Delhi New CM Atishi: आम आदमी पार्टी की विधायक और दिल्ली की मंत्री आतिशी को पार्टी ने मंगलवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का उत्तराधिकारी चुना है। आतिशी इस पद पर पहुंचने वाली वह सबसे कम उम्र की महिला बन गई हैं। आतिशी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की तीसरी और आजादी के बाद भारत के किसी राज्य या केंद्रशासित प्रदेश की 17वीं महिला मुख्यमंत्री बनेंगी। आइए जानतें है कि आतिशी से पहले किस-किस महिला ने भारत में सीएम की कुर्सी संभाली है।

सुचेता कृपलानी (UP)

भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री और राज्य की चौथी मुख्यमंत्री कृपलानी 55 साल की थीं। उन्होंने 1963 में चन्द्र भानु गुप्ता की जगह पर उत्तर प्रदेश की कमान संभाली थी। वह कांग्रेस के दिग्गज नेता जेबी कृपलानी की पत्नी थीं और जब कांग्रेस ने उन्हें सीएम चुना था, तब वह गुप्ता मंत्रिमंडल में मंत्री थीं। वह तीन साल से ज्यादा समय तक इस पद पर रहीं।

नंदिनी सत्पथी (Odisha)

नंदिनी सत्पथी राज्यसभा सदस्य और केंद्रीय मंत्री थीं। इसके बाद 1972 में वह ओडिशा की राजनीति में लौटीं। उस समय बीजू पटनायक समेत कई बड़े नेता कांग्रेस छोड़ चुके थे। वह 41 साल की उम्र में राज्य की पहली महिला सीएम बनीं। उन्होंने चार साल से ज्यादा यह कुर्सी संभाली। बाद में वह कांग्रेस पार्टी से अलग हो गईं और इमरजेंसी के बाद 1977 के चुनावों में जगजीवन राम की कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी का हिस्सा बनीं और ढेंकेनाल विधानसभा सीट जीतीं।

शशिकला काकोडकर (Goa, Daman and Diu)

शशिकला काकोडकर 1972 में अपने पिता दयानंद बंदोदकर के नेतृत्व वाली महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी सरकार में मंत्री के तौर पर काम किया और अपने पिता की मृत्यु के बाद 1973 में 38 साल की उम्र में राज्य की पहली सीएम बनीं। 1977 में काकोदकर ने दूसरी बार मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली।

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अनवरा तैमूर (Assam)

आजादी के बाद राज्य की एकमात्र महिला और मुस्लिम मुख्यमंत्री थी। तैमूर ने दिसंबर 1980 में 44 साल की उम्र में पदभार संभाला। राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद उनका छह महीने का कार्यकाल खत्म हो गया था। सीएम के तौर पर अपने कार्यकाल के बाद वह 1983 और 1985 के बीच राज्य मंत्रिमंडल में मंत्री के तौर पर काम करती रहीं। वह चार बार विधायक रहीं और राज्यसभा की सदस्य भी रहीं।

वीएन जानकी (Tamilnadu )

एआईएडीएमके के संस्थापक और अपने पति एमजी रामचंद्रन के पार्टी मामलों को संभालने के दौरान जानकी राजनीतिक तौर पर बिल्कुल भी सक्रिय नहीं रहीं थी और 1987 में उनकी मृत्यु के बाद 65 साल की उम्र में जानकी ने सीएम का पदभार संभाला। वह महज 24 दिनों के लिए ही सीएम रहीं थी। यह तमिलनाडु के इतिहास में सबसे कम समय का कार्यकाल था।

जे जयललिता (Tamilnadu)

एआईएडीएमके की दिग्गज नेता ने पहली बार 1989 में विधानसभा चुनाव जीता था। तमिलनाडु विधानसभा में विपक्ष के नेता के तौर पर भी काम किया। दो साल बाद 41 साल की उम्र में सीएम की कुर्सी संभाली। यह राज्य की कमान संभालने वाली सबसे कम उम्र की शख्स बनीं। 1996 में जयललिता पूरा कार्यकाल पूरा करने वाली राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। वह 1991 से 2016 के बीच पांच बार मुख्यमंत्री बनीं और पद पर रहते हुए ही उनका निधन हो गया।

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मायावती (Uttar Pradesh)

कांशीराम की उत्तराधिकारी मायावती पहली बार 1995 में 39 साल की उम्र में सीएम बनीं। वह चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं। 1995 से 1997 के बीच उनके पहले तीन कार्यकाल में उन्होंने सपा और बीजेपी जैसी बड़ी पार्टियों के साथ में अलायंस किया। वह अपना कार्यकाल भी पूरा नहीं कर पाईं। हालांकि, मायावती ने 2007 के विधानसभा चुनावों में बहुजन समाज पार्टी को बहुमत दिलाया और मुख्यमंत्री के रूप में अपना कार्यकाल पूरा किया। वह पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाली पहली यूपी सीएम हैं और योगी आदित्यनाथ के बाद राज्य की दूसरी सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाली सीएम हैं।

राजिंदर कौर भट्टल (Punjab)

नवंबर 1996 में 51 साल की उम्र में भट्टल हरचरण सिंह बराड़ के बाद पंजाब की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। राज्य के शीर्ष पद पर उनका कार्यकाल केवल तीन महीने तक चला। 1997 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार हुई थी। वह पंजाब कांग्रेस की अध्यक्ष और कांग्रेस विधायक दल की नेता भी रहीं। 2004 में भट्टल को अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली कैबिनेट में उपमुख्यमंत्री बनाया गया।

राबड़ी देवी (Bihar)

रबड़ी देवी 1997 में 42 साल की उम्र में बिहार की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला था। यह कदम जब उठाया गया था जब उनके पति और राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया लालू प्रसाद को चारा घोटाले में नाम आने के बाद इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा था। वह 1997 से 2005 के बीच तीन बार सीएम रहीं। वह तीन बार विधायक रह चुकी हैं, लेकिन 2010 में वह दोनों सीटें राघोपुर और सोनपुर हार गईं। उन्होंने 2014 का लोकसभा चुनाव भी सारण से लड़ा था, लेकिन बीजेपी के राजीव प्रताप रूडी से हार गईं।

सुषमा स्वराज (Delhi)

1998 में 46 साल की उम्र में दिल्ली की मुख्यमंत्री का पद संभालने से पहले स्वराज हरियाणा में मंत्री, राज्यसभा और लोकसभा में सांसद और केंद्रीय मंत्रिमंडल में मंत्री के तौर पर काम कर चुकी थीं। मुख्यमंत्री के तौर पर उनका कार्यकाल महज 52 दिनों तक चला, लेकिन उन्होंने 2000 से अलग-अलग बीजेपी सरकारों में त्री के तौर पर काम किया। 2009 से 2014 तक लोकसभा में विपक्ष की नेता रहीं। वह पहले नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में विदेश मंत्री थीं और अगस्त 2019 में उनका निधन हो गया।

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शीला दीक्षित (Delhi)

देश में सबसे लंबे समय तक 15 सालों तक सीएम रहने वाली महिला शीला दीक्षित थीं। वह पहली बार दिसंबर 1998 में 60 साल की उम्र में दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं और 2013 तक इस पद पर रहीं। मार्च 2014 में कांग्रेस द्वारा दिल्ली विधानसभा चुनाव हारने के बाद उन्हें केरल का राज्यपाल नियुक्त किया गया, लेकिन उन्होंने इस्तीफा दे दिया और पूर्वी दिल्ली से 2014 के संसदीय चुनावों में कामयाब नहीं हुईं। दिल्ली की सीएम बनने से पहले दीक्षित लोकसभा सदस्य के साथ-साथ राजीव गांधी के केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी रह चुकी थीं।

उमा भारती (Madhya Pradesh)

उमा भारती 44 साल की उम्र में 2003 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को जीत दिलाने के बाद मुख्यमंत्री बनीं। उनका कार्यकाल आठ महीने तक ही रहा। 1994 के हुबली दंगों के सिलसिले में उनका नाम आने के बाद उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा था। अपने इस्तीफे के बाद उन्होंने 2004 में भारतीय जनशक्ति पार्टी बनाई और 2011 में बीजेपी में फिर से शामिल हो गईं। वह नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में केंद्रीय मंत्री थीं और 2019 में उन्हें लोकसभा का टिकट नहीं दिया गया था। भारती को पार्टी में लगभग दरकिनार कर दिया गया है।

वसुंधरा राजे (Rajastha)

वसुंधरा राजे कई बार विधायक और सांसद रह चुकीं और बीजेपी में कई संगठनात्मक पदों पर रह चुकीं हैं। वसुंधरा राजे पहली बार 2003 में 50 साल की उम्र में राजस्थान की मुख्यमंत्री बनीं। ग्वालियर में सिंधिया राजघराने में जन्मी, वे दो बार राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। पिछले साल विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत के बाद वे मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे थीं, लेकिन पहली बार विधायक बने भजन लाल शर्मा ने उन्हें पीछे छोड़ दिया।

ममता बनर्जी (West Bengal)

ममता बनर्जी 2011 में पहली बार मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने से पहले लोकसभा सांसद और केंद्रीय कैबिनेट मंत्री भी रह चुकी थीं। उस समय 56 साल की उम्र में उन्होंने पश्चिम बंगाल में वाम दलों के तीन दशक से ज्यादा के शासन को खत्म कर दिया था। तब से वह राज्य की कमान संभाल रही हैं। 1997 में कांग्रेस से अलग होने के बाद बनर्जी ने मुकुल रॉय के साथ तृणमूल कांग्रेस पार्टी बनाई और बाद में बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस के नेतृत्व वाले केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी रहीं।

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आनंदीबेन पटेल (Gujarat)

73 साल की उम्र में आनंदीबेन पटेल 2014 में गुजरात की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। अगस्त 2016 में उन्होंने यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि वह कुछ महीनों में 75 साल की हो जाएंगी और उनकी जगह विजय रूपाणी को नियुक्त किया गया। वह राज्यसभा की सदस्य रह चुकी हैं और कई बार विधायक रह चुकी हैं। 2018 में उन्हें मध्य प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया और इस समय वह उत्तर प्रदेश की राज्यपाल हैं।

महबूबा मुफ्ती (Jammu-Kashmir)

महबूबा मुफ्ती 2016 में 57 साल की उम्र में अपने पिता और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) के संस्थापक मुफ्ती मोहम्मद सईद की मृत्यु के बाद तत्कालीन राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। सीएम बनने से पहले, वह विधायक और सांसद के तौर पर चुनी गईं थी। उन्होंने पीपुल्स अलायंस फॉर गुप्कर डिक्लेरेशन की उपाध्यक्ष के तौर पर भी काम किया था।