Delhi Election 2025: दिल्ली चुनाव में दलित वोट किस ओर जाएगा, इस पर सभी पार्टियों की नजर है। राजधानी में होने जा रहा चुनाव वैसे तो ज्यादा जाति केंद्रित दिखाई नहीं देता है लेकिन बात जब दलितों की आती है, पिछड़ों की आती है, सभी पार्टियां इन्हें लुभाने की पूरी कोशिश करती है। जनसत्ता की सहयोगी इंडियन एक्सप्रेस से ऐसी ही कुछ दलित बाहुल सीटों का हाल जानने की कोशिश की है, पता चला है कि जमीन पर अगर अच्छी सड़क ना भी बनी हो, हो सकता है साफ पानी भी ना आ रहा हो, लेकिन फिर भी माहौल आम आदमी पार्टी के पक्ष में दिखाई पड़ता है।
अच्छे स्कूल, साफ अस्पताल, AAP के पक्ष में माहौल?
बिजवासन सीट पर गुलशन कुमार नाम का एक सफाईकर्मचारी काफी परेशान था, पानी की भयंकर कमी से उसका इलाका जूझ रहा है, जाम की समस्या भी लंबे समय से चल रही है। लेकिन फिर भी वो आप को वोट करने की बात कर रहा है। वो कहता है कि यह बात सच है कि हमारे विधायक ने ज्यादा काम नहीं किया। लेकिन मैंने तो कभी यह भी नहीं सोचा था कि मेरे बच्चे इतने अच्छे स्कूल में पढ़ लेंगे। अस्पताल देख लीजिए अब कितने साफ हो चुके हैं, सारी दवाइयां वहां मिलती हैं। वो दवाइयां भी सरकार मुफ्त में मुहैया करवा रही हैं।
संविधान पर हो रही बहस, बीजेपी को नुकसान?
अगर देवली इलाके की बात करें तो वहां भी दलित समुदाय मेंं संविधान बचाओ का जिक्र कभी-कबार सुनने को मिल जाता है, लेकिन क्योंकि वहां से एनडीए प्रत्याशी उन्हीं के समाज से आता है, इस वजह से फायदा बीजेपी को भी होता हुआ दिख रहा है। इस बारे में एक स्थानीय कमल सिंह कहते हैं कि संविधान का मुद्दा हमारे लिए जरूरी है। बीजेपी के नेता संविधान के बारे में गलत बातें करते रहते हैं, इससे हमारे समुदाय में रोष है। लेकिन फिर भी हमारा वोट एनडीए के लिए इसलिए जा रहा है क्योंकि उनका प्रत्याशी हमारे समाज से ताल्लुक रखता है।
अब जानकारी के लिए बता दें कि देवली से एनडीए ने चिराग पासवान की पार्टी के एक उम्मीदवार को मौका दे रखा है। लेकिन उसी इलाके में एक भावना यह भी चल रही है कि आम आदमी पार्टी को उसकी कई विफलताओं को माफ किया जा सकता है। कारण सिर्फ एक है- केजरीवाल के कल्याणकारी योजनाओं का फायदा उन तक पहुंचा है। अस्पाल और स्कूल की हालत सुधरी है।
AAP विधायक ने काम नहीं किया, वोट केजरीवाल के लिए
शाहबाद-मोहम्मदपुर इलाके में भी आम आदमी पार्टी के पक्ष में माहौल ज्यादा इसलिए दिखाई दे रहा है क्योंकि वहां पर फ्री बिजली का लाभ पहुंचा है,अस्पताल और स्कूल के हालात सुधरे हैं। इस बारे में जाग्रता बैंड में काम करने वाले एक आर्टिस्ट आशु कुमार ने कहा कि जब हम स्कूल में पढ़ते थे, हालात काफी खराब थे, लेकिन अब देख लीजिए। सच्चाई तो यह है कि अगर गरीब के बारे में कोई सोच सकता है तो वे केजरीवाल हैं। इसी तरह एक महिला एमसीडी कर्मचारी आशा भी मानती है कि उसका काफी पैसा अब सिर्फ इसलिए बच रहा है क्योंकि उसे फ्री में बस यात्रा करने का मौका मिल रहा है। उसका भी मानना है कि केजरीवाल कम से कम उनके बारे में सोचते हैं।
जाटव समाज में कमजोर होती बीजेपी?
आशा तो यहां तक कहती है कि एक बार के लिए केजरीवाल के 2100 रुपये महीने वाले ना मिले, लेकिन अगर बीजेपी आ गई तो मोदी तो बिल्कुल भी नहीं देने वाले। अब यह एक ऐसी धारणा है जो दिल्ली के कई इलाकों में देखने को मिलती है। आम आदमी पार्टी भी इसी नेरेटिव पर खेल रही है, जोर देकर कह रही है कि अगर बीजेपी सत्ता में आई तो सारी फ्री वाली योजनाएं बंद हो जाएंगी। तुगलकाबाद में भी जाटव समाज के लोग बीजेपी कम और आम आदमी पार्टी को ज्यादा पसंद कर रहे हैं, कोई मानता है कि अमित शाह संविधान का सम्मान नहीं करते, कोई शिकायत करता है कि बीजेपी प्रत्याशी को लोग ठीक से जानते नहीं हैं। कारण जो भी हो, दलित बाहुल कई सीटों पर आम आदमी पार्टी का पलड़ा भारी दिखता है। दिल्ली चुनाव की और खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
Deeptiman Tiwary की रिपोर्ट