देश की राजधानी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर से सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि इससे हम दुनिया को क्या संदेश दे रहे हैं।
शीर्ष अदालत की विशेष पीठ ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हवा की गुणवत्ता और खराब हो सकती है। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और सूर्य कांत की पीठ ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि जब समस्या आती है, तभी प्रदूषण नियंत्रण के उपायों को लागू किया जाता है। पूर्वानुमान पर सरकार काम नहीं करती है। यह याचिका दिल्ली के 17 वर्षीय छात्र आदित्य दुबे ने दायर की है।
सुनवाई के दौरान जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि यह राष्ट्रीय राजधानी का हाल है। कल्पना कीजिए हम दुनिया को क्या संदेश दे रहे हैं। शीर्ष अदालत ने केंद्र और राज्यों को कुछ और दिनों के लिए प्रदूषण रोकने के उपायों को जारी रखने का निर्देश दिया है। पीठ ने कहा- “इस बीच, अगर प्रदूषण का स्तर 100 तक कम हो जाता है, तो कुछ प्रतिबंध हटाए जा सकते हैं”।
कोर्ट इस मामले में 29 नवंबर को फिर से सुनवाई करेगी। पराली जलाने के मुद्दे पर सीजेआई रमना ने सवाल किया कि संकट से निपटने के लिए नौकरशाही ने अब तक क्या किया है। पीठ ने कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि भले ही प्रदूषण का स्तर नीचे चला जाए, हम इस मामले की सुनवाई और निर्देश जारी रखेंगे। केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अभी तत्काल करने वाले उपायों के बारे में बताया गया है, हमारे पास दीर्घकालिक योजनाएं भी हैं।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए सीनियर वकील विकास सिंह ने मीडिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा कि आगामी चुनावों के कारण पंजाब में पराली जलाने के लिए किसानों पर जुर्माना नहीं लगाया जा रहा है। इस पर सीजेआई रमना ने कहा- “हम चिंतित नहीं हैं। हम केवल प्रदूषण से चिंतित हैं”।
पराली के मुद्दे पर कोर्ट ने कहा कि क्या इस पर कोई अध्ययन किया गया है कि पंजाब, हरियाणा और यूपी में कितनी पराली हटाई गई है? यह एक बड़ी समस्या होने जा रही है। आप पराली जलाने के मुद्दे से कैसे निपटेंगे? हम इस मुद्दे पर चर्चा करने में हमारे सामान्य ज्ञान का उपयोग कर रहे हैं। नौकरशाही क्या कर रही है? सचिवों को कुछ तय करने दें … वे खेतों में जाकर किसानों, वैज्ञानिकों से बात क्यों नहीं कर सकते और स्थायी समाधान क्यों नहीं निकाल सकते?
बता दें कि बुधवार को भी दिल्ली में हवा की गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) बुलेटिन के अनुसार मंगलवार को भी हवा ‘खराब’ श्रेणी में ही थी। इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट से प्रदूषण पर सुनवाई के दौरान केंद्र और दिल्ली सरकार दोनों को फटकार लग चुकी है। तब शीर्ष अदालत ने इसे तुरंत कम करने के उपायों पर जवाब मांगा था।