दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार की मुश्किलें बढ़ गई है। दिल्ली की एक अदालत ने भीड़ को उकसाने और दंगा फ़ैलाने के मामले में मॉडल टाउन से विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी को दोषी ठहराया है। विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी पर साल 2013 में 300 लोगों के साथ दिल्ली पुलिस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने का आरोप है जब पुलिस ने एक लड़की की हत्या में गंभीर कार्रवाई नहीं की थी।
विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी को उपद्रवी भीड़ का हिस्सा होने और सरकारी कर्मचारियों की ड्यूटी में बाधा डालने के लिए दोषी ठहराया गया है। विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी के अलावा इस मामले में अदालत ने एक और आरोपी गीता को भी दोषी ठहराया है। 2013 के इस मामले में कुल 13 लोगों पर मुक़दमा चल रहा था लेकिन सिर्फ दो लोगों को ही दोषी ठहराया गया है। बाकी सभी लोगों को बरी कर दिया गया है। दिल्ली की अदालत अब 27 अप्रैल को इस मामले में आगे की सुनवाई करेगी और दोषियों को सजा सुनाने पर विचार करेगी।
पुलिस का दावा है कि साल 2013 में मॉडल टाउन से विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी ने करीब 300 लोगों की भीड़ को दिल्ली पुलिस के खिलाफ उकसाया था। दिल्ली पुलिस पर अखिलेश पति त्रिपाठी का आरोप था कि एक लड़की की हत्या के बाद पुलिस ने आरोपियों को पकड़ने में ना तो तत्परता दिखाई और ना ही कोई गंभीर कार्रवाई की। साथ ही अखिलेश पति त्रिपाठी ने दिल्ली पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन करने के दौरान पीड़िता के शरीर को सड़क पर रखकर जाम कर दिया था।
दरअसल सितंबर 2013 में मॉडल टाउन इलाके में एक लड़की की रेप के बाद कथित रूप से हत्या कर दी गई थी। पीड़िता के परिजनों का आरोप था कि पुलिस इस मामले में ना तो एफआईआर दर्ज कर रही थी और ना ही आरोपियों की गिरफ़्तारी के लिए कोई गंभीर कार्रवाई कर रही थी। जिसके बाद अखिलेश पति त्रिपाठी समेत कई लोगों ने त्रिपोली गेट पर विरोध प्रदर्शन किया था।
पुलिस ने त्रिपाठी के खिलाफ धारा 177,186,353, समेत कई अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया रहा। इनमें दंगा फ़ैलाने, डयूटी के वक्त लोक सेवक को बाधा पहुंचाने, लोकसेवक के मारपीट करना जैसी गंभीर धाराएं भी शामिल थी।
बता दें की अखिलेश पति त्रिपाठी दूसरे ऐसे विधायक हैं जिन्हें अदालत ने किसी मामले में दोषी ठहराया है। इससे पहले मालवीय नगर से आप विधायक सोमनाथ भारती को एक मामले में दोषी ठहराया गया था। इतना नहीं पुलिस ने विधायक सोमनाथ भारती को हिरासत में ले लिया था। हालांकि बाद में अदालत ने उन्हें जमानत दे दी। पुलिस के अनुसार सोमनाथ भारती ने 9 सितंबर 2016 को लगभग 300 अन्य लोगों के साथ मिलकर एक जेसीबी मशीन की मदद से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की एक दीवार को तोड़ दिया था।