Delhi Assembly Elections 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए सभी 70 सीटों पर 5 फरवरी को वोटिंग होनी है। इसके पहले चुनाव प्रचार अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है। इस चुनाव प्रचार में एक बार फिर यमुना के पानी को लेकर हरियाणा और दिल्ली के बीच टकराव की स्थिति है और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा की बीजेपी सरकार पर यमुना नदी के पानी में जहर मिलाने का आरोप लगाया है, जिसने सियासत को एक नया मोड़ दिया है।

दरअसल, दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी अरविंद केजरीवाल से एक कदम और आगे बढ़ गई और हरियाणा की हरकतों को “जल आतंकवाद” तक कह दिया। मंगलवार को चुनाव आयोग को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड के सीईओ के नोट से पता चलता है कि हरियाणा से यमुना नदी के ज़रिए दिल्ली आने वाले पानी में हरियाणा से अनुपचारित सीवेज या औद्योगिक कचरे के मिलने की वजह से अमोनिया का स्तर लगातार बढ़ रहा है, पिछले दो दिनों में यह स्तर 7 पीपीएम से ज़्यादा हो गया है, यानी उपचार योग्य सीमा से 700% ज़्यादा है।

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सीएम नायब सिंह सैनी ने बोला केजरीवाल पर हमला

इस विवाद को बढ़ता देख हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी ने केजरीवाल पर करारा हमला बोला और कहा कि केजरीवाल को माफी मांगनी चाहिए। सीएम सैनी ने पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल को माफी न मांगने पर मानहानि पर मुकदमा दर्ज करने की धमकी तक दे डाली। सीएम सैनी ने कहा है कि केजरीवाल ने उस भूमि का अपमान किया है, जहां वे पैदा हुए हैं, हरियाणा के लोग यमुना को पवित्र नदी मानते हैं और उसकी पूजा करते हैं। वे इसके पानी में ज़हर क्यों मिलाएंगे?

1995 से ही शुरु हो गया था विवाद

राज्य की सियासत में नया वाकयुद्ध नदी को लेकर दोनों राज्यों के बीच चल रहे झगड़े का बढ़े बवाल का संकेत है, जो 1995 से ही राजनीतिक और कानूनी रूप से चल रहा है। दरअसल, 31 मार्च, 1995 को, सर्वोच्च न्यायालय ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए राजधानी में पेयजल की कमी को कम करने के लिए यमुना में पानी का नियमित प्रवाह बनाए रखने के लिए हरियाणा को निर्देश देने की मांग की गई थी।

इस मामले में एक अंतरिम आदेश में कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली को पानी की सख्त जरूरत है, जिसे तत्काल प्रभाव से उसका आवंटित पानी दिया जाना चाहिए। इसलिए हम समझौता के सभी पक्षों को यह आश्वासन देने का निर्देश देते हैं कि पर्याप्त पानी, जो मौसमी आवंटन का लगभग 2 ½ गुना है, मार्च से जून 1995 की अवधि के दौरान, उसके उपभोग के लिए जारी किया जाए।

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पांच सीएम के बीच हुआ था समझौता

शीर्ष अदालत ने जिस समझौता का उल्लेख किया है, उस पर मई 1994 में यमुना जल के आवंटन को लेकर पांच मुख्यमंत्रियों ने हस्ताक्षर किए थे। इनमें दिल्ली और हरियाणा के अलावा उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने भी हस्ताक्षर किए थे। कुछ ही महीनों के भीतर सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दो अवमानना ​​याचिकाएं दायर की गईं, जिनमें उसके आदेश का जानबूझकर उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया, लेकिन कोर्ट ने फरवरी 1996 में इन याचिकाओं को खारिज करते हुए फैसला सुनाया है।

इसमें यह समझौता हुआ था कि दिल्ली को यमुना नदी के माध्यम से हरियाणा से घरेलू उपयोग के लिए उतना ही पानी मिलता रहेगा, जितना वजीराबाद और हैदरपुर में दो जलाशयों और उपचार संयंत्रों में भरा जा सकता है। वजीराबाद और हैदरपुर दोनों जलाशय हरियाणा द्वारा यमुना नदी के माध्यम से आपूर्ति किए गए पानी से अपनी क्षमता तक भरे रहेंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने दिया था हरियाणा को आदेश

कोर्ट ने हरियाणा को आदेश दिया कि वह उसके निर्देशानुसार दिल्ली को पानी की आपूर्ति में बाधा न डाले, साथ ही कहा कि उसका आदेश राज्यों के बीच हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन से स्वतंत्र है। वजीराबाद जलाशय में पानी के स्तर में गिरावट की पृष्ठभूमि में, दिल्ली जल बोर्ड ने अप्रैल 2018 में फिर से सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जिसमें आरोप लगाया गया कि राजधानी को यमुना के अपने हिस्से का केवल एक तिहाई पानी मिल रहा है और इस संबंध में हरियाणा सरकार को नए निर्देश देने की मांग की। कोर्ट ने दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों को तुरंत बैठक करने और जल्द से जल्द इस मुद्दे को हल करने का निर्देश दिया।

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इतना ही नहीं, मई 2018 में जब गर्मी ने एक बार फिर दिल्ली में पानी की समस्या ला दी, तो हरियाणा में तत्कालीन मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली BJP सरकार ने राजधानी में अपनी समकक्ष सरकार को आश्वासन दिया कि वह मानसून के आगमन तक पानी जारी रखेगी, बशर्ते दिल्ली की आप सरकार जल विवाद से संबंधित विभिन्न अदालतों के साथ-साथ NGT में सभी मामले वापस ले ले।

नवंबर 2021 में फिर गर्माया था यमुना का मुद्दा

नवंबर 2021 में यमुना का मुद्दा एक बार फिर तब सामने आया कि जब दिल्ली जल बोर्ड उपाध्यक्ष और वर्तमान आप के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश और हरियाणा जैसे दिल्ली के पड़ोसी राज्य यमुना में अनुपचारित अपशिष्ट जल छोड़कर इसे प्रदूषित कर रहे हैं, जिससे राजधानी पीने के पानी से वंचित हो रही है।

जुलाई 2025 में एक नया मोड़ आया। इससे पहले हरियाणा और दिल्ली सरकारें पानी की कमी को लेकर आपस में भिड़ी थी, लेकिन उस महीने दिल्ली में आई बाढॉ के बाढ़ के बाद पानी को लेकर भिड़ गई थी। आप सरकार ने आरोप लगाया कि हरियाणा के यमुनानगर जिले में हथिनीकुंड बैराज से जानबूझकर पानी छोड़ा गया ताकि राजधानी में बाढ़ आ जाए। मई 1994 में पांच राज्यों के बीच हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन के एक भाग के रूप में बैराज प्रवाह को नियंत्रित करता है और हरियाणा में पश्चिमी यमुना नहर और उत्तर प्रदेश में पूर्वी यमुना नहर के माध्यम से हस्ताक्षरकर्ता राज्यों को पानी आवंटित करता है।

जून 2024 में दिल्ली की तत्कालीन जल मंत्री आतिशी ने हरियाणा सरकार पर यमुना के पानी का अपना हिस्सा न देकर दिल्ली के खिलाफ़ साजिश करने का आरोप लगाया और अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी। स्वास्थ्य खराब होने के बाद उन्होंने पांच दिनों में इसे समाप्त कर दिया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि हरियाणा सरकार दिल्ली के हिस्से का पानी हड़पने की कोशिश कर रही है, जिसे हिमाचल प्रदेश सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के अनुसार छोड़ रहा था। दिल्ली चुनाव से जुड़ी अन्य सभी खबरों के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।