Jammu and Kashmir Issue Latest News Updates: राज्यसभा ने सोमवार को अनुच्छेद 370 की अधिकतर धाराओं को खत्म कर जम्मू कश्मीर और लद्दाख को दो केन्द्र शासित क्षेत्र बनाने संबंधी सरकार के दो संकल्पों को मंजूरी दे दी। गृह मंत्री अमित शाह ने इस अनुच्छेद के कारण राज्य में विकास नहीं होने और आतंकवाद पनपने का दावा किया। साथ ही आश्वासन दिया कि जम्मू कश्मीर को केन्द्र शासित क्षेत्र बनाने का कदम स्थायी नहीं है तथा स्थिति समान्य होने पर राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा।
उच्च सदन में कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों के भारी हंगामे के बीच गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश किए गये दो संकल्पों एवं जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक को चर्चा के बाद मंजूरी दी गयी। साथ ही सदन ने जम्मू कश्मीर आरक्षण (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019 को भी मंजूरी दी। इनको पारित किये जाने के समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी सदन में मौजूद थे।
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प्रधानमंत्री मोदी ने शाह की पीठ थपथपाते हुए उन्हें बधाई दी और गृह मंत्री शाह ने हाथ जोड़कर उनका आभार जताया। बाद में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गृह मंत्री शाह द्वारा सदन में दिये गए भाषण की सराहना करते हुए उसे ”व्यापक और सारगर्भित” बताया। सरकार के दोनों संकल्पों के एवं पुनर्गठन विधेयक के प्रावधानों के तहत जम्मू कश्मीर विधायिका वाला केन्द्र शासित क्षेत्र बनेगा जबकि लद्दाख बिना विधायिका वाला केन्द्र शासित क्षेत्र होगा। इन दोनों संकल्पों को साहसिक और जोखिमभरा माना जा रहा है।
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अडाणी समूह के चेयरमैन गौतम अडाणी ने कहा, ‘‘देश ने आज जो कुछ देखा है इससे यदि जम्मू-कश्मीर में विकास और शांति का रास्ता खुल जाता है तो यह वास्तव में ऐतिहासिक होगा।।’’ अडाणी ने ट्वीट किया कि इससे न केवल कश्मीरी लोग सशक्त होंगे बल्कि भारत भी ताकतवर बनेगा। दिग्गज कारोबारी सज्जन जिंदल ने भी सरकार के कदम का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि इस कदम से राज्य को मुख्यधारा से जोड़ने में मदद मिलेगी। ंिजदल ने अनुच्छेद 370 को "काफी पुराना" करार देते हुए इसे कश्मीरियों के खिलाफ बताया।
भाजपा सांसद विजय गोयल ने सोमवार को कहा कि अनुच्छेद 370 को खत्म करना एक बहुत ही साहसिक निर्णय है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘‘भारत का एक और शिवाजी महाराज’’ करार दिया तथा कहा कि वह आतंकवाद और भ्रष्टाचार के खिलाफ निरंतर लड़ाई लड़ रहे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संवैधानिक प्रावधान को रद्द करने का निर्णय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी को एक ‘‘वास्तविक श्रद्धांजलि’’ है। गोयल ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी भारत के एक और शिवाजी महाराज हैं। जिस तरह शिवाजी ने बुरी शक्तियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी, उसी तरह मोदी भी आतंकवाद और भ्रष्टाचार के खिलाफ निरंतर लड़ाई लड़ रहे हैं।’’
देश के प्रमुख उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर आफ कामर्स एण्ड इंडस्ट्री के अध्यक्ष राजीव तलवार ने कहा, ‘‘बिल्कुल, इसके (अनुच्छेद 370 के) हटने से जम्मू कश्मीर में बड़ी मात्रा में निवेश का रास्ता खुलेगा।’’ भाजपा ने आम चुनाव के समय इसे अपने घोषणापत्र में शामिल किया था। इसलिये इसे देश के बहुमत का समर्थन प्राप्त है। उन्होंने कहा कि सरकार का यह कदम जम्मू और कश्मीर के लोगों के विकास के लिये अच्छा कदम है।
मौजूदा समय में सिर्फ दिल्ली और पुडुचेरी में विधानसभा हैं। अब जम्मू कश्मीर भी विधानसभा वाला तीसरा केन्द्र शासित क्षेत्र हो जायेगा। विधानसभा वाले संघ शासित क्षेत्र में केन्द्र के प्रतिनिधि के रूप में राज्यपाल की जगह उपराज्यपाल होता है। संघ शासित क्षेत्रों से संसद के दोनों सदनों के लिये भी सदस्य चुने जाते हैं। यह बात दीगर है कि इनकी संख्या हर राज्य में अलग अलग होती है। संसद सदस्यों की संख्या के लिहाज से दिल्ली अव्वल है। संसद में दिल्ली का प्रतिनिधित्व सात लोकसभा और तीन राज्यसभा सदस्य करते है।
देश के उद्योगपतियों ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के नरेन्द्र मोदी सरकार के फैसले का स्वागत करते हुये इसे एतिहासिक कदम बताया और कहा कि इसके हटने से न केवल राज्य के लोगों का सशक्तिकरण होगा बल्कि देश भी मजबूत होगा। उद्योग जगत ने कहा है कि अनुच्छेद 370 को हटाने के साथ ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने अपने एक अहम् चुनावी वादे को पूरा कर दिया है। इसे बहुमत का समर्थन प्राप्त है। सरकार के इस कदम से राज्य में बड़े पैमाने पर निवेश आर्किषत होगा।
भारतीय अमेरिकी लोगों ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त करने पर बधाई दी। भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 को समाप्त करते हुए राज्य को दो केंद्र शासित क्षेत्रों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांटने के लिए एक अलग विधेयक भी पेश किया। अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देता है और कई अधिकारों सहित इसे अपना झंडा और संविधान रखने की मंजूरी देता है। भारत सरकार के इस कदम की प्रशंसा करते हुए अमेरिका की फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज (एफआईआईडीएस) ने कहा कि अस्थायी संवैधानिक प्रावधान ने घाटी में अस्थायी तौर पर हिंसा को जन्म दिया और जम्मू-कश्मीर की समृद्धि को रोक दिया। इस संस्था ने उम्मीद जताई है कि जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में शांति लेकर आएगा।
विदेश कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘‘भारत सरकार द्वारा उठाये गये किसी भी एकतरफा कदम से न तो इस क्षेत्र का दर्जा बदल सकता है और न ही जम्मू-कश्मीर और पाकिस्तान के लोगों को यह स्वीकार्य होगा।’’ उसने कहा कि पाकिस्तान इसकी कड़ी निंदा करता है और जम्मू-कश्मीर के संबंध में भारत सरकार की घोषणाओं को खारिज करता है। बयान में कहा गया है, ‘‘इस अंतरराष्ट्रीय विवाद में एक पक्षकार के रूप में पाकिस्तान सभी संभावित विकल्पों का इस्तेमाल करेगा।’’ इसमें कहा गया है कि पाकिस्तान कश्मीर के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए अपने राजनीतिक, कूटनीतिक और नैतिक समर्थन की फिर से पुष्टि करता है।
पाकिस्तानी विदेश कार्यालय ने भारतीय उच्चायुक्त अजय बिसारिया को सोमवार को विदेश कार्यालय में तलब किया और जम्मू कश्मीर पर भारत सरकार के कदम को लेकर सख्त ऐतराज जताया। पाक विदेश कार्यालय ने एक बयान में कहा कि बिसारिया को विदेश सचिव सोहैल महमूद ने तलब किया। बयान में कहा गया है, ‘‘विदेश कार्यालय ने इन अवैध कार्यों को पाकिस्तान द्वारा स्पष्ट रूप से खारिज किये जाने से अवगत कराया क्योंकि ये अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के कई प्रस्तावों का उल्लंघन करते हैं।’’ इससे पहले, पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने कहा कि जम्मू कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवादित क्षेत्र माना गया है।
पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 खत्म करने के भारत सरकार के कदम की सोमवार को आलोचना की। उसने भारत के ‘‘अवैध’’ और ‘‘एकतरफा’’ कदम के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में अपील करने समेत सभी संभावित विकल्पों का इस्तेमाल करने का भी संकल्प लिया। भारत के इस कदम का उद्देश्य कश्मीर में दशकों से चले आ रहे अलगावादी आंदोलन को खत्म करना बताया जा रहा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म करने संबंधी कदम को ‘‘अवैध’’ करार दिया और कहा कि यह परमाणु हथियारों से लैस दो पड़ोसी देशों के बीच संबंधों को और अधिक बिगाड़ेगा।
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने और राज्य को दो केंद्रशासित हिस्सों में बांटे जाने के बाद नियंत्रण रेखा पर सेना को हाई अलर्ट पर रखा गया है, जिससे कि पाकिस्तान के किसी भी संभावित दुस्साहस का जवाब दिया जा सके। आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को कहा कि जम्मू कश्मीर में तैनात शीर्ष सैन्य कमांडर राज्य में समूची सुरक्षा स्थिति पर नजर रखे हुए हैं जिससे कि किसी भी तरह की गड़बड़ी से निपटा जा सके।
सूत्रों ने कहा कि केंद्र सरकार के साहसिक फैसलों के बाद पाकिस्तान कश्मीर घाटी में गड़बड़ी पैदा करने की कोशिश कर सकता है और आईईडी विस्फोटों तथा फिदायीन हमलों सहित हिंसा में बढ़ोतरी हो सकती है। सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘सुरक्षाबल किसी भी स्थिति से निपटने को पूरी तरह तैयार हैं। हम स्थिति को हाथ से बाहर नहीं जाने देंगे।’’
जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के संबंध में केंद्र सरकार के निर्णय का जहां छत्तीसगढ़ की सरकार ने विरोध किया है वहीं राज्य के विपक्षी दलों ने स्वागत किया है। जम्मू-कश्मीर को लेकर केंद्र सरकार द्वारा लिए गए फैसले का राज्य की कांग्रेस सरकार ने विरोध किया है। यहां की भूपेश बघेल सरकार के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने इस फैसले को ‘‘संघीय ढांचे पर कुठाराघात’’ कहा और इसे वापस लेने की मांग की।
सिंहदेव ने आज यहां संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कहा कि केंद्र सरकार द्वारा धारा 370 के संबंध में लिया गया निर्णय अत्यंत दूरगामी परिणाम वाला तथा देश की व्यवस्था को बुनियादी रूप से प्रभावित कर देने वाला निर्णय साबित हो सकता है। इस निर्णय में केंद्र सरकार ने संसद में बहुमत के माध्यम से संघीय व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया है।
कुछ देर पहले गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर से जुड़े अनुच्छेद 370 पर सोमवार को राज्यसभा में कहा कि इस अनुच्छेद के कारण घाटीवासियों का काफी नुकसान हुआ है, पर आज जम्मू-कश्मीर में रक्तपात के युग का अंत हो गया है। दरअसल, शाह सदन में उस दौरान कुछ सदस्यों की शंकाओं पर जवाब दे रहे थे। पीएम नरेंद्र मोदी भी उस समय सदन में उपस्थित थे।
शाह ने आगे कहा- अनुच्छेद 370 से लोकतंत्र को नुकसान हुआ। साथ ही जम्मू-कश्मीर को भी बड़ी हानि हुई। वह इससे न तो प्रफ्फुलित हुआ और न ही वहां का उससे विकास हुआ। पर अब हम यह कह सकते हैं कि वहां अब नए युग की शुरुआत हुई है।
लद्दाख से भाजपा के लोकसभा सदस्य जामयांग सेंरिग नामग्याल ने अनुच्छेद 370 के तहत विशेष राज्य के दर्जे को समाप्त करने के केंद्र सरकार के निर्णय की सराहना की। उन्होंने सोमवार को कहा कि इससे इलाके में विकास का मार्ग प्रशस्त होगा और सीमा क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत होगी। नामग्याल ने संवाददाताओं से कहा कि आज के दोनों निर्णय देश के हित में हैं और इससे जम्मू और लद्दाख क्षेत्र के विकास में मदद मिलेगी तथा प्रदेश को दो परिवारों के शासन से छुटकारा मिलेगा ।
भाजपा सांसद ने कहा कि यह आम कश्मीरियों के भी हित में है। नामग्याल ने कहा कि यह फैसला जम्मू कश्मीर के सम्पूर्ण विकास के लिये जरूरी था और यह राष्ट्र हित में है जो सीमा क्षेत्रों की सुरक्षा को मजबूत बनाएगा। उन्होंने कहा कि लद्दाख के लोग 1948 के बाद से ही केंद्र शासित प्रदेश के दर्जे की मांग कर रहे थे क्योंकि वे कश्मीर केंद्रित नेताओं के कारण भेदभाव का शिकार हो रहे थे।
चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि अनुच्छेद 370 से जम्मू कश्मीर के ‘‘तीन सियासतदानों के परिवारों’’ के अलावा किसी अन्य का फायदा नहीं हुआ है। इसी अनुच्छेद से राज्य में आतंकवाद पनपा और बढ़ा। जम्मू कश्मीर को केन्द्र शासित क्षेत्र बनाने का कदम स्थाई नहीं है और हालात समान्य होने पर राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा। हालांकि, विपक्ष ने राज्य का दर्जा खत्म किए जाने के कदम का काफी विरोध किया था।
राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, "हम धर्म की राजनीति में यकीन नहीं रखते। वोटबैंक राजनीति क्या होती है? क्या सिर्फ कश्मीर में मुसलमान रहते हैं? आप क्या कहना चाहेंगे? मुस्लिम, हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध सभी यहां रहते हैं। अगर अनुच्छेद 370 अच्छा है तो सभी के लिए है और अगर बुरा है, तब यह सभी के लिए बुरा है।
गृह मंत्री ने आगे कहा- कश्मीर स्वर्ग था, है और रहेगा। यह हमेशा केंद्र शासित प्रदेश नहीं रहेगा। आजादी के बाद बहुत सारे राज्य बने हैं। ऐसे ही पांच सालों में कश्मीर में बहुत बदलाव आएगा। अनुच्छेद खतरनाक था, लिहाजा उसे हटाना बेहद जरूरी था।
शाह ने अपने भाषण के दौरान कहा- जवाहर लाल नेहरू (तत्कालीन पीएम) ने भी कहा था कि '370 घिसते-घिसते घिस जाएगी', पर इसे इतने जतन से संभालकर रखा। 70 साल हो गए, यह घिसी नहीं। हर कोई इसे अस्थाई प्रावधान के तौर पर स्वीकारता है, पर क्या अस्थाई प्रावधान 70 साल तक जारी रखा जा सकता है? ये कब और कैसे जाएगा?
गृह मंत्री अमित शाह ने साफ किया है कि जम्मू-कश्मीर के बारे में विशेष प्रावधान करने वाले अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी घोषित करने के लिए संविधान में संशोधन की कानूनी बाध्यता नहीं है। सोमवार को उन्होंने जम्मू-कश्मीर से जुड़े अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी घोषित करने से जुड़े संकल्प को संसद के उच्च सदन राज्यसभा में पेश किया। शाह ने इस दौरान बताया कि इस प्रावधान को राष्ट्रपति की महज एक अधिसूचना से संशोधित किया जा सकता है।
सपा के रामगोपाल यादव ने सदन में व्यवस्था का प्रश्न उठाया और पूछा कि संविधान के किसी प्रावधान में किसी तरह का संशोधन करने के लिए संविधान संशोधन करना अनिवार्य है। उन्होंने गृह मंत्री से पूछा कि ऐसे में सरकार ने संविधान संशोधन विधेयक के बिना अनुच्छेद 370 को हटाने का संकल्प कैसे प्रस्तुत किया? गृह मंत्री ने इसके जवाब में सदन को बताया कि अनुच्छेद 370 के खंड तीन में राष्ट्रपति को एक अधिसूचना के द्वारा अनुच्छेद 370 को खत्म करने का अधिकार देने का प्रावधान है।
मोदी सरकार के इस ऐतिहासिक फैसले के कारण जम्मू-कश्मीर के पास अब राज्य का दर्जा नहीं रहेगा। मोदी सरकार ने जम्मू और कश्मीर अनुच्छेद 370 के प्रावधान खत्म कर लद्दाख को अलग करने का निर्णय लिया है। अब जम्मू और कश्मीर व लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश होंगे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करने का संकल्प पेश किया। शाह ने सदन में जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन बिल, 2019 भी पेश किया। शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 अस्थायी था। ऐसे में मोदी सरकार ने इसे हटाकर एक ऐतिहासिक फैसला किया है।
जम्मू-कश्मीर मसले पर भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने खुशी जाहिर की है। उन्होंने कहा है कि अनुच्छेद 370 खत्म होने पर वह बेहद खुश हैं और यह देश के लिए एक ऐतिहासिक निर्णय है। देश की अखंडता और एकता इससे और मजबूत होगी।
केंद्र ने जम्मू-कश्मीर से संबंधित फैसलों के बाद सुरक्षा के किसी भी उल्लंघन को रोकने के वास्ते राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों से बोला है कि वे सुरक्षा बलों को ‘‘अधिकतम सतर्क’’ रहने को कहें। गृह मंत्रालय ने सोमवार को जारी एक परिपत्र में कहा, ‘‘जैसा कि आप जानते हैं, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने समग्र राष्ट्रीय हित में और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए जम्मू-कश्मीर से संबंधित आज कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। यह आवश्यक है कि असामाजिक तत्वों को देश के किसी भी हिस्से में सुरक्षा, शांति और जन सद्भाव के माहौल को खराब करने की अनुमति नहीं दी जाये।’’
सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को सुरक्षा व्यवस्था के किसी भी उल्लंघन को रोकने के लिए सुरक्षा बलों को ‘‘अधिकतम सतर्क’’ रहने का निर्देश जारी करने को कहा गया है। आगे कहा गया है, ‘‘यह अनुरोध किया जाता है कि देश के सभी हिस्सों में शांति और सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाये जा सकते हैं और सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जा सकता है।’’
भाजपा की जम्मू कश्मीर इकाई ने संविधान के अनुच्छेद 370 पर सरकार के ‘‘ऐतिहासिक’’ फैसले का सोमवार को स्वागत किया। भाजपा अध्यक्ष रवींद्र रैना ने कहा कि अपनी जाति, पंथ और धर्म की परवाह किये बगैर जम्मू कश्मीर के लोग प्रधानमंत्री के साथ हैं। रैना ने कहा, ‘‘जम्मू कश्मीर के लिये यह एक ऐतिहासिक क्षण है... राज्य की समूची जनता उनके दर्द को कम करने के लिये उनकी (मोदी की) शुक्रगुजार रहेगी।’’
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधान खत्म किए जाने के लेकर केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत किया है। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि मोदी सरकार का जम्मू और कश्मीर के संबंध में लिया गया निर्णय साहसपूर्ण है।
भाजपा की अगुवाई वाले सत्तारूढ़ राजग के प्रमुख घटक दल जनता दल (यू) ने जम्मू कश्मीर से संबंधित संविधान के अनुच्देद 370 को हटाये जाने के बारे में सरकार के सोमवार को राज्यसभा में पेश किये गये संकल्प और राज्य पुनर्गठन विधेयक 2019 का विरोध किया। जदयू के सदस्य रामनाथ ठाकुर ने कहा कि उनकी पार्टी समान नागरिक संहिता और धारा 370 के मुद्दे को अदालत के फैसले या सभी पक्षों के बीच सहमति से हुये समझौते से निकाले जाने के पक्ष में है।
जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के फैसले का एनडीए की प्रमुख सहयोगी शिवसेना ने स्वागत किया है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि आज भारत सही मायनों में स्वतंत्र हुआ है।
भाजपा महासचिव राम माधव ने जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म करने पर प्रतिक्रिया व्यक्त की। माधव ने कहा कि अंतत: जम्मू-कश्मीर को भारत में पूर्ण रूप से शामिल किए जाने की श्यामा प्रसाद मुखर्जी समेत हजारों शहीदों की इच्छाओं का सम्मान हुआ
भले ही अनुच्छेद 370 अस्थाई नहीं है, फिर भी इसे खत्म किया जा सकता है। राष्ट्रपति के आदेश से और जम्मू-कश्मीर संविधान सभा की सहमति से इसेे खत्म किया जा सकता है। गृह मंत्री अमित शाह का कहना है कि जम्मू-कश्मीर संविधान सभा 26 जनवरी, 1957 को भंग हो चुकी है और अभी राज्य में गवर्नर रूल है, इसलिए राष्ट्रपति का आदेश ही इसे खत्म करने के लिए काफी है। पढ़ें Article 370 की पूरी डिटेल
केंद्र सरकार की तरफ से अनुच्छेद 370 के खंड 1 को छोड़कर सभी प्रावधान खत्म करने के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्रशासित बनने का रास्ता साफ हो गया है। दोनों जगह अपने-अपने उप राज्यपाल होंगे। कारगिल लद्दाख का हिस्सा होगा।
जम्मू-कश्मीर में अर्ध सैनिक बलों की तैनाती जारी रहेगी। सरकार की तरफ से अर्द्धसैनिक बलों को भेजा जा रहा है। केंद्र सरकार ने सीआरपीएफ के 8000 जवानों को भेज रही है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बनाने की मांग बहुत पुरानी थी। लद्दाख में कोई विधानसभा नहीं होगी। लद्दाख जम्मू और कश्मीर के साथ अलग होकर केंद्रशासित प्रदेश बनेगा। लद्दाख जम्मू और कश्मीर का एक बहुत बड़ा हिस्सा है।
सरकार की तरफ से अनुच्छेद 370 खत्म करने संबंधी संकल्प पेश होने के बाद जम्मू-कश्मीर को मिला विशेषाधिकार अब खत्म हो गया है। अब केंद्र सरकार राज्य का पुनर्गठन कर सकती है।
बिल पर चर्चा के दौरान भाजपा सांसद भूपेंद्र यादव ने कहा कि कांग्रेस ने कभी इस देश की एकता के लिए काम नहीं किया। उन्होंने कहा कि विपक्ष का विरोध सिर्फ राजनीतिक है।
बहुजन समाज पार्टी ने सरकार की तरफ जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधयेक, 2019 का समर्थन किया। बसपा की तरफ से सांसद सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि वह सरकार के इस प्रस्ताव का स्वागत करते हैं।
राज्यसभा में बिल पेश करते हुए अमित शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 अस्थायी था। इसे एक न एक दिन हटना ही था। उन्होंने कहा कि इस अनुच्छेद को हटाने में एक सेकंड की भी देरी नहीं होगी।
जम्मू-कश्मीर में लागू अनुच्छेद 370 को खत्म करने संबंधी संकल्प पेश करने के बाद पीएम मोदी राष्ट्र को संबोधित करेंगे। सरकार की तरफ से जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल, 2019 पेश किया गया।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सरकार की तरफ से जम्मू-कश्मीर के संबंध जो बिल लाया गया है वो ऐतिहासिक है। इससे पहले गुलाम नबी आजाद ने कहा था अनुच्छेद 370 ऐतिहासिक है इसे खत्म नहीं किया जाना चाहिए।
केंद्र सरकार की तरफ से राज्यसभा में अनुच्छेद 370 खत्म करने के संकल्प के बाद जम्मू-कश्मीर के राजनेताओं की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार के इस फैसले को लोकतंत्र का काला दिन बताया है। महबूबा ने कहा कि 370 को हटाना असंवैधानिक है।
केंद्र सरकार की तरफ से पेश बिल के अनुसार जम्मू-कश्मीर अब राज्य नहीं रहेगा। जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश होगा।
केंद्र सरकार की तरफ से लद्दाख को जम्मू और कश्मीर से अलग कर दिया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार लद्दाख अब केंद्रशासित प्रदेश होगा।