दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सांसद राहुल गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को जीएनसीटीडी संशोधन विधेयक पर उनका साथ देने के लिए आभार जताया। उन्होंने पत्र में लिखा, “मैं जीएनसीटीडी (संशोधन) विधेयक 2023 को खारिज करने और उसके खिलाफ मतदान करने में आप और आपकी पार्टी के समर्थन के लिए दिल्ली के 2 करोड़ लोगों की ओर से आभार व्यक्त करते हुए आपको लिख रहा हूं।”

पत्र में उन्होंने यह भी लिखा, “मैं संसद के अंदर और बाहर दिल्ली के लोगों के अधिकारों की वकालत करने के लिए हार्दिक सराहना करना चाहता हूं। मुझे यकीन है कि हमारे संविधान के सिद्धांतों के प्रति आपकी अटूट निष्ठा दशकों तक याद रखी जाएगी।”

संसद के दोनों सदनों से पास हो चुका है GNCTD Bill

इससे पहले सोमवार (6 अगस्त 2023) को संसद में लंबी बहस के बाद राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र सरकार (Government of the National Capital Territory of Delhi) संशोधन विधेयक 2023 पारित हो गया। और इसी के साथ दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार और उपराज्यपाल के बीच नए सिरे से टकराव का मंच तैयार हो गया है। राज्यसभा ने 102 के मुकाबले 131 मतों से ‘दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन संशोधन विधेयक 2023’ को मंजूरी मिली थी।

लोकसभा में यह पिछले गुरुवार को पारित हो चुका था। गृह मंत्री अमित शाह ने यह विवादास्पद विधेयक संसद में पेश किया और कहा कि इस विधेयक का मकसद राष्ट्रीय राजधानी के लोगों के हितों की रक्षा करना है। यह विधेयक दिल्ली में समूह-ए के अधिकारियों के स्थानांतरण एवं पदस्थापना के लिए एक प्राधिकार के गठन के लिहाज से लागू अध्यादेश का स्थान लेगा।

बहरहाल, इस मामले पर अब भी तलवार लटकी है क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली में शासन पर संसद की शक्तियों का अध्ययन करने के लिए पिछले महीने एक संविधान पीठ गठित की थी जिसने अभी तक अपना फैसला नहीं दिया है। राज्यसभा में यह विधेयक पारित होने के तुरंत बाद, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह भारत के लोकतंत्र के लिए “काला दिन” है और उन्होंने भाजपा नीत केंद्र सरकार पर पिछले दरवाजे से सत्ता “हथियाने” की कोशिश करने का आरोप लगाया।

एक ओर केंद्र तथा उपराज्यपाल तथा दूसरी ओर दिल्ली में निर्वाचित ‘आप’ सरकार के बीच सत्ता संघर्ष की जड़ 21 मई 2015 को गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक अधिसूचना है। इसमें उपराज्यपाल को नौकरशाहों के तबादले तथा तैनातियों से जुड़े दिल्ली सरकार के ‘‘सेवा’’ मामलों पर निर्णय लेने का अधिकार दिया गया था।

यह अधिसूचना केजरीवाल के 14 फरवरी 2015 को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के करीब दो महीने बाद जारी की गई थी, जिसे आम आदमी पार्टी की सरकार ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी। तब से पिछले आठ साल से उपराज्यपाल कार्यालय तथा ‘AAP’ सरकार के बीच शिक्षकों के प्रशिक्षण, निशुल्क योग कक्षाएं देने, डीईआरसी चेयरमैन की नियुक्ति, मुख्यमंत्री तथा मंत्रियों की विदेश यात्राओं, सरकार द्वारा भर्ती किए गए 400 से अधिक विशेषज्ञों को हटाने तथा मोहल्ला क्लिनिक के वित्त पोषण समेत कई मुद्दों पर टकराव जारी है। विशेषज्ञों का कहना है कि गृह मंत्रालय की अधिसूचना से पहले दिल्ली के ‘‘सेवा’’ विभाग पर नियंत्रण ‘‘अस्पष्ट’’ था।