राष्ट्रीय राजधानी की बिगड़ती आबोहवा को सुधारने के लिए दिल्ली सरकार हरसंभव प्रयासों में जुटी हुई है। सरकार उड़ती धूल को रोकने और औद्योगिक क्षेत्रों से हर रोज बड़ी मात्रा में निकलने वाले ठोस कचरे के निस्तारण को लेकर भी बड़े कदम उठा रही है। दूसरी ओर, सरकार के पास इन औद्योगिक क्षेत्रों से निकलने वाले ठोस कचरे को एकत्र करने को सामग्री पुनर्प्राप्ति सुविधा (मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी) केंद्र स्थापित करने को जगह तक उपलब्ध नहीं है।

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक दिल्ली सरकार के उद्योग विभाग के आयुक्त की अध्यक्षता में एक संयुक्त समिति गठित की गई थी। समिति ने औद्योगिक क्षेत्रों में ठोस कचरा प्रबंधन को लेकर किए जा रहे प्रयासों और मौजूदा स्थिति का बारीकी से जायजा लिया था। इस दौरान ठोस कचरे के निपटान में जुटी जिम्मेदार एजंसियां की प्रगति रपट का भी आकलन किया था।

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समिति में दिल्ली नगर निगम आयुक्त, डीएसआइआइडीसी के प्रबंध निदेशक, राजस्व विभाग के प्रधान सचिव-सह-मंडलायुक्त के अलावा शहरी विकास विभाग के सचिव आदि बतौर संयोजक के रूप में शामिल हैं। इस निरीक्षण के बाद समिति ने ठोस कचरा निगरानी को लेकर एक रपट सिफारिशों के साथ ठोस कचरा प्रबंधन समिति (एसडब्लूएमएस) को भी सौंपी थी।

मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी के लिए कोई जगह नहीं

दिल्ली के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में डीपीसीसी की ठोस कचरा प्रबंधन समिति की ठोस कचरा प्रबंधन को लेकर 23 सितंबर को हुई तीसरी बैठक के बाद 10 अक्तूबर को स्वीकृत किए गए मिनट्स के मुताबिक संयुक्त समिति के प्रतिनिधि के तौर पर एमसीडी ने औद्योगिक क्षेत्रों में ठोस कचरा के निस्तारण की असुविधाओं से अवगत कराया। मुख्य सचिव को एमसीडी ने बताया है कि सामग्री पुनर्प्राप्ति सुविधा (मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी) केंद्र स्थापित करने के लिए जगह नहीं है। इस निरीक्षण के दौरान एमसीडी, डीएसआइआइडीसी और डीडीए ने औद्योगिक क्षेत्रों में नौ खाली भूखंडों की पहचान की है जिसमें एमआरएफ केंद्र बनाए जा सकते हैं। इसके बाद दिल्ली नगर निगम ने दिल्ली विकास प्राधिकरण से भी आग्रह किया है कि वो एमआरएफ बनाने के लिए इन भूखंडों को उसे आबंटित कर दे।

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रपट में यह भी खुलासा किया गया है कि लारेंस रोड औद्योगिक क्षेत्र, ओखला चरण तीन, ओखला फलैटेड कारखाना परिसर, एफआइई परिसर, नांगलोई औद्योगिक क्षेत्र, पटपडगंज औद्योगिक क्षेत्र, झिलमिल औद्योगिक क्षेत्र, मायापुरी चरण एक और चरण दो औद्योगिक क्षेत्र आदि प्रमुख रूप से शामिल हैं, जहां पर खाली भूमि नहीं है। इस पूरे मामले पर मुख्य सचिव ने गंभीर संज्ञान लेते हुए यह भी कहा कि दिल्ली राज्य औद्योगिक एवं अवसंरचना विकास निगम (डीएसआइआइडीसी) यह पता लगाए कि सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्र (सीइटीपी) के साथ क्या जगह उपलब्ध है जहां पर एमआरएफ की स्थापना की जा सके।

डीएसआइआइडीसी ने इन संयंत्रों में उपलब्ध खाली जगह का पता लगाने का काम कर रहा है। दिल्ली के मुख्य सचिव ने डीडीए को निर्देश दिए हैं कि वो औद्योगिक क्षेत्रों में एमसीडी को जमीन मुहैया कराए जिनको संयुक्त समिति ने निरीक्षण के दौरान चिन्हित किया है। इस पूरे मामले में एमसीडी, डीडीए के साथ मिलकर इस दिशा में आगे काम करे।