दिल्ली के पहले अंबेडकर नगर से मूलचंद केबस रैपिड ट्रांजिट(बीआरटी) कॉरिडोर खत्म करने के दिल्ली सरकार के फैसले पर हैरानी जताते हुए पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर काम करने वाली एक संस्था ने इसे गलत कदम बताया है जिससे शहर में प्रदूषण नियंत्रण प्रयासों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।

सेंटर फोर साइंस एंड इन्वायरनमेंट (सीएसई) ने कहा कि दिल्ली सरकार का फैसला ‘कार लॉबी’ के लिए है और बस कॉरिडोर को खत्म कर सड़क से बसों की जगह वापस लिया जाना ‘अफसोसजनक’ है।

सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमिता राय चौधरी ने कहा कि यह एक गलत कदम है और ऐसे समय में इससे एक गलत संदेश जाता है, जब शहर श्वास संबंधी दिक्कतों का सामना कर रहा और हर तीसरे बच्चे के फेफड़े इससे प्रभावित हो रहे हैं।चौधरी ने कहा कि सीएसई चिंतित है कि प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन को लेकर चुनौतियों का सामना कर रही दुनिया में साफ हवा और बृहद स्तर पर लोगों की यातायात रणनीति के समाधान के खिलाफ दिल्ली सरकार के कदम ने ‘संदेह’ पैदा किया है।

उन्होंने कहा कि यह प्रतिगामी कदम तब उठाया गया है जब दिल्ली के ताजा आर्थिक सर्वेक्षण ने दिल्ली में बस परिवहन आवाजाही में गिरावट का खुलासा हुआ है। बस ट्रिप कम होने से निजी वाहन और प्रदूषण बढेंगे और स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं गहराएंगी।उन्होंने कहा कि राईट्स का आकलन है कि मेट्रो रेल परियोजना के पूर्ण होने के बाद भी 2021 में मेट्रो की आवाजाही का हिस्सा 20 फीसद होगा। सार्वजनिक परिवहन सेवाओं का बड़ा हिस्सा बस आधारित होगा और बीआरटी सार्वजनिक परिवहन यातायात की बड़ी जरूरतों को पूरा करेगी।