Delhi Election Result: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों में BJP की 48 सीटों के साथ प्रचंड जीत हुई है और 27 साल बाद पार्टी की दिल्ली की सत्ता में वापसी हुई है। आम आदमी पार्टी, 63 सीटों से खिसककर 22 सीटों पर आ गई है आम आदमी पार्टी के हारने वाले नेताओं में मनीष सिसोदिया से लेकर सत्येंद्र जैन, सौरभ भारद्वाज, सोमनाथ भारती, दुर्गेश पाठक जैसे नेता अपनी सीट गंवा चुके हैं। इतना ही नहीं, खुद अरविंद केजरीवाल खुद नई दिल्ली सीट से हार गए हैं।

नई दिल्ली से बीजेपी के पूर्व सांसद और पूर्व सीएम साहिब सिंह वर्मा के बेटे परवेश वर्मा ने अरविंद केजरीवाल को करीब 3000 से ज्यादा वोटों के अंतर से सियासी मात दी है। अरविंद केजरीवाल को लेकर मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया जा रहा है कि एक वक्त उनकी सीट बदलने या दो सीटों से चुनाव लड़ने की चर्चा थी, लेकिन पार्टी ने ऐसा इसलिए नहीं किया, क्योंकि इससे आम आदमी पार्टी चुनाव में बैकफुट पर दिखती।

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शीला दीक्षित को दी थी 2013 में मात

अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी के गठन के बाद जब दिल्ली में पहला विधानसभा चुनाव लड़ा था, तो उन्होंने भी तत्कालीन सीएम और कांग्रेस नेता शीला दीक्षित को मात दी थी। शीला दीक्षित लगातार 3 कार्यकाल सीएम रही थीं, और नई दिल्ली विधानसभा उनका किला मानी जाती थीं, लेकिन केजरीवाल ने उन्हें हरा दिया था, जिसके बाद से शीला दीक्षित, चुनावी राजनीति में साइडलाइन हो गई थी।

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शीला दीक्षित की तरह हुई क्या केजरीवाल की हाल?

अरविंद केजरीवाल ने शीला दीक्षित को हराया था और अब परवेश वर्मा ने नई दिल्ली की सीट से केजरीवाल को हरा दिया था। शीला दीक्षित जहां चुनाव हारने के साथ ही सत्ता से बाहर हो गई थी। शीला दीक्षित तीन बार सीएम रही थीं। अरविंद केजरीवाल भी तीन बार सीएम रहे थे।

शीला दीक्षित को अरविंद केजरीवाल ने भ्रष्टाचार, पानी की कमी, टैंकर माफिया जैसे मुद्दों पर घेरा था। केजरीवाल ने अपना पूरा चुनावी कैंपेन ही इन मुद्दों पर लड़ा था। बीजेपी ने भी अरविंद केजरीवाल के खिलाफ भ्रष्टाचार, पानी की कमी, टैंकर माफिया और यमुना की सफाई जैसे मुद्दे उठाए थे।

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केजरीवाल ने शीला दीक्षित को लेकर यह परसेप्शन बनाया था, कि उनके घर में लग्जरी चीजें हैं, 10 से ज्यादा एसी है और वे एक महारानी की तरह रहती हैं और टैक्सपेयर्स के पैसे से सुख-सुविधाएं भोग रही हैं। कुछ ऐसा ही कैंपेन बीजेपी ने केजरीवाल के खिलाफ चलाया था, और शीश महल का मुद्दा बीजेपी के लिए फायदा के रहे।

अब सवाल यह है कि अरविंद केजरीवला अब अपने सियासी फ्यूचर को लेकर क्या फैसला लेते हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव से जुड़ी अन्य खबरें पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।