देश की राजधानी दिल्ली में एक ऐसे गैंग का खुलासा हुआ है जो किडनी निकालने और बेचने का काला कारोबार कर रहा था। बता दें कि दिल्ली के हौज खास इलाके से इस कारोबार को चलाया जाता था। सोशल मीडिया के जरिए चलाए जा रहे हैं इस रैकेट में हौज खास थाना पुलिस ने एक डॉक्टर समेत 10 लोगों को गिरफ्तार किया है।
पुलिस का कहना है कि किडनी रैकेट में शामिल लोगों ने फर्जी नाम से कई फेसबुक पेज बनाए थे। इसके जरिए वे किडनी बेचने व खरीदने वालों तक संपर्क करते थे और उन्हें दिल्ली आने के लिए कहते थे। इस गैंग का शिकार हुए असम के गुवाहाटी में मोमोज बेचने वाले 32 साल के दिवाकर सरकार ने पुलिस को बताया कि लॉकडाउन के दौरान उसे बड़ा नुकसान हुआ और वह अपनी मोमो की दुकान को फिर से शुरू नहीं कर सका था।
उसने बताया कि वह अपने घर में अकेला कमाने वाला था और उसपर अपनी पत्नी और अपने दो बच्चों और अपने भाई के देखभाल की जिम्मेदारी थी। दिवाकर ने कहा कि किडनी गिरोह में शामिल लोगों ने मुझसे संपर्क कर मुझे दिल्ली बुलाया। यहां तक कि रैकेट चलाने वालों ने मेरी फ्लाइट टिकट के लिए भी पैसे दिये। दिवाकर ने कहा कि वह 14-15 मई को दिल्ली आया और उसे दरियागंज के एक होटल में ठहराया गया।
दिवाकर ने बताया कि मेरे कई टेस्ट हुए और फिर मुझे किडनी देने के लिए चुना गया। उसने बताया कि आरोपियों ने उसे 2-3 लाख रुपये देने का वादा किया। बता दें कि किडनी रैकेट चलाने वाले दिवाकर की किडनी निकालते, इससे पहले पुलिस समय पर पहुंच गई। पुलिस ने जानकारी दी कि दिल्ली के पश्चिम विहार इलाके में एक फ्लैट में छापेमारी कर पुलिस 3 लोगों को सकुशल मुक्त कराया गया।
गुजरात के रघु को बनाया निशाना: इसी तरह गुजरात के कच्छ में आर्थिक तंगी से जूझ रहे 21 साल के रघु का संपर्क किडनी रैकेट में शामिल एक व्यक्ति से हुआ। जिसने उसे 3 लाख रुपये में अपनी किडनी दान करने के लिए कहा। लेकिन रघु ने उसे मना कर दिया। इसके बाद आरोपी ने अपने कुछ और साथियों से रघु की बात करवाई। जिसके बाद रघु किडनी बेचने के लिए राजी हो गया।
आरोपियों ने रघु को उसकी आर्थिक हालत को ठीक करने के लिए लालच दिया। उन्होंने रघु से कहा कि अपने जीवन को बचाने और पैसा कमाने का यह एक शानदार मौका है। आरोपी किडनी देने वालों से कहते कि किडनी बेचकर किसी की जान बचाना और पैसे कमाना तो महान काम है।
ऐसे बनाते थे अपना निशाना: रैकेट चलाने वालों ने रघु की तरह कई लोगों को अपना निशाना बनाया। इनमें ज्यादातर गरीब और बेघर हैं। आरोपी आर्थिक तंगी से जूझ रहे लोगों से संपर्क कर उन्हें पैसे का लालच देकर उनका ब्रेन वॉश करते थे। जिसके बाद उन्हें दिल्ली बुलाते थे। यह गिरोह फेसबुक और इंस्टाग्राम पर भी फर्जी नाम से अकाउंट बनाकर किडनी बेचने का गोरखधंधा चला रहा था। आरोपी 20 से 30 साल के लोगों को अपने निशाने पर रखते थे।
पुलिस ने कहा कि जांच से पता चला है कि गिरफ्तार किए गए लोगों में से एक, 37 साल के सोनू रोहिल्ला ने गोहाना में अपने दो मंजिला घर को एक ‘अस्पताल’ बनाया था। जहां वो कथित तौर पर इस तरह के काम को अंजाम देता था। पुलिस ने कहा कि दसवीं कक्षा से ड्रॉपआउट सोनू रोहिल्ला मुख्य आरोपी कुलदीप रे से मिलने और अस्पताल खोलने से पहले रोहतक के अस्पतालों में ओटी टेक्नीशियन के रूप में काम करता था।
पुलिस ने बताया कि कुलदीप रे ने इसके पहले राजस्थान में भी किडनी गिरोह के साथ काम किया था। वहीं से उसने इस व्यापार को सीखा और अपना खुद का गिरोह शुरू किया। बता दें कि इस काम को दिल्ली के हौज खास से चलाया जाता था। इसमें आरोपी किडनी देने वाले को 3 लाख रुपये देते थे वहीं किडनी लेने के बाद इसे 30 लाख तक रुपये तक बेचते थे।
साउथ दिल्ली की डीसीपी बेनिता मेरी जयकर ने जानकारी दी कि जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उनमें कुलदीप रे विश्वकर्मा उर्फ केडी, सर्वजीत जैलवाल, बिकास उर्फ विकास, रंजीत गुप्ता, शैलेश पटेल, मोहम्मद लतीफ, डॉक्टर सोनू रोहिल्ला, डॉक्टर सौरभ मित्तल, ओम प्रकाश शर्मा और मनोज तिवारी शामिल हैं।