राजनीतिक दलों द्वारा चुनावी फायदे के लिए कथित तौर पर सेना का इस्तेमाल करने के विरोध में हाल ही में कुछ रिटायर्ड सैन्य अफसरों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को चिट्ठी लिखी थी। एक अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, यह चिट्ठी अब राष्ट्रपति भवन पहुंच चुकी है। सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि इस चिट्ठी पर रिटायर्ड अफसरों के दस्तखत नहीं हैं।
द टेलिग्राफ से बातचीत में राष्ट्रपति के प्रेस सेक्रेटरी अशोक मलिक ने कहा, ‘हमें कोई दस्तखत वाली चिट्ठी नहीं मिली है।’ वही, 15 अप्रैल को यह चिट्ठी भेजने वाले रिटायर्ड मेजर प्रियदर्शी चौधरी ने इस दावे को ‘चौंकाने वाला और बकवास’ करार दिया है। उन्होंने कहा, ‘मैंने लेटर पर साइन किए थे, जिसका 150 से ज्यादा वेटरन अफसरों ने समर्थन किया था। यह हैरान करने वाला है कि वे दावा कर रहे हैं कि इस पर किसी के साइन नहीं हैं।’ उन्होंने आगे कहा, ‘यह एक ओपन लेटर है और देश भर की मीडिया में इसके बारे में विस्तार से लिखा गया है। ऐसा लगता है कि वे इस लेटर पर संज्ञान नहीं लेना चाहते और इसलिए ऐसे तुच्छ बहाने पेश किए जा रहे हैं।’
बता दें कि मीडिया में ऐसी खबरें आई थीं कि कुछ पूर्व सैन्य प्रमुखों समेत 150 से ज्यादा सेवानिवृत्त सैन्यकर्मियों ने सैन्य बलों के सुप्रीम कमांडर राष्ट्रपति को यह चिट्ठी लिखी थी। रिपोर्ट के मुताबिक, डाक विभाग के आंकड़े यह बताते हैं कि चिट्ठी को स्पीड पोस्ट के जरिए 15 अप्रैल को भुवनेश्वर के खोरदा से पोस्टर किया गया। यह 18 अप्रैल को शाम 4 बजकर 32 मिनट पर राष्ट्रपति भवन को डिलिवर हो गया था। मेजर चौधरी का कहना है कि उन्होंने यह चिट्ठी राष्ट्रपति भवन को 12 अप्रैल अर्धरात्रि को ईमेल भी किया था।
हालांकि, प्रेस सेक्रेटरी मलिक ने ऐसा कोई ईमेल पाने से इनकार किया। बता दें कि सेना के रिटायर्ड अफसरों का यह अभूतपूर्व कदम उस वक्त सामने आया, जब इससे कुछ दिन पहले चुनाव प्रचार के दौरान सीमा पार सेना की कार्रवाई का जिक्र करते हुए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने ‘मोदीजी की सेना’ का इस्तेमाल किया था। वहीं, पीएम मोदी भी बालाकोट एयरस्ट्राइक और पुलवामा के शहीदों का जिक्र करते हुए पहली बार वोट देने वाले मतदाताओं से अपील करते नजर आए थे। हालांकि, लेटर में किसी राजनेता या पार्टी का जिक्र नहीं था।

