Delhi High Court: दिल्ली हाई कोर्ट ने कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक की याचिका पर नोटिस जारी किया है। हाई कोर्ट ने तिहाड़ जेल के अधिकारियों से कहा कि वो यासीन मलिक सुपर-स्पेशलिटी अस्पताल में जरूरी चिकित्सा उपचार मुहैया कराए। जिनके भूख हड़ताल का दावा किया गया है। मलिक को टेरर फंडिंग से जुड़े एक मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।

जस्टिस अनूप कुमार मेंदीरत्ता ने उनकी मेडिकल देखभाल की मांग वाली याचिका पर शुक्रवार को केंद्र, दिल्ली सरकार और तिहाड़ जेल अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए स्वास्थ्य स्थिति की रिपोर्ट भी मांगी। मलिक के वकील ने कोर्ट से कहा कि उनका मुवक्किल एक नवंबर से भूख हड़ताल पर है और उसे तत्काल हॉस्पिटल में भर्ती कराने की जरूरत है।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने आदेश दिया कि याचिकाकर्ता के वकील द्वारा दिए गए तर्कों को ध्यान में रखते हुए, जेल अधीक्षक से याचिकाकर्ता की चिकित्सा स्थिति रिपोर्ट मंगवाई जाए। जेल अधीक्षक को यह भी निर्देश दिया जाता है कि वह सुनिश्चित करें कि दिल्ली जेल नियम, 2018 के अनुसार याचिकाकर्ता को आवश्यक चिकित्सा उपचार प्रदान किया जाए।

प्रतिबंधित जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के पूर्व प्रमुख मलिक वर्तमान में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। अपनी याचिका में मलिक ने दावा किया है कि जेल अधिकारी उनकी स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार में लापरवाही बरत रहे हैं। उनके दोनों तरफ़ से गुर्दे में पथरी की समस्या है, जिस पर ध्यान देने की ज़रूरत है। अनियमित चिकित्सा उपचार के कारण उनके अंग कमज़ोर होते जा रहे हैं और वे कोमा में जा सकते हैं।

याचिका में आगे कहा गया है कि कानून का यह स्थापित सिद्धांत है कि कारावास मौलिक अधिकारों को समाप्त नहीं करता है, हालांकि यथार्थवादी पुनर्मूल्यांकन के आधार पर अदालतें अन्य नागरिकों के लिए उपलब्ध भारतीय संविधान के भाग III के पूर्ण एकाधिकार को मान्यता देने से इनकार नहीं कर सकती हैं। इसलिए उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया है कि उनका इलाज अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली या श्रीनगर के किसी अन्य सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में कराने का आदेश दिया जाए।

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इस साल यह दूसरी बार है जब मलिक ने ऐसी राहत के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। हाई कोर्ट ने इस साल फरवरी में ऐसी ही एक याचिका का निपटारा तब किया था जब केंद्र सरकार ने आश्वासन दिया था कि वह आवश्यकता पड़ने पर सभी आवश्यक चिकित्सा उपचार उपलब्ध कराएगी।

नई याचिका में मलिक ने यह भी दावा किया है कि अधिकारी दिसंबर 2023 में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 268 (जेल से व्यक्तियों को हटाने से रोकने वाले आदेश) के तहत पारित आदेश की “आड़” में उन्हें अस्पतालों तक पहुंचने से रोक रहे हैं और अदालतों के सामने उन्हें पेश होने से रोका जा रहा है। इसलिए मलिक ने हाई कोर्ट से आग्रह किया है कि वह धारा 268 के इस संचार को भी रद्द कर दे और अधिकारियों को आदेश दे कि जब भी उसकी शारीरिक उपस्थिति की आवश्यकता हो, उसे अदालतों के समक्ष पेश किया जाए।

मलिक को 24 मई, 2022 को दिल्ली की एक ट्रायल कोर्ट ने कठोर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और आईपीसी के तहत कई अपराधों के लिए दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी ने हाई कोर्ट में अपील दायर कर उसकी उम्रकैद की सजा को अधिकतम मौत की सजा तक बढ़ाने की मांग की है। हाई कोर्ट में अपनी याचिका में मलिक ने दावा किया कि वह हृदय और गुर्दे की गंभीर बीमारियों का मरीज है, जो वर्तमान में ‘जीवन और मौत की स्थिति’ का सामना कर रहा है।