Assam Woman Dulubi Bibi: ‘मुझे दो साल और दस दिन तक हिरासत में क्यों रखा गया? पीड़ा और कठिनाई के लिए कौन जिम्मेदार है?’ यह सवाल उस पीड़ित महिला का है। जिसे हाल ही में भारतीय नागरिक घोषित किया गया। कभी न खत्म होने वाले दुःस्वप्न की तरह लगने वाली घटना के बाद 48 वर्षीय दुलुबी बीबी को भारतीय नागरिक घोषित किए जाने के कुछ दिनों बाद शुक्रवार को उनके सवालों का तत्काल कोई जवाब नहीं मिला।
2017 में बीबी को मतदाता सूची में उनके नाम में विसंगतियों के कारण असम में एक न्यायाधिकरण द्वारा “विदेशी” घोषित किया गया था। जिसके बाद उनको हिरासत शिविर में भेज दिया गया था। जहां उन्होंने दो साल गुजारे, लेकिन यह कठिन परीक्षा वास्तव में बहुत पहले ही 1997 में शुरू हो गई थी। असम के कछार जिले के खासपुर गांव की निवासी बीबी पहली बार उस वर्ष उधारबोंड विधानसभा क्षेत्र से मतदाता सूची के पुनरीक्षण के दौरान निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी की जांच के दायरे में आईं। मसौदा मतदाता सूची में उनका नाम दुलुबी बीबी के रूप में था, लेकिन पहले की मतदाता सूची में उनका नाम शामिल नहीं था, जिससे उनकी नागरिकता पर संदेह पैदा हो गया था।
अगले वर्ष अवैध प्रवासी (Determination by Tribunals) अधिनियम के तहत एक मामला दर्ज किया गया था, लेकिन 2015 में ही उसे विदेशी न्यायाधिकरण से नोटिस मिला। 20 मार्च, 2017 को ट्रिब्यूनल ने उन्हें “विदेशी” घोषित कर दिया। बीबी ने 25 मार्च, 1971 के बाद देश में प्रवेश किया था।
छह साल बाद यह साफ हो गया है कि 1997 की मतदाता सूची में दुलुबी बीबी वही व्यक्ति थीं, जो 1993 की मतदाता सूची में दुलबजन बेगम थीं। उनके पिता और दादा का विवरण 1965 की मतदाता सूची में पाया जा सकता है।
27 अप्रैल, 2020 को जमानत पर रिहा होने से पहले उन्होंने सिलचर में एक हिरासत शिविर में दो साल बिताए। उन्होंने कहा कि रिहाई के बाद मुझे अपने पति के बिना अकेले सिलचर से ऊपर और नीचे यात्रा करते रहना पड़ा, क्योंकि यह हम दोनों के लिए बहुत महंगा था। प्रत्येक यात्रा पर उसे लगभग 600 रुपये का खर्च आया।
2017 में विदेशी घोषित किए जाने के बाद बीबी ने 1965 की मतदाता सूची लेकर गोवाहाटी हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसमें उनके दादा और पिता के नाम शामिल थे। 1965 की मतदाता सूची में उनके दादा का नाम मजमिल अली था। 1985 की मतदाता सूची में उनके पिता का नाम मजमिल अली लस्कर के बेटे सिराई मिया लस्कर के रूप में था, जबकि 1993 की मतदाता सूची में उनका नाम मजमिल अली के बेटे सिराई मिया के रूप में था। 1993 की मतदाता सूची में उन्हें सिराई मिया की बेटी डोलोबजान बेगम के रूप में दिखाया गया था। बीबी ने यह साबित करने के लिए लगातार कोशिश करती रहीं कि वो एक भारतीय नागरिक हैं।
अप्रैल में हाई कोर्ट ने स्वीकार किया कि अगर जिस बात की लगातार कोशिश बीबी कर रही हैं, उसकी पुष्टि की जाती है तो मामले से पर्दा उठ सकता है। जिसके बाद कोर्ट ने कहा कि पहले इस मामले की पुष्टि की जानी चाहिए कि क्या मजमिल अली और मजमिल अली लस्कर, सिराई मिया और सिराई मिया लस्कर, और डोलोबजान बेगम और दुलुबी बीबी अलग-अलग मतदाता सूचियों में अलग-अलग नाम – एक ही लोग हैं। बीबी जिस बात का जिक्र कर रही थी उसकी जांच और सत्यापन करने और उसके अनुसार आदेश पारित करने के लिए मामले को कोर्ट ने वापस ट्रिब्यूनल को भेज दिया।
7 अक्टूबर के एक आदेश में सिलचर में फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल 3 ने कहा कि प्रस्तुत दस्तावेजों के आधार पर उसे बीबी के परिवार के सदस्यों के संबंधों की बहुत विस्तृत जानकारी मिली, जो परिवार की निरंतरता का खुलासा करती है। इसने घोषणा की कि वह “भारत की नागरिक है जो भारत में रहने वाले भारतीय नागरिकों से पैदा हुई है”।
सिलचर स्थित सामाजिक कार्यकर्ता कमल चक्रवर्ती ने कहा, ‘समस्या विभिन्न मतदाता सूचियों में विसंगतियों की है। देश भर में लोगों ने कभी नहीं देखा कि वोटिंग सूचियों में उनके नाम किस तरह सूचीबद्ध हैं, लेकिन इसका उन लोगों पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है जिनकी नागरिकता संदेह के घेरे में है।’ बता दें, कमल चक्रवर्ती वो हैं जिन्होंने इस पूरे मामले में बीबी की सहायता की।
असम में नागरिकता एक विवादास्पद मुद्दा है, जहां अक्सर आरोप सामने आते हैं कि राज्य में बांग्लादेश से बड़ी संख्या में “अवैध अप्रवासी” हैं। अगस्त 2019 में “विदेशियों” की पहचान करने के प्रयास में एक अपडेट राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) प्रकाशित किया गया था, जिसमें 19 लाख लोग शामिल नहीं थे। नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए राज्य में प्रवेश के लिए कट-ऑफ तारीख 24 मार्च 1971 स्थापित करती है, जिसका अर्थ है कि जो लोग बाद में आएंगे उन्हें “अवैध अप्रवासी” माना जाएगा। अंतिम एनआरसी भी इसी कट-ऑफ तारीख के साथ आयोजित की गई थी।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस साल 15 मार्च तक गोलपारा में “अवैध विदेशियों” के लिए बनाए गए डिटेंशन कैंप में 185 निर्वासित घोषित विदेशी नागरिक बंद थे।