दिल्ली हाईकोर्ट ने आम्रपाली ग्रुप ऑफ कंपनीज के पूर्व सीएमडी अनिल कुमार शर्मा को जमानत दे दी है। कोर्ट ने कहा कि प्रासीक्यूशन ने 50 गवाहों का हवाला दिया है। इससे साफ है कि मुकदमा लंबा चलेगा। ऐसे में आरोपी को हिरासत में रखने से कुछ हासिल नहीं होगा। लिहाजा उसे जमानत पर छोड़ना ही बेहतर रहेगा। कोर्ट ने आरोपी को अदालत की पूर्व अनुमति के बिना शहर न छोड़ने और सुनवाई पर पेश होने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि जमानत पर रहने के दौरान आरोपी पीड़ितों या उनके परिवार के किसी भी सदस्य से संपर्क करने की कोशिश भी नहीं करेगा।
जस्टिस विकास महाजन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को ध्यान में रखते हुए ये फैसला लिया गया है। अनिल शर्मा ने आईपीसी की धारा 420 के तहत अपराध के लिए तय अधिकतम सजा की आधी अवधि पूरी कर ली है। उनका कहना था कि आरोपी को धारा 436ए का लाभ दिया जा सकता है। इसे सुप्रीम कोर्ट ने एक अनिवार्य प्रावधान माना है।
फरवरी 2019 में अनिल जैन के साथ अरेस्ट हुए थे कंपनी के दो और अधिकारी
दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने अनुभव जैन की शिकायत पर एक केस दर्ज किया था। उसने नोएडा के सेक्टर-76 में अनिल शर्मा की कंपनी की प्रस्तावित परियोजना आम्रपाली सिलिकॉन सिटी के टावर जी-1 में 26 फ्लैट खरीदे थे। जांच के दौरान यह पता चला कि नोएडा प्राधिकरण ने परियोजना में टावर जी-1 को कभी मंजूरी दी ही नहीं थी। फिर भी अनिल शर्मा ने उस टावर में 26 फ्लैट बेच दिए। अनुभव का कहना है कि उसने नवंबर 2011 को फ्लैट के लिए 6.6 करोड़ रुपये का पूरा भुगतान कर दिया था। पुलिस ने इस मामले में फरवरी 2019 को अनिल शर्मा के साथ शिव प्रिया और अजय कुमार को गिरफ्तार किया था।
अनिल शर्मा की ओर से पेश वकील ने कहा कि आईपीसी की धारा 420 के तहत धोखाधड़ी के अपराध में अधिकतम सजा सात साल है जबकि आरोपी पहले ही तीन साल और छह महीने से ज्यादा वक्त से हिरासत में है। उन्होंने कहा कि सीआरपीसी की धारा 436ए के आवश्यक प्रावधानों को देखते हुए याचिकाकर्ता को जमानत दी जानी चाहिए। प्रासीक्यूशन ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह कई लोगों के साथ किया गया घोटाला है।
