लोकसभा चुनाव से कुछ हफ्ते पहले किसानों ने एक बार फिर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। हालांकि सरकार ने उनके आंदोलन शुरू होने से पहले ही उनसे बातचीत और उनकी बात सुनने के लिए पहल शुरू कर दी है। शनिवार को केंद्र सरकार ने कुछ किसान संगठनों को बातचीत के लिए साथ आने का प्रस्ताव भेजा है। ये वे संगठन हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में 13 मार्च को ‘दिल्ली चलो’ कार्यक्रम और विरोध मार्च करने का ऐलान किया है। सरकार ने उनके प्रस्तावित दिल्ली चलो कार्यक्रम से एक दिन पहले 12 फरवरी को दूसरे दौर की चर्चा के लिए आमंत्रित किया है।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने देर रात भेजा पत्र
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने शनिवार की देर रात संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के संयोजक जगजीत सिंह डल्लेवाल और किसान मजदूर मोर्चा (KMM) के संयोजक सरवन सिंह पंधेर को एक पत्र जारी कर उन्हें 12 फरवरी की शाम 5 बजे चंडीगढ़ में महात्मा गांधी स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन (MAGSIPA) में एक बैठक के लिए आमंत्रित किया है। इस बैठक में कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा, खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री पीयूष गोयल और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय सहित तीन सदस्यीय केंद्रीय टीम भाग लेगी। बैठक में किसानों की मांगों पर उनसे चर्चा होगी।
एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और केएमएम ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी को लेकर कानून बनाने समेत कई मांगों को स्वीकार करने का केंद्र पर दबाव बनाने के लिए ‘दिल्ली चलो’ मार्च की घोषणा की है। इसमें 200 से अधिक किसान संघ शामिल हैं।
यूनियन नेताओं के साथ एक दौर की बातचीत पहले हो चुकी है
इससे पहले तीनों मंत्री गुरुवार को चंडीगढ़ पहुंचे थे और किसान नेताओं के साथ बैठक की थी। उस बैठक का समन्वय पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने किया था, जिन्होंने बाद में कहा था कि अब निरस्त कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने पर आम सहमति बन गई है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री नकली बीज के निर्माताओं और विक्रेताओं के लिए कड़ी सजा पर भी सहमत हुए हैं।
पंजाब के सीएम ने केंद्र और किसानों के बीच समन्वय किया
बैठक के तुरंत बाद सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने अपने सोशल मीडिया पेज पर मान को केंद्र और किसानों के बीच एक पुल के रूप में उजागर करते हुए एक पोस्ट डाला था, जिसमें कहा गया था कि “पंजाब सरकार केंद्र तक उनकी मांगों को पहुंचाने और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए किसानों के साथ हमेशा कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रहेगी।”
पत्र और दूसरे दौर की बैठक के बारे में पूछे जाने पर पंधेर ने कहा, ”पहले दौर की वार्ता में किसान नेताओं के 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने भाग लिया था। 12 फरवरी की बैठक के लिए प्रतिनिधिमंडल बड़ा होगा। हम जल्द ही बैठक में शामिल होने वाले नेताओं के नाम तय करेंगे।” इस बीच दल्लेवाल ने चेतावनी दी कि “अगर बातचीत विफल रही” तो 2,000 से अधिक ट्रैक्टरों का काफिला पंजाब से दिल्ली की ओर बढ़ेगा। उन्होंने कहा, “हम सभी बैरिकेड्स को हटा देंगे जैसा कि हमने नवंबर 2020 में किया था। यूपी से 500 से अधिक ट्रैक्टर और राजस्थान से लगभग 200 ट्रैक्टर भी मार्च में हिस्सा लेंगे।”
भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के महासचिव हरिंदर सिंह लाखोवाल ने भी चेतावनी दी कि अगर पंजाब, हरियाणा या दिल्ली सरकारें “राष्ट्रीय राजधानी की ओर मार्च कर रहे किसानों पर किसी भी तरह का दमन करती हैं, तो हमारे संघ के सदस्य विरोध मार्च में शामिल होंगे।” लाखोवाल संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) की राष्ट्रीय समन्वय समिति के सदस्य हैं। एसकेएम दिल्ली चलो विरोध मार्च का हिस्सा नहीं है। लाखोवाल ने स्पष्ट किया कि जरूरत पड़ने पर विरोध मार्च में शामिल होने का निर्णय केवल उनकी यूनियन का है, एसकेएम का नहीं।