रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार (तीन मई, 2019) को रूस के 10 कैमोव-31 हेलीकॉप्टर्स के अधिग्रहण पर हरी झंडी दे दी। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, यह पूरा प्रोजेक्ट लगभग 3600 करोड़ रुपए का है, जबकि इन हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल एयरबॉर्न अर्ली वॉर्निंग (दुश्मनों के विमानों को लेकर चेताएगा और बताएगा कि रडार में लोकेशन क्या है) की भूमिका में किया जाएगा।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारतीय नौसेना ने अपने मालवाहक विमानों और बड़े युद्धपोतों को विभिन्न किस्म के हवाई खतरों से बचाने के लिए इन रूसी विमानों के अधिग्रहण का प्रस्ताव रखा था।ये चॉपर अन्य हेलीकॉप्टरों की तुलना में हल्के होंगे, जिससे इन पर नियंत्रण करना आसान होगा। ये इसके अलावा विरोधियों पर सटीक निशाना लगाने में काफी बढ़िया हैं।

जानकारी के अनुसार, मौजूदा समय में रूस के अलावा कैमोव-31 चीन और भारतीय नौसेना के पास है। बताया जाता है कि इस चॉपर का नाटो नाम हेलिक्स है, जिसमें शुरुआती चेतावनी देने वाला रडार भी है। हेलीकॉप्टर में चालक दल के दो सदस्य होते हैं। हालांकि, भारत की जरूरतों के लिहाज से इन हेलीकॉप्टरों में कुछ फेरबदल भी किए गए हैं।

‘एएनआई’ की खबर में आगे कहा गया कि रक्षा मंत्रालय ने इसके अलावा एक बैठक तय की है, जिसमें भारतीय तटरक्षकों के लिए छह मैरिटाइम सर्विलांस एयक्राफ्ट के अधिग्रृहण के प्रस्ताव पर चर्चा होगी। ये विमान सी-295 एयरफ्राफ्ट प्लैटफॉर्म पर आधारित होंगे और माना जा रहा है कि वे वायु सेना में एव्रो ट्रांसपोर्ट प्लेन्स की जगह लेंगे।

बता दें कि भारतीय नौसेना के पास पहले से ही 12 कैमोव-31 चॉपर्स का दस्ता है, जबकि एंटी-सब्मरीन वॉरफेयर ऑपरेशंस के लिए नौसेना के पास रूस के कैमोव-28 की एक फ्लीट है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने चुनावी माहौल के बीच सेना के आधुनिकिकरण से जुड़ी योजनाओं पर किसी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ने दिया है। ऐसा इसलिए, क्योंकि आम चुनाव की प्रक्रिया के दौरान भी रक्षा अधिगृहण परिषद और सुरक्षा के मसले पर कैबिनेट कमेटी की बैठकें लगातार होती रही हैं।