दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Elections) का ऐलान किसी भी वक्त हो सकता है। महाराष्ट्र और झारखंड में सत्ता गंवाने के बाद अब राष्ट्रीय राजधानी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और BJP ऐक्शन में मोड में आ गए हैं। दिल्ली में भगवा पार्टी की नैया पार लगाने के लिए इनकी ओर से खास प्लान बनाया गया है।

दरअसल, मौजूदा दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल फरवरी 2020 में समाप्त हो जाएगा। और, भाजपा इसे अपने लिए बड़े मौके के रूप में देख रही है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वह सत्ता वापसी के ख्वाब देख रही है। बीजेपी की उम्मीद इसलिए भी अहम है, क्योंकि अगर वह जीत कर दिल्ली में आएगी, तो यहां 21 साल बाद उसकी जीत होगी।

सूत्रों के हवाले से कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि चुनावी तैयारियां जोरों पर हैं। पीएम मोदी और अमित शाह भी दिल्ली में रैलियां कर चुके हैं। इसी बीच, दिल्ली चुनाव को लेकर बीजेपी ने लगभग तीन दर्जन समितियां बनाई हैं। इन 36 कमेटियों में चुनाव प्रबंधन और घोषणा-पत्र के साथ दो विशेष सदस्यीय समितियां भी शामिल हैं। ये सभी कमेटियां सभी 70 विधानसभा सीटों से जुड़े स्थानीय मुद्दों पर ध्यान देंगी।

चुनाव के चलते BJP फिलहाल स्थानीय मुद्दों पर ध्यान दे रही है। पार्टी ने हाल ही में मुख्यमंत्री और AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल के खिलाफ राजधानी में पानी की गुणवत्ता को लेकर अभियान भी छेड़ा था।

दिल्ली बीजेपी चीफ मनोज तिवारी ने वादा किया था कि वह अगर सत्ता में आए, तब दिल्लीवासियों को उनकी सरकार बिजली-पानी पांच गुणा सस्ते दाम पर मुहैया कराएगी। यहां ध्यान देने वाली बात है कि 2015 में सत्ता में आने से पहले केजरीवाल ने भी सस्ती बिजली-पानी को मुद्दा बनाया था और शानदार जीत हासिल की थी।

केंद्र ने इसके इलावा कुछ दिनों पहले संसद में एक बिल पेश किया था, जिसके तहत राजधानी में अवैध कॉलोनियों में रह रहे लोगों को राहत देने की बात थी। संसद के दोनों सदनों में पारित हो चुके इस बिल के तहत 1700 से अधिक अवैध कॉलोनियों की पहचान की गई थी। बीजेपी को उम्मीद है कि वह इस बिल के बलबूते सत्ता में आ सकती है।

बता दें कि बीजेपी और पार्टी का शीर्ष नेतृत्व पिछले कुछ समय में राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के मोर्चे पर विभिन्न राज्यों में सरकार बनाने में सफल रहे, पर थोड़ ही समय बाद जनता का उनसे मोहभंग हो गया। इस बात की नजीर पहले हिंदी पट्टी के तीन बड़े राज्यों में देखने को मिली, जहां मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी को सत्ता से हाथ धोना पड़ा था।

फिर बारी आई हरियाणा की। यहां भी पार्टी को झटका लगा, क्योंकि उसे यहां दुष्यंत चौटाला की पार्टी के साथ मिल कर सरकार बनाना पड़ा। और, उसके बाद महाराष्ट्र और झारखंड में दोनों ही जगह भगवा पार्टी को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा।