दिल्ली-एनसीआर में जहरीले धुएं की मोटी परत से छाई हुई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, दिल्ली के ज्यादातर इलाकों का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 450 के पार है जो गंभीर श्रेणी में आता है। सीएक्यूएम ने दिल्ली-एनसीआर में GRAP-IV के तहत पाबंदियां लागू कर दी हैं। इस बीच प्रदूषण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों को वर्चुअली अदालत में पेश होने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को एक परिपत्र जारी कर वकीलों और वादियों को मौजूदा मौसम की स्थिति का हवाला देते हुए वर्चुअल रूप से पेश होने की सलाह दी। दिल्ली की वायु गुणवत्ता के गंभीर प्लस श्रेणी में पहुंचने के एक दिन बाद सर्वोच्च न्यायालय ने यह आदेश दिया।
परिपत्र में कहा गया है, “मौजूदा मौसम की स्थिति को देखते हुए, भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश ने बार के सदस्यों/स्वयं उपस्थित होने वाले पक्षकारों को सलाह दी है कि अगर सुविधाजनक हो तो वे माननीय न्यायालयों के समक्ष सूचीबद्ध अपने मामलों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा के माध्यम से हाइब्रिड मोड में उपस्थित होने का लाभ उठाएं।”
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प्रदूषण स्थायी नुकसान पहुंचाएगा- सुप्रीम कोर्ट
इससे पहले 13 नवंबर को राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ते वायु प्रदूषण के स्तर पर चिंता व्यक्त करते हुए, सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा ने वकीलों को वर्चुअल सुनवाई में शामिल होने के लिए कहा था। उन्होंने कहा था, “यह प्रदूषण स्थायी नुकसान पहुंचाएगा। आप सब यहां क्यों उपस्थित हो रहे हैं? कृपया वर्चुअल सुनवाई की सुविधा का लाभ उठाएं।” जब वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिबल ने न्यायाधीश को बताया कि वकील मास्क का इस्तेमाल कर रहे हैं तो न्यायमूर्ति नरसिम्हा ने टिप्पणी की कि वे भी पर्याप्त नहीं हैं।
सुप्रीम कोर्ट में फिलहाल वकीलों के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा उपलब्ध है। हालांकि, यह जानकारी मिली है कि सभी अदालतों में एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए एक अलग परिपत्र जारी करने की आवश्यकता महसूस की गई। 10 दिन के शीतकालीन अवकाश से पहले सर्वोच्च न्यायालय के कार्य करने का यह अंतिम सप्ताह है।
दिल्ली -एनसीआर में GRAP IV लागू
शनिवार को, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की ग्रैप पर गठित उप-समिति ने दिल्ली -एनसीआर में चरण IV (गंभीर+) प्रतिबंध लागू कर दिए। वायु गुणवत्ता सूचकांक 450 के पार पहुँचने के कारण यह कदम उठाया गया है। आपातकालीन उपायों के तहत, स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर स्कूलों में क्लास VI से IX और कक्षा XI के छात्रों के लिए फिजिकल क्लासेज बंद करने और उन्हें ऑनलाइन या हाइब्रिड मोड में चलाने का निर्णय ले सकते हैं। इसके अलावा, सभी निजी और दिल्ली सरकार के कार्यालयों को 50 प्रतिशत कर्मचारियों के साथ काम करना अनिवार्य है, शेष कर्मचारी घर से काम करेंगे।
सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि कुछ न्यायाधीशों का मानना था कि चूंकि ग्रैप के चौथे चरण में कार्यस्थलों पर कामकाज में 50 प्रतिशत की कमी अनिवार्य है इसलिए सर्वोच्च न्यायालय को भी इस प्रथा को अपनाना चाहिए। यह भी पता चला है कि अदालत ने 20 दिसंबर से शुरू होने वाली शीतकालीन अवकाश तक पार्किंग में 200-300 कम कारों की संभावना पर विचार किया। पढ़ें- दिल्ली में ग्रैप-4 लागू होने के बाद क्या-क्या पाबंदियां
