Delhi Chunav 2025: दिल्ली चुनाव का सियासी शंखानाद होने जा रहा है, दोपहर 2 बजे चुनाव आयोग तारीखों का ऐलान करेगा। अब उस ऐलान से पहले ही राजधानी में चुनावी पिच सैट हो चुकी है, ऐसी पिच जहां पर मुद्दों की भरमार है, जहां पर सियासी समीकरणों पर जोर है और आरोप-प्रत्यारोप का दौर तो लगातार चल ही रहा है। जब से बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की है, दिल्ली चुनाव में विवादों की एंट्री हो गई है।

कालकाजी से रमेश बिधूड़ी का प्रियंका गांधी और सीएम आतिशी को लेकर दिया गया बयान आग की तरह फैल चुका है। सामने से माफी भी आई है, लेकिन सवाल वही- कहीं जरूरत से ज्यादा और समय से पहले नुकसान तो नहीं हो गया? वहीं सवाल तो यह भी उठता है कि कहीं भ्रष्टाचार का मुद्दा केजरीवाल की वापसी पर प्रश्न चिन्ह तो नहीं लगा देगा?

रमेश बिधूड़ी का विवादित बयान क्या है?

जानकारी के लिए बता दें कि बीजेपी नेता और कालकाजी से उम्मीदवार रमेश बिधूड़ी ने अपनी दावेदारी तुरंत मिलने के बाद कांग्रेस नेता और सांसद प्रियंका गांधी के लिए अभद्र टिप्पणी कर दी थी। उन्होंने कहा था कि लालू ने कहा था बिहार में कि राज्य की सड़कों को हेमा मालिनी के जैसा बना दूंगा। लालू ने झूठ बोला था। वो नहीं बना पाए। लेकिन मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि जैसे ओखला की सड़कें हमने बना दी हैं। संगम विहार की सड़कें बना दी हैं। इसी तरह से कालकाजी में सारी की सारी सड़कें प्रियंका गांधी के गाल जैसी बना दूंगा।

अब रमेश बिधूड़ी अगर इतने पर रुक जाते, बीजेपी के पास डैमेज कंट्रोल का मौका रहता, लेकिन एक विवाद के बाद उन्होंने दूसरा विवाद खड़ा करने का काम किया। बिधूड़ी ने आतिशी को लेकर भी ऐसी टिप्पणी कर दी कि जबरदस्त बवाल हुआ। बिधूड़ी ने बोला कि आतिशी मार्लेना से सिंह बन गईं. आतिशी ने बाप ही बदल दिया. यही तो उनका चरित्र है।

अब इन दो बयानों पर इतना बवाल हुआ है कि बीजेपी को सामने से बोलना पड़ गया कि इनसे उनका कोई लेना देना नहीं है। इस विवाद पर बीजेपी का आधिकारिक बयान यह रहा है- सभी राजनीतिक नेताओं व्यक्तिगत, पारिवारिक या लिंग संबंधित बयानों से बचना चाहिए। विशेषकर, दिल्ली की मुख्यमंत्री के परिवार के खिलाफ ऐसी टिप्पणियां नहीं की जानी चाहिए। बिधूड़ी सामने से आकर माफी मांगनी चाहिए।

बीजेपी को बिधूड़ी के बयान से कैसा नुकसान?

अब रमेश बिधूड़ी के बयान पर बीजेपी ने सफाई जरूर पेश की है, लेकिन आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने इसे महिला सम्मान के साथ जोड़ दिया है। जिस चुनाव में पूरी राजनीति ही महिलाओं के इर्द-गिर्द घूम रही है, उस बीच ऐसे बयान ने कांग्रेस और आप को बीजेपी के खिलाफ एक संजीवनी दे दी है। दिल्ली के महिला वोटरों पर अगर बिधूड़ी के बयान का थोड़ा भी असर पड़ा, कई सीटों पर समीकरण बदल जाएंगे, जीती हुई बाजी बीजेपी हार जाएगी। इसी वजह से कोई भी दल महिला वोटरों को हल्के में लेना नहीं चाहता है।

दिल्ली में कितनी महिला वोटर?

चुनाव आयोग के मुताबिक इस बार राजधानी दिल्ली में कुल 1 करोड़ 55 लाख 24 हजार 858 वोटर हैं, यहां भी पुरुष मतदाताओं की संख्या 83,49,645 जबकि महिला वोटर्स की संख्या 71,73,952 दर्ज की गई है। यहां भी दिल्ली में महिलाओं के बीच में क्योंकि जागरूकता बढ़ चुकी है, ऐसे में कई सीटों पर पुरुषों के मुकाबले उनका मतदान भी ज्यादा देखने को मिल जाता है। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान दिल्ली की 70 सीटों में से 30 सीटें ऐसी रही थीं जहां पर महिलाओं ने पुरुषों से ज्यादा मतदान किया था।

क्या बीजेपी से छिटक जाएगा महिला वोटर?

इसके ऊपर दिल्ली के बुराड़ी, किराड़ी, सुल्तानपुर माजरा, तुगलकाबाद महरौली, देवली, संगल विहार जैसे इलाकों में कई झुग्गी बस्तियां मौजूद हैं, उन बस्तियों में महिलाओं की तादाद काफी ज्यादा रहती हैं, उन्हें जरूरी चीजों की आवश्यकता सबसे ज्यादा रहती है। अब क्योंकि बिधूड़ी के बयान को आम आदमी पार्टी ने महिला सम्मान से जोड़ दिया है, इन्हीं सीटों पर सबसे ज्यादा नुकसान की संभावना रह सकती है। बीजेपी के लिए ज्यादा मुश्किल इसलिए भी है क्योंकि पिछले कुछ सालों से दिल्ली में महिला वोटरों के बीच आम आदमी पार्टी की लोकप्रियता काफी ज्यादा बढ़ी है। इसके ऊपर अब तो आम आदमी पार्टी ने महिलाओं को ध्यान में रखकर ही इतनी योजनाएं शुरू कर रखी हैं, बीजेपी के लिए चाहकर भी डैमेक कंट्रोल करना चुनौती बन सकता है।

महिलाओं के बीच कैसे लोकप्रिय बनी AAP?

वही आम आदमी पार्टी इस एक विवाद ज्यादा खुश इसलिए है क्योंकि उसे पता है कि दिल्ली की महिलाएं बड़ी संख्या में उन्हें वोट करती हैं, ऐसे में यह एक विवाद उनकी स्थिति को और ज्यादा मजबूत कर सकता है। आम आदमी पार्टी ने जब से दिल्ली में अपनी सरकार बनाई है, महिला केंद्रित राजनीति एक हाइलाइट रही है। इसे ऐसे समझा जा सकता है कि 2020 के विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी ने फ्री बस सर्विस का ऐलान किया था, आज दिल्ली में वो एक लोकप्रिय योजना बन चुकी है, अगर सड़कों पर उतर महिलाओं से बात की जाए तो इसका जिक्र जरूर मिलता है।

इसी तरह से अब चुनाव ठीक पहले महिला सम्मान योजना शुरू कर दी गई है। अभी तक महीने के महिलाओं को 1000 रुपये दिए जा रहे हैं, अगर फिर सरकार बनी तो यही पैसा 2100 रुपये कर दिया जाएगा। इसके ऊपर दिल्ली में ही जो मोहल्ला क्लीनिक है, जो कम बिजली बिल वाली योजना है, इनका लाभ लेने में भी महिलाएं सबसे आगे चल रही हैं। ऐसे में आम आदमी पार्टी तो ऐसे हर विवाद से खुश है, उसे पता है कि ऐसा होने से महिला वोट एकमुश्त तरीके से उसके खाते में जा सकता है।

दिल्ली का शीशमहल विवाद समझिए

अब आम आदमी पार्टी बीजेपी के विवादों से खुश हो सकती है, लेकिन अपने विवादों से पीछे नहीं हट सकती। दिल्ली चुनाव में अगर AAP के पास महिला सम्मान से जुड़ा मुद्दा है, बीजेपी ने भी भ्रष्टाचार को अपना सबसे बड़ा सियासी हथियार बना रखा है। पीएम नरेंद्र मोदी ने कोई ऐसे ही AAP को ‘आपदा’ नहीं बता दिया है। उनकी तरफ से सबसे ज्यादा शीशमहल विवाद को उठाया जा रहा है।

शीशमहल विवाद अरविंद केजरीवाल के सीएम आवास से जुड़ा हुआ है जहां पर मुख्यमंत्री रहते हुए वे ठहरे हुए थे। ऐसा आरोप है कि उन्होंने रेनोवेशन के नाम पर करोड़ों रुपये वहां खर्च कर डाले। इंडियन एक्सप्रेस ने भी कुछ दिन पहले ही सीएजी की ऑडिट रिपोर्ट पब्लिश की थी जिससे पता चला कि केजरीवाल के सीएम रहते हुए, उस आवास पर काफी खर्च किया गया था।

क्या है यह शीशमहल विवाद?

ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार शुरू में इस रिनोवेशन की लागत 7.91 करोड़ रुपये बताई गई थी। लेकिन बाद में 2020 में करीब 8.62 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया। लेकिन 2022 में जब इसे पूरा किया गया तो इसकी कुल लागत 33.66 करोड़ रुपये थी। रिपोर्ट के अनुसार 96 लाख रुपये के पर्दे, किचन इक्विपमेंट 39 लाख रुपये, टीवी कंसोल के लिए 20.34 लाख रुपये, ट्रेडमिल और जिम इक्विपमेंट के लिए 18.52 लाख रुपये, रेशम कारपेट के लिए 16.27 लाख रुपये, मिनीबार के लिए 4.80 लाख रुपये, दीवारों के लिए संगमरमर के पत्थर के लिए 20 लाख रुपये आवंटित हुए थे। हालांकि इसकी लागत 66.89 लाख रुपये तक पहुंच गई।

अब बीजेपी ने इसी विवाद को भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा बता दिया है, आम आदमी पार्टी के कट्टर ईमानदारी वाले नेरेटिव को ध्वस्त करने का काम किया है। यह नहीं भूलना चाहिए कि अगर अरविंद केजरीवाल खुद को कट्टर ईमानदार बताते हैं, पीएम मोदी भी राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी ही छवि रखने का दावा करते हैं। अगर केजरीवाल का डायलॉग कट्टर ईमानदार होना है तो पीएम मोदी भी बार-बार कहते हैं- ना खाऊंगा ना खाने दूंगा। ऐसे में बीजेपी जरूर भ्रष्टाचार के मुद्दे पर ही आम आदमी पार्टी को घेरना चाहती है।

शीशमहल विवाद से केजरीवाल को कैसे नुकसान?

बड़ी बात यह है कि कथित शराब घोटाले की छींटे भी अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी पर लगी हैं। जेल तक जाना पड़ा है, जमानत पर बाहर चल रहे हैं, ऐसे में यह नेरेटिव भी बीजेपी के पक्ष में ही काम करता है। इसी वजह से बीजेपी दिल्ली चुनाव में भ्रष्टाचार को अपना सबसे बड़ा मुद्दा बनाना चाहती है, उसे पता है कि दूसरे मुद्दों पर AAP को घेरना मुश्किल हो सकता है, लेकिन शीशमहल विवाद उठाकर सीधे-सीधे केजरीवाल की आम आदमी वाली छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।

बड़ी बात यह भी है कि आम आदमी पार्टी को दिल्ली में मिल रहे अपार समर्थन का एक कारण यह भी है कि उसने खुद को बीजेपी और कांग्रेस की विचारधारा से अलग रखा है, वो जातियों के आधार पर ज्यादा पॉलिटिक्स करती नहीं दिखती। इसी वजह से उसे दिल्ली में लगातार सरकार बनाने का मौका मिला है। लेकिन भ्रष्टाचार के दाग ने एक जमाने में कांग्रेस की केंद्र से सरकार को उखाड़ फेंका था, बिहार में लालू को सियासी नुकसान हुआ था, इसी वजह से दिल्ली में टेंशन तो आम आदमी पार्टी की भी बढ़ी है। वैसे टेंशन तो अब सभी दलों की वैसे भी बढ़ेगी क्योंकि दिल्ली चुनाव की तारीखों का ऐलान हो रहा है। उससे जुड़ी हर डिटेल यहां जानिए