दिल्ली विधानसभा के इतिहास में यह पहला मौका होने जा रहा है, जब सत्ता पक्ष और विपक्ष में शीर्ष पदों पर दो महिलाएं विराजमान होंगी। भाजपा ने पहली बार विधानसभा में पहुंची रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाया है, वहीं आप ने भी पूर्व मुख्यमंत्री व वरिष्ठ आप नेता आतिशी को नेता प्रतिपक्ष चुना है।
अब तक का विधानसभा का इतिहास बताता है कि नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में आज से पहले केवल पुरुष नेताओं का ही कब्जा रहा है। इस प्रकार नई विधानसभा में एक तरफ मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता होंगी और दूसरी तरफ प्रतिपक्ष की अगुआई आतिशी करेंगी।
दिल्ली में अब तक आठ मुख्यमंत्री रहे हैं। एक महिला मुख्यमंत्री के सामने एक महिला नेता प्रतिपक्ष वाला समीकरण दिल्ली विधानसभा इस बार पहली बार देखने जा रही है। 1993 से लेकर 2024 तक नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में रहने वाले नेताओं में कांग्रेस नेता दीप चंद बंधु, भाजपा नेता मदन लाल खुराना, जगदीश मुखी, विजय कुमार मल्होत्रा, डा हर्ष वर्धन, विजेंद्र गुप्ता, राम वीर सिंह बिधूड़ी और एक बार फिर से विजेंद्र गुप्ता ने यह पद संभाला है।
विजेंद्र गुप्ता दो बार रहे चुके हैं नेता प्रतिपक्ष
इस पूरे सफर में एक बार ही कांग्रेस विपक्ष की भूमिका में थी। 1993 में जब भाजपा की सरकार बनी थी, उस समय में वजीरपुर से विधायक रहे कांग्रेस नेता दीप चंद बंधु नेता प्रतिपक्ष रहे। इसके बाद से विपक्ष में अहम भूमिका व नेता प्रतिपक्ष का किरदार भाजपा के पास ही रहा है। दिल्ली में विधानसभा बनने के बाद से लेकर आज तक सबसे लंबा राज एक साथ कांग्रेस पार्टी ने किया है और अपने पंद्रह साल के कार्यकाल को पूरा किया है। इसके बाद दूसरे नंबर पर लंबी सरकार चलाने का खिताब आम आदमी पार्टी के पास रहा है। इस सरकार ने पहले वर्ष 2014 में 49 दिन और इसके बाद दस साल तक राज किया है।
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आप पार्टी के कार्यकाल के बीच ही दिल्ली ने पहली बार राष्ट्रपति शासन का भी अनुभव लिया है और दिल्ली में करीब एक साल तक किसी भी पार्टी की सरकार नहीं थी। राष्ट्रपति शासन 15 फरवरी 2014 से शुरू हुआ था और 13 फरवरी 2015 को समाप्त हुआ। यह करीब 363 दिन का लंबा समय था।