Delhi Daryaganj Building Collapse: मध्य दिल्ली के दरियागंज में बुधवार को पुनर्निर्माण के दौरान तीन मंजिला इमारत का एक हिस्सा ढह जाने से तीन मजदूरों की मौत हो गई। डीसीपी (मध्य) निधिन वलसन ने बताया कि सद्भावना पार्क के पास स्थित इमारत ढह गई। जिसमें तीन मज़दूरों – मोहम्मद जुबैर (24), उनके चाचा मोहम्मद तोफिर (32) और गुलसागर (30) की मौके पर ही मौत हो गई।
पुलिस ने बताया कि उन्हें दोपहर के आसपास घटना की सूचना मिली। दमकल गाड़ियों और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की टीमों को मौके पर भेजा गया और शवों को मलबे से बाहर निकाला गया। एनडीआरएफ के एक कर्मी ने बताया कि घटनास्थल पर लगभग 10-12 मजदूर काम कर रहे थे। तीन मृतकों को छोड़कर सभी को बचा लिया गया।
पुलिस ने बताया कि प्रथम दृष्टया, इमारत की दीवार पुरानी होने के कारण संरचनात्मक रूप से कमज़ोर थी, और इसी वजह से यह ढह गई होगी। पुलिस ने कहा कि सटीक कारणों का पता लगाने के लिए आगे की जांच जारी है। डीसीपी ने बताया कि भवन मालिकों और ठेकेदारों के खिलाफ बीएनएस की धारा 106 (लापरवाही से मौत) के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है।
बता दें, घटना वाली जगह पर, तीन-चार इमारतें हैं, जो एक-दूसरे से कुछ ही मीटर की दूरी पर हैं। साधना पार्क की चारदीवारी से जुड़ी हुई थीं। इस पार्क का उद्घाटन जून में दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने किया था।
इमारत का बीच वाला पूरा पिछला हिस्सा ढह गया था। मलबा हटाते हुए अर्थमूवर्स देखे गए। इस बीच, पीड़ितों के परिवार लोक नायक अस्पताल के आपातकालीन वार्ड में पहुंचे, जहां शवों को ले जाया गया।
जुबैर अपने पीछे अपनी पत्नी को छोड़ गए हैं, जो सात महीने की गर्भवती हैं। बीए की डिग्री होने के बावजूद, वह बिहार के मधेपुरा स्थित अपने घर से मज़दूरी करने राजधानी आए थे, ऐसा काम जो उन्होंने पहले कभी नहीं किया था। उनके ससुर ने कहा कि मेरी बेटी गर्भवती है। इसीलिए जुबैर ने यह नौकरी की है।
तोफिर की चाची मेहरुन खातून, जो शहर में रिश्तेदारों से मिलने आई थीं। उन्होंने कहा कि उसके चार बच्चे हैं, दो लड़कियां और दो लड़के। एक लड़की तो बस एक साल की है। उसके बच्चों का पेट कौन भरेगा? वे कैसे पढ़ेंगे?
रिश्तेदारों ने बताया कि तोफिर और जुबैर जुलाई में मधेपुरा छोड़कर चले गए थे, जब एक ठेकेदार ने दरियागंज में एक इमारत के पुनर्विकास का प्रस्ताव दिया था। पिछले एक हफ़्ते से वे उस इमारत पर काम कर रहे थे, और उन्हें सिर्फ़ 700 रुपये प्रति माह मिलते थे।
तोफिर के चचेरे भाई 18 वर्षीय इरशाद ने कहा रि काम बहुत था, तो उन्होंने मुझे भी बुला लिया। वह एक हफ्ते पहले दिल्ली आया था और कमला मार्केट इलाके में एक तंग कमरे में रह रहा था। इरशाद ने कहा कि आज सुबह, तोफिर ने मुझसे कहा कि मैं दोपहर 12.30 बजे के आसपास काम पर आ सकता हूं। 12 बजे मुझे फोन आया कि वो नहीं रहे।
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बिहार के आरा इलाके के 35 वर्षीय मज़दूर मोहम्मद ज़बर ने बताया कि जब इमारत ढही, तब वह दूसरी मंज़िल के दूसरी तरफ़ थे। ज़बर,जो अस्थायी रूप से इमारत के ग्राउंड फ्लोर पर रह रहे थे। उन्होंने बताया कि मैं दूसरी तरफ़ काम कर रहा था, तभी अचानक मेरे सामने वाला हिस्सा ढह गया। तोकीर और जुबैर गिर गए, और एक तीसरा आदमी दौड़कर उनके हाथ पकड़ने लगा। लेकिन सरिया हिल गई थी उसका भी संतुलन बिगड़ गया और वह गिर गया।
पिछले दो महीनों में राजधानी में इमारतें गिरने की कई घटनाएं सामने आई हैं। पिछले हफ़्ते, दिल्ली में हुमायूं के मकबरे के पास एक दरगाह की छत और दीवार गिरने से सात लोगों की मौत हो गई थी।
दिल्ली में पांच स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी
वहीं दिल्ली के प्रसाद नगर और द्वारका सेक्टर 5 समेत पांच स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी मिली है। इस सप्ताह यह तीसरी ऐसी घटना है। दिल्ली पुलिस और अग्निशमन विभाग मौके पर मौजूद हैं। सोमवार को दिल्ली के 30 से अधिक स्कूलों को इसी तरह की धमकियां मिलीं, जो बाद में अफवाह निकलीं। राष्ट्रीय राजधानी के लगभग 50 स्कूलों को बुधवार को फिर से ईमेल के ज़रिए बम की धमकी मिली, जिसे बाद में ‘झूठा’ घोषित कर दिया गया। डीएवी पब्लिक स्कूल, फेथ एकेडमी, दून पब्लिक स्कूल, सर्वोध्या विद्यालय, राहुल मॉडल स्कूल, द्वारका स्थित मैक्सफोर्ट स्कूल, मालवीय नगर स्थित एसकेवी और प्रसाद नगर स्थित आंध्रा स्कूल उन संस्थानों में शामिल थे जिन्हें बम की धमकी मिली थी।