कोरोना वायरस के चलते अब राजधानी दिल्ली डराने लगी है। राज्य में जुलाई तक कोरोना संक्रमितों की संख्या साढ़े पांच लाख होने का अनुमान है। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मंगलवार को कहा कि केंद्र के अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली में सामुदायिक संक्रमण नहीं हुआ है। वहीं, ऐसा आकलन है कि 31 जुलाई तक संक्रमण के मामले बढ़कर 5.5 लाख तक पहुंच सकते हैं।
दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) के साथ एक बैठक के बाद उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि दिल्ली में जुलाई अंत तक 80,000 बिस्तरों की जरूरत पड़ेगी। बैठक की अध्यक्षता उप राज्यपाल अनिल बैजल कर रहे थे जो कि दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अध्यक्ष भी हैं। सिसोदिया ने मीडिया से कहा, ‘‘ केंद्र के अधिकारियों ने बैठक में बताया कि दिल्ली में कोविड-19 का सामुदायिक प्रसार नहीं है।’’ उप मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली के सरकारी और निजी अस्पतालों को दिल्ली के लोगों के लिए आरक्षित करने के दिल्ली सरकार के फैसले को रद्द करने के अपने निर्णय पर विचार करने से उप राज्यपाल ने इनकार कर दिया है।
वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) से आग्रह किया है कि वह दिल्ली सरकार और केंद्र को अस्पतालों के 70 फीसदी बेड कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के लिए तैयार एवं आरक्षित करने का निर्देश दे। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली में लॉकडाउन तभी खोला जाना चाहिए जब संक्रमण की मौजूदा दर 27 फीसदी से घटकर 10 फीसदी हो जाए।
आयोग के समक्ष दायर अपनी याचिका में पूर्व केंद्रीय मंत्री माकन ने कहा कि दिल्ली में लोगों के जीवन की सुरक्षा के लिए मानवाधिकार आयोग के तत्काल दखल की जरूरत है। उन्होंने यह याचिका उस वक्त दी है जब ऐसी खबरें आ रही हैं कि दिल्ली में कोरोना वायरस के मरीजों को बेड की उपलब्धता नहीं होने की वजह से अस्पतालों में भर्ती नहीं किया जा रहा है।
माकन ने ट्वीट किया, ‘‘हम आपसे आग्रह करते हैं कि दिल्ली सरकार को राष्ट्रीय राजधानी में लोगों के जीवन की रक्षा करने का निर्देश दिया जाए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पूर्व गृह राज्य मंत्री (प्रभारी मानवाधिकार विभाग) के तौर पर मैं यह निर्देश जारी करने की मांग करते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का रुख कर रहा हूं कि दिल्ली एवं केंद्र सरकार अस्पतालों में 70 फीसदी बेड कोविड मरीजों के लिए तैयार एवं आरक्षित करें।’’
मानवाधिकार आयोग के प्रमुख न्यायमूर्ति एच एल दत्तू को लिखे पत्र में माकन ने कहा कि दिल्ली सरकार को डाक्टर महेश वर्मा समिति की रिपोर्ट के मुताबिक 10,000 वेंटिलेटर और 42,000 बेड तैयार रखने होंगे। उन्होंने कहा कि दिल्ली में लॉकडाउन तभी खोला जाए जब जांच के मुकाबले संक्रमण का अनुपात 27 फीसदी से घटकर 10 फीसदी हो जाए।’’
(भाषा इनपुट्स के साथ)