दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी। मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने सीएम केजरीवाल की याचिका पर अपना फैसला सुनाया। दिल्ली हाई कोर्ट की जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने 25 मिनट तक अपना फैसला पढ़कर सुनाया। इस दौरान उन्होंने कई बार केजरीवाल को नसीहत भी दी तो कई बार फटकार भी लगाई।
केजरीवाल केवल एक सामान्य नागरिक- दिल्ली हाई कोर्ट
सबसे अहम बात तो जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने कही कि कानून की नजर में अरविंद केजरीवाल केवल एक सामान्य नागरिक हैं। उन्होंने कहा कि यह मामला सिर्फ केजरीवाल की गिरफ्तारी का नहीं है बल्कि यह समझना भी जरूरी है कि गिरफ्तारी और रिमांड में अंतर क्या है? जस्टिस ने कहा कि कानून सभी पर समान रूप से लागू होता है।
फैसले के दौरान जस्टिस ने कहा कि एक आम आदमी को आरोप लगने पर तत्काल गिरफ्तार कर लिया जाता है और उसे पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया जाता है। इस मामले में मुख्यमंत्री होने का लाभ अरविंद केजरीवाल को नहीं दिया जा सकता। फैसले सुनाने के दौरान कोर्ट ने कहा कि अरविंद केजरीवाल की याचिका गिरफ्तारी को चुनौती देने के लिए है ना की जमानत के लिए। इस प्रकार से इस तरह की याचिका अवैध है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन है, इसलिए इस पर विचार नहीं किया जा सकता।
बढ़ सकती हैं अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें
हाई कोर्ट ने कहा कि सीएम केजरीवाल पूरी साजिश में लिप्त थे और उन्होंने घूस भी मांगी थी। ऐसे में उनकी गिरफ्तारी में कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन भी नहीं हुआ है और ना ही उनकी गिरफ्तारी किसी तरह से अवैध है। कोर्ट ने कहा कि ईडी के पास गिरफ्तारी के पर्याप्त सबूत थे और ट्रायल कोर्ट ने उन्हें हिरासत में भेजा। हाईकोर्ट ने ये सभी टिप्पणी ईडी के सबूतों के आधार पर की। कोर्ट की टिप्पणी से जाहिर है कि अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
बीजेपी ने साधा निशाना
इस बीच कोर्ट के फैसले के बाद बीजेपी ने अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा। बीजेपी ने कहा कि हाई कोर्ट के फैसले से स्पष्ट है कि केजरीवाल शराब घोटाले में शामिल थे। बीजेपी ने एक पोस्टर भी जारी किया है, जिसके कैप्शन में लिखा है, “Poster Boy of Corruption- Arvind Kejriwal!” ईडी ने कोर्ट में केजरीवाल को शराब घोटाले का किंगपिन बताया था।