बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले हिंसा का दौर जारी है। बीरभूम में नदी किनारे से एक बीजेपी कार्यकर्ता का शव बरामद किया गया है। घटना के लेकर बीजेपी की तरफ से तृणमूल कांग्रेस पर आरोप लगाए गये हैं। इससे पहले बीजेपी की तरफ से लगातार ये दावा की जाती रही है कि बंगाल में उसके करीब 130 कार्यकर्ता मारे जा चुके हैं और इन हत्याओं के पीछे ममता के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ टीएमसी का हाथ है।
गृहमंत्री अमित शाह ने एक चुनावी सभा में कहा था कि दीदी आप व्हील चेयल से इधर-उधर धूम रही हैं। मैं आपके पैर के दर्द को लेकर चिंतित हूं लेकिन क्या आपको बीजेपी के 130 कार्यकर्ताओं की हत्या का दर्द भी है? अमित शाह ने कहा था कि बंगाल में हम आशा करते थे कि यहां कम्युनिस्ट शासन जाने के साथ ही राजनीतिक हिंसा समाप्त हो जाएगी। मगर टीएमसी ने तो कम्युनिस्ट सरकार को भी अच्छा कहलवा दिया है।
बताते चलें कि जब से चुनाव की घोषणा हुई है उसके बाद से बंगाल में हिंसा के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। बीजेपी और टीएमसी की तरफ से लगातार एक दूसरे पर हिंसा का आरोप लगाया जाता रहा है। पिछले ही सप्ताह हुगली के बालागढ़ थाना इलाके में 28 साल के एक टीएमसी कार्यकर्ता की हत्या कर दी गयी थी। इस घटना मे मृतक के परिजनों ने बीजेपी पर हत्या का आरोप लगाया था।
बंगाल में चुनावी हिंसा का पुराना है इतिहास: बंगाल में चुनावी हिंसा को लेकर कई बार सवाल उठते रहे हैं। सत्ता में आने से पहले टीएमसी की तरफ से लेफ्ट पार्टियों पर आरोप लगाए जाते थे। आंकडों के अनुसार बंगाल में 1977 से 2007 तक लगभग 28 हजार राजनीतिक हत्या हुई थी। बंगाल में 2018 में पंचायत चुनाव के दौरान भी व्यापक हिंसा देखने को मिली थी।
2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भी हिंसा का दौर देखने को मिला था। इस दौरान 12 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। हाल ही में मुर्शिदाबाद में पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर बम बरामद किया था जिसे लेकर आशंका जातायी जा रही थी कि इसका प्रयोग विधानसभा चुनाव के दौरान करने की योजना थी।