Delhi News: जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में मुख्य प्रॉक्टर कार्यालय ने नियमावली में बदलाव किया था। इसके तहत शैक्षणिक या प्रशासनिक भवनों के 100 मीटर के भीतर प्रदर्शन के लिए 20,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इसके अलावा नियमों का उल्लंघन करने वाले छात्रों का निष्कासन किया जा सकता है। नए नियमों के लागू होने के बाद तब से अब तक छात्रों के खिलाफ शुरू की गई अनुशासनात्मक या प्रॉक्टोरल जांच की संख्या 2023 में सिर्फ पांच से बढ़कर पिछले साल 97 और इस साल जुलाई तक 40 हो गई है।
ध्यान वाली बात यह है कि पिछले वर्ष यह उछाल उस समय आया जब जेएनयू में चार वर्ष के अंतराल के बाद छात्र संघ का गठन हुआ। नियमों के अनुसार, बिना अनुमति के फ्रेशर्स पार्टी, विदाई या जन्मदिन समारोह आयोजित करने पर भी 6,000 रुपये का जुर्माना या “अनिवार्य सामुदायिक सेवा” का प्रावधान है। बता दें कि 2023 में इन नियमों में बड़ा बदलाव किया गया है।
नियमों को लेकर छात्रों ने बोला हमला
इसको लेकर छात्र नेताओं ने आरोप लगाया है कि यह मैनुअल डराने-धमकाने का एक ज़रिया बन गया है। इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए, जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने कहा कि जब छात्र यौन उत्पीड़न या परिसर में पानी की समस्या के खिलाफ प्रदर्शन करते हैं, तो उनसे प्रॉक्टर द्वारा पूछताछ और जुर्माना वसूला जाता है। जब छात्र संघ ने मार्च में डीन ऑफ स्टूडेंट्स के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था, तो कम से कम 30 छात्रों से पूछताछ की गई थी।
उन्होंने कहा कि अगर किसी छात्र पर पांच गुना जुर्माना लगाया जाता है तो उसे निष्कासित कर दिया जाएगा। हमसे अपील करने को कहा जाता है लेकिन कुछ नहीं बदलता, कोई जांच रद्द नहीं होती। उन्होंने आगे कहा कि असहमति की संस्कृति पर हमला किया जा रहा है और राजनीतिक रूप से सक्रिय छात्रों पर जुर्माना लगाया जा रहा है ताकि वे छात्र संघ चुनावों में भाग न लें।
यह भी पढ़ें- अफगानिस्तान में भूकंप से 800 से ज्यादा लोगों की मौत और 2500 घायल
छात्रों द्वारा दायर अपील खारिज
इसको लेकर इंडियन एक्सप्रेस ने पहले बताया था कि किसी भी प्राक्टरियल जांच को पलटा या रद्द नहीं किया गया है। हालांकि लगाए गए जुर्माने या दंड के खिलाफ व्यक्तिगत छात्रों द्वारा दायर अपीलों को खारिज कर दिया गया है/जुर्माना माफ कर दिया गया है/जुर्माना कम कर दिया गया है। मुख्य प्रॉक्टर एन. जनार्दन राजू, कुलपति पंडित और विश्वविद्यालय के मीडिया संबंध कार्यालय को बार-बार किए गए कॉल, ईमेल और संदेशों का कोई जवाब नहीं मिला।
यह भी पढ़ें: वोट चोरी के ‘एटम बम’ के बाद ‘हाइड्रोजन बम’ आने वाला है, पीएम मोदी लोगों को अपना चेहरा नहीं दिखा पाएंगे- राहुल गांधी
अदालतों तक जा चुका है मामला
इस वर्ष की शुरुआत में, 5 अप्रैल को, दो यूनियन पदाधिकारियों – अध्यक्ष धनंजय और महासचिव प्रियांशी आर्य को यौन उत्पीड़न के विरोध में विरोध प्रदर्शन के दौरान उत्तरी गेट को कथित रूप से बाधित करने के लिए बुलाया गया था। इसको लेकर अदालतों ने भी हस्तक्षेप किया और पिछले अप्रैल में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने पीएचडी छात्रा अंकिता सिंह के निष्कासन पर रोक लगा दी थी जिन्होंने कहा था कि उन्हें बिना किसी पूछताछ या जवाब देने का अवसर दिए निष्कासित कर दिया गया था।
अदालत ने कहा कि यह जेएनयू द्वारा छात्रों को निष्कासित करके बलपूर्वक और दंडात्मक कार्रवाई करने का पहला मामला नहीं है, जो अपने ही कानूनों का पूर्ण उल्लंघन है और प्राकृतिक न्याय तथा निष्पक्षता के सिद्धांतों की पूरी तरह अवहेलना है।” सिंह को “तुरंत पुनः प्रवेश” देने का आदेश दिया गया।
डेंटिस्ट के पास गए पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, आज शाम अभय चौटाला के फार्महाउस में शिफ्ट होंगे