दिल्ली में ओखला के विधायक और आम आदमी पार्टी के नेता अमानतुल्लाह खान (Amanatullah Khan) गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) के दफ्तर पहुंचे। ईडी के अफसर उनसे दिल्ली वक्फ बोर्ड मनी लॉड्रिंग केस में पूछताछ कर रहे हैं। यह मामला 2018-2022 का है। उन पर आरोप है कि इस दौरान अमानतुल्लाह खान दिल्ली वक्फ बोर्ड के चेयरमैन रहते हुए कई कर्मचारियों की नियुक्तियों में अनियमितता बरतीं। इतना ही नहीं वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को भी गलत तरीके से पट्टे पर दे दिया। इस पूरी कवायद में उन्होंने आर्थिक लाभ भी कमाए। ईडी के छापे में इसके सबूत मिले हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने अपील पर विचार करने से मना कर दिया
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली वक्फ बोर्ड मामले में अग्रिम जमानत के लिए आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक अमानतुल्ला खान की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था। खान की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ उनकी अपील पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने हाईकोर्ट के आदेश में कुछ टिप्पणियों पर भी आपत्ति व्यक्त की। और कहा कि उन्हें साक्ष्य से संबंधित गुण-दोष के आधार पर निष्कर्ष या ईडी द्वारा भरोसा की गई सामग्री के रूप में नहीं माना जाएगा।
पीठ ने कहा, “हम अपील में उस हद तक नोटिस जारी करने के इच्छुक नहीं हैं, जहां तक यह अग्रिम जमानत से इनकार करता है। हालांकि, हम स्पष्ट करते हैं कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 50 की व्याख्या के संबंध में निर्णय की टिप्पणियों और योग्यता के आधार पर हमारी कुछ आपत्तियां हैं। हम स्पष्ट करते हैं कि निर्णय में की गई टिप्पणियों को ईडी द्वारा भरोसा किए गए साक्ष्य या सामग्री से संबंधित गुण-दोष के आधार पर निष्कर्ष के रूप में नहीं माना जाएगा। मुद्दा खुला छोड़ दिया गया है।”
खान की ओर से पेश होते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विक्रम चौधरी ने दलील दी कि अपराध को स्थापित करने के लिए कोई सबूत नहीं है। हालांकि, न्यायमूर्ति खन्ना ने वकील से कहा कि बार-बार समन का जवाब न देकर खान ने अपना ही मामला गड़बड़ कर दिया है, और पूछा: “इसे कैसे माफ किया जा सकता है?”
उन्होंने ईडी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से यह भी कहा कि हालांकि पीएमएलए धारा 50 के तहत सह-अभियुक्त के बयान की विश्वसनीयता इस स्तर पर स्थापित करने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन अदालत के समक्ष ठोस सबूत क्या है। व्यक्ति द्वारा अदालत में दिया गया वास्तविक बयान, न कि पहले वाला।
लोकसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी के नेता अमानतुल्लाह खान के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय की पूछताछ और मनी लॉड्रिंग के आरोप से भड़के अमानतुल्लाह खान और उनके समर्थकों का कहना है कि यह सिर्फ बदनाम करने की साजिश है।
