Delhi High Court: दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस), द्वारका के उस फैसले पर सवाल उठाया, जिसमें फीस का भुगतान न करने पर 30 से अधिक छात्रों को निष्कासित कर दिया गया था।
स्कूल के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई के दौरान जस्टिस सचिन दत्ता ने कहा कि आपने यह कार्रवाई पिछले कार्य दिवस पर की। बच्चों को आखिरी सप्ताह में बाहर निकाल दिया गया। क्या आपको ऐसा करने से आनंद मिलता है?
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस दत्ता ने आगे सवाल किया कि स्कूल ने अंतिम निर्णय लेने से पहले छात्रों के अभिभावकों को नोटिस क्यों नहीं जारी किया।
कोर्ट ने पूछा, “इन बच्चों को लिस्ट से हटाने से पहले, दिल्ली स्कूल शिक्षा नियम के नियम 35 (4) के तहत नोटिस कहां है? 32 छात्रों में से प्रत्येक को नोटिस कहां है? मुझे वह नोटिस दिखाइए जिसके माध्यम से आपने छात्रों को सूचित किया था कि यदि आप फीस का भुगतान नहीं करते हैं, तो आपको सूची से हटा दिया जाएगा।’
स्कूल की ओर से पेश वकील ने कहा कि वे गहरे वित्तीय संकट में हैं और पिछले साल उन्हें लगभग 49 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। अंत में पीठ ने कहा कि वह सोमवार को मामले की पुनः सुनवाई करेगी और आदेश पारित करेगी।
कोर्ट डीपीएस द्वारका द्वारा फीस न चुकाने के कारण कथित रूप से निष्कासित 32 छात्रों के अभिभावकों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था। उन्होंने तर्क दिया कि यह निर्णय हाई कोर्ट के पहले के आदेश के विपरीत है, जिसमें छात्रों के हितों की रक्षा की गई थी।
अभिभावकों ने बताया कि इन छात्रों को परिसर में प्रवेश करने से रोकने के लिए स्कूल के बाहर बाउंसर तैनात किए गए थे। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि कई बार याद दिलाने के बावजूद, स्कूल ने जानबूझकर सरकारी अधिकारियों द्वारा स्वीकृत फीस का भुगतान करने के लिए जमा किए गए चेक को भुनाया नहीं।
अभिभावकों ने यह आवेदन डीपीएस द्वारा राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के उस आदेश के खिलाफ लंबित याचिका में दायर किया है, जिसमें दिल्ली पुलिस को स्कूल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया गया है।
आरोप है कि स्कूल ने छात्राओं को लाइब्रेरी में बंद कर दिया, उनके नाम सार्वजनिक रूप से बताए और फीस न चुकाने पर उनमें से कुछ को स्कूल से निकाल दिया। एक मामले में एक लड़की को मासिक धर्म के दौरान मदद देने से मना कर दिया गया क्योंकि उसकी फीस बकाया थी।
बाद में हाई कोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने के आदेश पर रोक लगा दी थी। हालांकि, 16 अप्रैल को पारित आदेश में हाई कोर्ट ने फीस न चुकाने वाले छात्रों को अलग-अलग बैठाने और परेशान करने के स्कूल के फैसले की कड़ी आलोचना की थी। स्कूल को आदेश दिया गया था कि वह किसी भी छात्र को कक्षाओं में आने से न रोके।
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इस बीच, हाई कोर्ट की एक समन्वय पीठ ने आज कुछ अभिभावकों द्वारा दायर एक अलग याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) द्वारा स्कूल को अपने नियंत्रण में लेने के निर्देश देने की मांग की गई थी।
गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने पहले ही डीपीएस को छात्रों को फिर से दाखिला देने का आदेश दे दिया है। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, शिक्षा निदेशालय (डीओई) ने एक आदेश जारी कर डीपीएस द्वारका प्रबंधन को “छात्रों को परेशान न करने” और “किसी भी तरह की बलपूर्वक कार्रवाई करने से बचने” का निर्देश दिया है।
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