Delhi CAG Report on Mohalla Clinic: दिल्ली की राजनीति में इस समय सबसे ज्यादा चर्चा CAG रिपोर्ट की हो रही है, रेखा सरकार की तरफ से विधानसभा सत्र के दौरान कुल 14 फाइलें पेश की गई हैं। वहां भी राजधानी की स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर कई हैरान कर देने वाले दावे हुए हैं। CAG की रिपोर्ट से पता चलता है कि आम आदमी पार्टी की सरकार के दौरान कई अस्पतालों में ICU बेड नहीं थे, एंबुलेंस की संख्या भी काफी कम, इसके ऊपर मोहल्ला क्लीनिक में शौचालय गायब रहे।
CAG रिपोर्ट में अस्पतालों को लेकर क्या?
CAG रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली में 14 ऐसे अस्पताल हैं जहां अभी तक ICU बेड नहीं है, 12 ऐसे अस्पताल सामने आए हैं जहां एंबुलेंस की कोई सुविधा नहीं. इसके ऊपर कई ऐसे मोहल्ला क्लीनिक पाए गए जहां कोई शौचालय ही नहीं है। भारत सरकार से कोविड के दौरान जो फंड मिले थे, उसे लेकर भी CAG ने बड़ा दावा किया है। रिपोर्ट में पाया गया है कि उस पैसे को पूरी तरह इस्तेमाल ही नहीं किया गया।
क्या केजरीवाल सरकार नहीं इस्तेमाल किए केंद्र के पैसे?
वो आंकड़े कहते हैं कि केंद्र से दिल्ली की आप सरकार को 787.91 करोड़ रुपये की राशि मिली थी। लेकिन आप सरकार मात्र 582.84 करोड़ रुपये ही खर्च कर पाएगी, यानी कि काफी पैसा इस्तेमाल ही नहीं हुआ। यह मायने इसलिए रखता है क्योंकि दिल्ली में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान काफी तबाही देखने को मिली थी, तब अरविंद केजरीवाल की तरफ से मोदी सरकार पर गंभीर आरोप भी लगे थे।
समय रहते नहीं हुई भर्ती, वेतन भी नहीं मिला
बड़ी बात यह है कि दिल्ली में अभी भी स्वास्थ्य कर्मियों की भर्ती और उनका वेतन विवाद का विषय है, हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में भी इसे बड़ा मुद्दा बनाया गया था। अब इस मामले में जो सीएजी की रिपोर्ट सामने आई है, उसमें भी चौंकाने वाली बात सामने आई है। वहां भी आप सरकार को वेतन देने के लिए 52 करोड़ रुपये मिले थे, लेकिन वहां 30.52 करोड़ रुपये खर्च ही नहीं किए गए। यानी कि समय रहते ना वेतन मिला और ना ही स्वास्थ्य कर्मियों की भर्ती हो पाई। इसका भी सबसे ज्यादा खामियाजा कोरोना काल के दौरान ही देखने को मिला जब स्टाफ की भारी कमी देखी गई।
अस्पतालों में बेड की भारी कमी
सीएजी का एक और आंकड़ा कहता है कि 2016-17 और 2020-21 तक 32 हजार नए बेड अस्पताल में जोडने का लक्ष्य था, लेकिन केजरीवाल सरकार सिर्फ 1357 नए बेड लगवा पाई, यानी कि तय लक्ष्य का सिर्फ 4.24 फीसदी हिस्सा ही पूरा हो पाया। यह सारे वो आंकड़े हैं जो पिछली सरकार के कामकाज पर गंभीर सवाल उठाते हैं और इसी बात को बीजेपी अब पुरजोर तरीके से उठा रही है। वैसे दिक्कत सिर्फ कम बेड या अस्तपाल की नहीं है, डॉक्टरों की कमी भी कई सालों से दिल्ली को परेशान कर रही है।
स्टाफ की भारी कमी, चूक गई AAP?
सीएजी के मुताबिक नर्सिंग स्टाफ की 21% और पैरामेडिकल स्टाफ की 38% कमी देखने को मिली है। राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल और जनकपुरी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में डॉक्टरों की 50-74% कमी दर्ज की गई। बात अगर मोहल्ला क्लीनिक की करें तो वहां भी आंकड़े आम आदमी पार्टी को राहत नहीं देते हैं। असल में 21 मोहल्ला क्लीनिक में कोई शौचालय नहीं था, 15 में बिजली बैकअप की कोई सुविधा नहीं दिखी, 6 ऐसे क्लीनिक भी सामने आए जहां डॉक्टरों के लिए छोटी टेबल तक नहीं रखी थी। 12 मोहल्ला क्लीनिक में दिव्यांगों की सुविधा का ध्यान नहीं रखा गया। वैसे CAG की रिपोर्ट में और कई खुलासे हुए हैं, जनसत्ता के पास वो सारी जानकारी है, यहां पढ़ें