प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत कोरोना काल में गरीबों के लिए मुफ्त राशन वितरण का प्रावधान शुरू किया गया जो बदस्तूर जारी है। लेकिन इस योजना का लाभ जरूरतमंदों को मिलता कैसे, जब इस पर सरकारी कर्मचारी कुंडली मारकर बैठे हैं। नवगठित दिल्ली सरकार ने जैसे ही विभिन्न विभागों से आंकड़े लेकर जानकारी निकाली तो उसमें ये मुफ्तखोर सरकारी अधिकारियों के नाम सामने आने लगे, जो बीते कई वर्षों से जरूरतमंदों का हक मारकर मुफ्त का राशन खा रहे हैं।
बता दें कि समय-समय पर दिल्ली सरकार का खाद्य एवं आपूर्ति विभाग अन्य विभागों से आंकड़े मंगवाकर लाभार्थियों की छंटनी का काम करता है। ताकि जरूरतमंदों तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाया जा सके। लेकिन पूर्व आप शासित सरकार के कार्यकाल के दौरान यह कार्य नहीं किया गया। साथ ही दिल्ली में केंद्र की ई-केवाइसी सत्यापन योजना को प्रारंभ करने में भी दिलचस्पी नहीं दिखाई गई।
सरकारी शिक्षक, डॉक्टर उठा रहे योजना का लाभ
हैरानी की बात यह है कि जैसे ही दिल्ली सरकार ने शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग, सिविल एवं सत्र न्यायालय, दिल्ली अग्निशमक विभाग, दिल्ली शहरी विकास विभाग सहित विभिन्न विभागों से आंकड़े मंगवाए तो उसने सभी को हैरान कर दिया। दरअसल मुफ्त राशन का लाभ लेने वाले परिवारों में कोई सरकारी शिक्षक है तो कोई सरकारी डाक्टर, लाइब्रेरियन, नर्स, लैब सहायक, कोर्ट में काम करने वाले विभिन्न पदों पर कार्यरत कर्मचारी हैं। इनकी संख्या तकरीबन 5622 है।
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इनमें सर्वाधिक बाजी दिल्ली सरकार के स्कूलों में पढ़ाने वाले टीजीटी व पीजीटी शिक्षकों ने मारी है। जबकि खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएस एक्ट) में कहा गया है कि राशन कार्ड उन्हीं परिवारों का बन सकता है, जिनकी सालाना आय एक लाख रुपए या उससे कम हो। वहीं दिल्ली सरकार के सूत्रों के अनुसार, इन राशनकार्डों को रद्द करने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है।
कर्मचारियों पर की जाएगी कार्रवाई
राशनकार्ड निरस्त करने के साथ ही ऐसे कर्मचारियों पर कार्रवाई भी की जाएगी। इसे लेकर खाद्य विभाग भी 15 अप्रैल को बैठक करने जा रहा है। जिसमें सरकारी कर्मचारियों का डाटा संबंधित विभागों से प्राप्त कर हटाने की प्रक्रिया को नियमानुसार प्रारंभ किया जाएगा।