हत्थे चढ़ा।
दिल्ली दंगे के दौरान हवलदार की तरफ पिस्तौल ताने शाहरुख की फोटो खासी वायरल हुई थी। जाफराबाद थाने में उसके खिलाफ केस दर्ज किया गया था। उसके खिलाफ 25 आर्म्स एक्ट के अलावा दंगे भड़काने और सरकारी कर्मी की ड्यूटी में बाधा डालने का आरोप था। पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक 6 दिसंबर 2019 की रात में शाहरुख ने वसीम को कई बार फोन किए। आखिर में दोनों की लोकेशन एक ही जगह पर मिली।
एडिशनल सेशन जज अमिताभ रावत ने कहा कि दोनों एक जगह पर थे। दोनों के बीच चार बार बात भी हुई। लेकिन रिकॉर्ड पर ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है जिससे यह कहा जा सके कि वसीम ने शाहरुख को पिस्तौल मुहैया कराई थी। पुलिस का कहना है कि वसीम ने अपने बयान में माना है कि उसने ही पिस्तौल पठान को दी थी। लेकिन कोर्ट को लगता है कि इकबालिया बयान कानूनन सही नहीं है। पुलिस की थ्यौरी कल्पना पर आधारित है।