उपचुनावों के नतीजे सत्तारूढ़ दल भाजपा के खिलाफ जाने से पार्टी में निराशा का माहौल है। हिमाचल प्रदेश में भाजपा की सरकार होने के बावजूद एक लोकसभा सीट मंडी और तीन विधानसभा क्षेत्रों फतेहपुर, अर्की और जुबल-कोटखाई के उपचुनावों में पार्टी को एक भी सीट नहीं मिल सकी है। इससे तो ऐसा लगता है कि उपचुनाव ने भाजपा के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। रणनीतिकारों का मानना है कि इस संकेत को समझकर पार्टी को और मेहनत करने की जरूरत है।

अगले कुछ महीनों बाद कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसको लेकर सभी दलों में तैयारियां तेजी से चल रही हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण यूपी, उत्तराखंड और पंजाब का चुनाव है। इसके अलावा गोवा और मणिपुर में भी चुनाव होंगे। केंद्र में भाजपा के नेतृत्व में पिछले सात वर्षों से एनडीए की सरकार है। चुनाव वाले राज्य यूपी और उत्तराखंड में भी भाजपा की सरकार है। केंद्र और प्रदेश दोनों जगह एक ही दल की सरकार होने से ऐसी उम्मीद रहती है कि सत्तारूढ़ दल को चुनाव में फायदा मिलेगा, लेकिन चार दिन पहले हिमाचल प्रदेश में हुए उपचुनाव के मंगलवार को आए नतीजे उम्मीद के विपरीत रहे।

चारों सीटों पर जनादेश कांग्रेस के पक्ष में गया। खास बात यह है कि लोकसभा क्षेत्र मंडी राज्य के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का गृह जिला है। जुबल-कोटखाई सीट पर तो भाजपा प्रत्याशी नीलम सेराइक अपनी जमानत भी नहीं बचा सकीं, उन्हें महज 2,644 वोट मिले। सेराइक को पार्टी के बागी के हाथों हार झेलनी पड़ी, जिनके पिता पहले इस सीट से विधायक हुआ करते थे। फतेहपुर और अर्की सीटें पहले से कांग्रेस के पास थी, पार्टी उसको बरकरार रखने में सफल रही।

हालांकि राज्य में इस शिकस्त के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने महंगाई के मुद्दे को विपक्ष द्वारा जोरशोर से उठाने को जिम्मेदार बताया है। उनका कहना है कि “कांग्रेस ने महंगाई को हथियार के रूप में इस्तेमाल किया, जो इस उपचुनाव में एक मुद्दा था, लेकिन महंगाई एक वैश्विक मुद्दा है, सिर्फ यहीं नहीं … इन सभी चीजों से हमारा नुकसान हुआ।” कहा कि भाजपा उपचुनाव में पार्टी की हार पर आत्मावलोकन करेगी।

कुछ नतीजे सत्तारूढ़ भाजपा के पक्ष में भी गए हैं। असम में भाजपा और उसके सहयोगी दल को सभी सीटों पर सफलता मिली है। मध्य प्रदेश में खंडवा लोकसभा सीट सत्तारूढ़ भाजपा ने बरकरार रखी और कांग्रेस से जोबट (सुरक्षित) और पृथ्वीपुर विधानसभा सीटें छीन ली।