Manish Sisodia Bail: डेढ़ साल के बाद दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया तिहाड़ जेल से बाहर आ गए हैं। आम आदमी पार्टी को लगे झटके बाद यह बूस्टर की तरह है। इस हफ्ते की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार को बड़ा झटका दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली नगर निगम में 10 एल्डरमैन नामित करने के एलजी के फैसले को मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह की जरुरत नहीं है।

दिल्ली हाई कोर्ट ने भी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को अवैध ठहराने से इनकार करते हुए उन्हें अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया। अब उन्हें फिर से ट्रायल कोर्ट में जाना होगा। यहीं पर सीबीआई के कथित शराब घोटाले में रेगुलर बेल के लिए याचिका पर बहस होगी। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही सीबीआई के मामले से पहले ईडी के पीएमएलए मामले में उन्हें अंतरिम जमानत दे दी है।

आम आदमी पार्टी को बूस्टर मिलने की उम्मीद

ऐसे समय में सिसोदिया को ईडी और सीबीआई दोनों केस में जमानत मिलने के बाद पार्टी को नया बूस्टर मिलने की उम्मीद है। पार्टी अभी तक काफी मुश्किल दौर से गुजर रही है। इसके ज्यादातर वरिष्ठ नेता केंद्रीय जांच एजेंसियों के दायरे में हैं। शुक्रवार दोपहर कोर्ट के फैसले के एक घंटे बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता राजधानी के राउज एवेन्यू में आप के ऑफिस में इकट्ठा हुए और सिसोदिया को जमानत देने के कोर्ट के फैसले को सच की जीत बताया।

बिना किसी सबूत के सिसोदिया को गिरफ्तार किया

दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि बिना किसी सबूत, गवाह के मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया गया। कोर्ट ने कहा है कि इस समय देश में सांप-सीढ़ी का खेल चल रहा है। कोर्ट ने कहा था कि छह महीने के अंदर ट्रायल शुरू हो जाएगा लेकिन अब अगस्त आ गया है और ट्रायल अभी तक शुरू नहीं हुआ है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर छह से आठ महीने के अंदर ट्रायल शुरू नहीं होता है तो उन्हें जमानत मिलनी चाहिए। कोर्ट ने एक बहुत जरुरी बात भी कही है। कोर्ट ने कहा कि जब जमानत की बात आती है तो हर व्यक्ति मायने रखता है और जमानत व्यक्तिगत अधिकार का मामला है। क्या हमारे हाई कोर्ट और निचली अदालतें यह बात नहीं समझती हैं।

Manish Sisodia Bail: कौन है वो दो जज जिन्होंने मनीष सिसोदिया को दी जमानत

अरविंद केजरीवाल के भरोसेमंद मनीष सिसोदिया

दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य हैं। इतना ही नहीं वह सीएम अरविंद केजरीवाल के काफी भरोसेमंद हैं। इस साल की शुरुआत में राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कहा कि पूछताछ के दौरान केजरीवाल ने कहा था कि सिसोदिया ही वह शख्स थे जिन्होंने अब खत्म हो चुकी शराब नीति के तहत शहर में शराब की दुकानों को प्राइवेट करने की सिफारिश की थी।

आप ने इसे अपने बड़े दो नेताओं के बीच गलतफहमी पैदा करने की कोशिश के तौर पर देखा था। केजरीवाल ने कोर्ट में कहा कि मैंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया कि मनीष सिसोदिया दोषी हैं। मनीष सिसोदिया बिल्कुल बेगुनाह हैं। उनका मकसद हमें बदनाम करना है। मैंने कल सीबीआई से कहा कि ये बेतुके आरोप हैं।

सूत्रों के मुताबिक, अंतरिम जमानत पर बाहर रहने के दौरान केजरीवाल और उनकी पत्नी मीडिया की नजरों से दूर सिसोदिया के परिवार से मिलने गए थे। सिसोदिया केजरीवाल के साथ बने हुए हैं, जबकि पार्टी के कई दूसरे कई नेता केजरीवाल से दूर हो गए हैं और दिल्ली के सीएम को तानाशाह कह रहे हैं। इसमें कुमार विश्वास भी शामिल हैं। कुमार विश्वास ने आप से इस्तीफा नहीं दिया है। लेकिन वह उनकी काफी आलोचनाएं करते हैं। यह सब विवाद होने से पहले कुमार विश्वास सिसोदिया और उनके परिवार के काफी करीब थे।

विधानसभा चुनाव पर होगा फोकस

मुश्किल हालात को ठंडा करने वाले नेता के तौर पर जाने जाने वाले सिसोदिया ने कई प्रोजेक्ट और नीतियों को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है। हालांकि, यह पहली बार होगा जब सिसोदिया सरकार में वापस नहीं आएंगे। वे अब तक तीन बार उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं। पहली बार वह 2013-14 में 49 दिनों की आप सरकार के दौरान डिप्टी सीएम रहे थे और फिर साल 2015 में और फिर 2020 में भी वह उपमुख्यमंत्री का पद संभाल चुके हैं। अगले साल फरवरी में विधानसभा चुनाव होने के आसार हैं। इसलिए उनका सबसे पहले फोकस यह तय करना होगा कि जमीनी स्तर पर कार्यकर्ता मौजूद रहें और विधायकों को लालच में न लाया जाए।

पार्टी के अंदर से उठ रही अंसतोष की आवाजें

पिछले चार महीनों में संगठनात्मक तौर से भी आम आदमी पार्टी को भी काफी नुकसान उठाना पड़ा है। आप के एक सूत्र ने कहा कि अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद से ही पार्टी के अंदर असंतोष की आवाजें उठ रही हैं। यह तब से और बढ़ गई है जब से आप ने कांग्रेस के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन एक भी सीट नहीं जीत पाई। बहुत निराशा भी है क्योंकि विधायक एलजी के दफ्तर और नौकरशाही की वजह से लोगों से किए गए वादे पूरे नहीं कर पा रहे हैं। हालांकि, मनीष सिसोदिया इस मामले में ज्यादा कुछ नहीं कर सकते।

हालांकि सिसोदिया और आप की मुश्किलें अभी खत्म नहीं हुई हैं। उन्हें जमानत देते हुए कोर्ट ने कहा कि उन्हें मामले के गुण-दोष पर विचार करने में ट्रायल कोर्ट या हाई कोर्ट के आदेश में कोई गलतियां नहीं दिखी, लेकिन उन्हें जमानत दी जा रही है। उन्होंने कहा कि इस केस के दूर-दूर तक खत्म होने की कोई भी संभावनाएं नहीं है। इसका मतलब यह है कि जमानत केवल इसलिए दी गई है क्योंकि मुकदमा शुरू नहीं हुआ था। मनीष सिसोदिया करीब 18 महीनों से जेल में बंद हैं।