देश की राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों में आज 24 अक्टूबर को प्रदूषण के स्तर में मामूली सुधार देखा गया है, लेकिन हालात अब भी गंभीर बने हुए हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, सुबह 8 बजे दिल्ली का औसत एक्यूआई 332 दर्ज किया गया, जबकि कई क्षेत्रों में 300 से ऊपर रहा। राहत की बात यह है कि आज कोई भी क्षेत्र 400 के पार नहीं पहुंचा, लेकिन यह सुधार नाकाफी है। बढ़ते वायु प्रदूषण के मद्देनजर प्रशासन की सक्रियता बढ़ी है, और दिल्ली में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) का दूसरा चरण भी लागू किया जा चुका है।
गुरुवार की सुबह दिल्ली के अलीपुर में 339, आनंद विहार में 390, अशोक विहार में 351, बवाना में 379, बुराड़ी में 357, चांदनी चौक में 233 और आईजीआई एयरपोर्ट पर 334 एक्यूआई दर्ज किया गया।
प्रदूषण पर राजनीतिक बहस भी तेज हो गई है। उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने मुख्यमंत्री आतिशी को पत्र लिखते हुए प्रदूषण की गंभीर स्थिति पर चिंता व्यक्त की है। पत्र में उन्होंने कहा कि दिल्ली के हालात पड़ोसी राज्यों से आने वाले पराली के धुएं के कारण खराब हो रहे हैं, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि हमें अपनी ओर से भी ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। उपराज्यपाल ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी, तो वे फिर से पड़ोसी राज्यों से सहयोग मांगेंगे, लेकिन पहले हमें दिल्ली में अपने संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल करना चाहिए।
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सुप्रीम कोर्ट ने भी प्रदूषण पर गंभीर रुख अपनाते हुए केंद्र सरकार को फटकार लगाई है। बुधवार को कोर्ट ने कहा कि हर भारतीय नागरिक का मौलिक अधिकार है कि वह प्रदूषण मुक्त वातावरण में सांस ले सके। कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के प्रावधानों के कमजोर क्रियान्वयन पर सवाल उठाए और सरकारों से सख्त कदम उठाने की मांग की। कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हुए वहां की सरकारों को भी कड़ी फटकार लगाई।
कोर्ट ने कहा कि मौजूदा कानूनों को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए और इस बात पर जोर दिया कि यह सिर्फ एक प्रशासनिक मामला नहीं, बल्कि अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। पंजाब में अब तक 1,000 से ज्यादा और हरियाणा में 400 से अधिक पराली जलाने के मामले सामने आए हैं, जो दिल्ली की वायु गुणवत्ता को खराब कर रहे हैं।
कोर्ट ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए अदालत को कठोर आदेश जारी करने होंगे, चाहे ये कितने भी अप्रिय क्यों न हों। दिल्ली की बढ़ती प्रदूषण समस्या के बीच, नागरिकों में स्वास्थ्य चिंताएं भी बढ़ गई हैं। विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग, बुजुर्ग, और बच्चे घर के अंदर ही रहें और बाहर निकलते समय मास्क का इस्तेमाल करें। प्रशासन ने भी नागरिकों से अपील की है कि वे निजी वाहनों के बजाय सार्वजनिक परिवहन का अधिक इस्तेमाल करें और प्रदूषण फैलाने वाले किसी भी तरह के कार्यों से बचें।