Delhi Liquor Scam Case: शराब नीति घोटाला मामले में पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। ट्रायल हाई कोर्ट द्वारा जमानत देने से इनकार करने के फैसले पर सवाल उठाते हुए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया। ट्रायल कोर्ट ने सीबीआई ईडी मामलों में जमानत याचिका खारिज कर दी थी।

दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के वकील ने दिल्ली के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के सामने इस मामले को रखा और कहा कि आवेदक विधानसभा का सदस्य है। अभी चुनाव का मौसम चल रहा है। दिल्ली HC के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इसे आने दीजिए और जजों को फाइल पढ़ने दीजिए। अगर आपके कागजात 12.30 बजे तक ठीक होंगे तो वह कल तक हमारे पास होंगे।

ट्रायल कोर्ट से दूसरी बार खारिज हुई याचिका

दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में 30 अप्रैल को हुई सुनवाई के दौरान कथित शराब घोटाला मामले में आप नेता की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था। यह दूसरी बार था जब उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया। बता दें कि कुछ समय पहले ही केस में सिसोदिया की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट में जज कावेरी बावेजा के सामने सुनवाई के दौरान सीबीआई की तरफ से कहा गया था कि सिसोदिया ही घोटाले के किंगपिन हैं। इनको जमानत देने से यह अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके सबूतों और गवाहों पर असर डाल सकते हैं।

क्या था शराब घोटाला

आखिर ये शराब घोटाला क्या था, जिसकी वजह से आप के बड़े-बड़े नेता सलाखों के पीछे पहुंच गए। तो बताते है कि 17 नवंबर 2021 को राजधानी दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार ने नई शराब नीति को लागू कर दिया था। इस नई नीति के तहत दिल्ली को कुल 32 जोन में बांटा गया और कहा गया कि आप हर जोन में 27 शराब की दुकानें खोल सकते हैं। अगर इसी आंकड़े के हिसाब से टोटल किया जाए तो पूरी दिल्ली में 849 शराब की दुकानें खुलनी थीं।

एक बड़ा बदलाव ये होने वाला था कि जो भी शराब की दुकाने खुलनी थीं, वो निजी सेक्टर की थीं। इसमें सरकार का किसी भी तरह का कोई भी हस्तक्षेप नहीं था। आसान भाषा में बताए तों जिस शराब करोबार में पहले सरकारी की हिस्सेदारी रहती थी, नई नीति के तहत उसे ही समाप्त कर दिया गया और प्राइवेट हिस्सेदारी को बढ़ा दिया गया। इस नीति के लागू होने के बाद आम आदमी पार्टी पर कई सारे सवाल खड़े किए।

इसके बाद सरकार ने नई नीति को वापस ले लिया। वहीं, एलजी ने इस मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की। एक के बाद एक कड़ी जुड़ती चली गई और आप के नेता फंसते चले गए। ईडी ने दावा किया कि केजरीवाल को नई शराब नीति में हुए बदलाव की जानकारी थी। के कविता ने अन्य लोगों के साथ मिलकर दिल्ली शराब नीति में फायदा पाने के लिए अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया समेत आम आदमी पार्टी के बड़े नेताओं के साथ साजिश रची और इससे आप के नेताओं को 100 करोड़ रुपये का लाभ हुआ।