दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने सोमवार को आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल द्वारा सीएम आतिशी को ‘अस्थायी मुख्यमंत्री’ करार दिए जाने पर चिंता जताई। उन्होंने इसे संविधान में निहित लोकतांत्रिक भावना और मूल्यों की घोर अवहेलना कहा। एलजी सक्सेना के इस बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि LG ऑफिस बीजेपी के प्रॉक्सी के रूप में काम कर रहा है।
सीएम आतिशी ने पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि उपराज्यपाल का कार्यालय भाजपा के ‘प्रॉक्सी’ के रूप में काम कर रहा है और केजरीवाल दिल्ली के सबसे बड़े नेता हैं। दो पेज के अपने जवाब में मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि एलजी सक्सेना नए साल में राजनीति का बोझ छोड़ देंगे और दिल्ली के नागरिकों के कल्याण पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
आतिशी ने अपने पत्र में 10 प्रमुख चिंताओं को रेखांकित किया। उन्होंने उपराज्यपाल पर रचनात्मक सहयोग के बजाय आलोचना को प्राथमिकता देने, अनावश्यक हस्तक्षेप करने से महत्वपूर्ण कामों को धीमा करने और महिला सम्मान योजना को रोकने का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उनका कार्यालय भाजपा का प्रॉक्सी बन गया है।
आतिशी का एलजी सक्सेना पर पलटवार
अपने जवाब में आतिशी ने कहा कि सक्सेना को सस्ती राजनीति छोड़कर सहयोग बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। आतिशी ने सवाल उठाया कि कोई राजनीति में इतना उलझ कैसे सकता है कि उसे लोगों की परवाह ही न रहे। उन्होंने कहा, “उपराज्यपाल का कार्यालय अब भाजपा के प्रॉक्सी के रूप में काम कर रहा है और पार्टी के हितों की रक्षा के उत्साह में आम दिल्लीवासियों के जीवन को नुकसान पहुंचा रहा है।”
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सीएम आतिशी को वीके सक्सेना ने लिखा था पत्र
यह विवाद तब शुरू हुआ जब मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में वीके सक्सेना ने कहा था कि केजरीवाल का आतिशी को अस्थायी सीएम कहना राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का अपमान है, जिन्होंने आतिशी को मुख्यमंत्री नियुक्त किया। साथ ही यह उनका (उपराज्यपाल का) भी अपमान है, क्योंकि वह खुद भी राष्ट्रपति के प्रतिनिधि हैं।
अरविंद केजरीवाल ने आतिशी को कहा था अस्थायी मुख्यमंत्री
सीएम आतिशी को लिखे अपने पत्र में दिल्ली के उपराज्यपाल ने कहा था, ‘‘कुछ दिन पहले जब आपके पूर्ववर्ती अरविंद केजरीवाल ने मीडिया में सार्वजनिक रूप से आपको अस्थायी या कामचलाऊ मुख्यमंत्री घोषित किया, तो मुझे यह बेहद आपत्तिजनक लगा और मैं इससे आहत हुआ। यह न केवल आपका अपमान था, बल्कि भारत के राष्ट्रपति और उनके प्रतिनिधि के रूप में मेरा भी अपमान था।”
एलजी ने कहा, “केजरीवाल द्वारा आपके पद की अस्थायी या तात्कालिक प्रकृति के बारे में दिया गया सार्वजनिक स्पष्टीकरण, किसी संवैधानिक प्रावधान का हिस्सा नहीं है और यह बीआर आंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान में निहित लोकतांत्रिक भावना और मूल्यों के प्रति घोर उपेक्षा है।” सक्सेना ने कार्यभार संभालने के बाद विभिन्न प्रशासनिक मुद्दों के समाधान के लिए आतिशी की सराहना भी की है। देश-दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लिए पढ़ें jansatta.com का LIVE ब्लॉग