जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के एक पूर्व कांस्टेबल की याचिका पर केंद्र सरकार और तीन अन्य पक्षों को नोटिस जारी किया है। पूर्व कांस्टेबल मुनीर अहमद ने अपनी बर्खास्तगी को इस आधार पर चुनौती दी है कि उन्होंने एक पाकिस्तानी नागरिक से शादी करने की जानकारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दी थी, इसके बावजूद उन्हें सेवा से हटाया गया। याचिका में उन्होंने दावा किया है कि उनकी बर्खास्तगी मनमानी, मनमौजी और असंगत है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 से उन्होंने बार-बार नियमों का पालन करते हुए अधिकारियों को शादी की सूचना दी थी।
नोटिस तब जारी हुआ जब मुनीर अहमद ने अदालत में यह दलील दी कि उन्होंने न केवल राजौरी जिले के सुंदरबनी में तैनात सीआरपीएफ की 72वीं बटालियन को, बल्कि भोपाल के बंगरासिया स्थित 41वीं बटालियन को भी अपनी शादी के बारे में जानकारी दी थी। उन्होंने बताया कि उन्होंने 24 मई 2023 को अपनी चचेरी बहन मेनल खान से विवाह किया था। अदालत ने सीआरपीएफ के महानिदेशक, दोनों बटालियनों के कमांडेंट को नोटिस जारी करते हुए उन्हें 30 जून तक अपनी आपत्ति दर्ज कराने का समय दिया है।
2 मई को सीआरपीएफ ने मुनीर अहमद को बर्खास्त कर दिया था
दो मई को सीआरपीएफ की 41वीं बटालियन के कमांडेंट ने एक आदेश में कहा कि मुनीर अहमद को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त किया जाता है क्योंकि उन्होंने एक पाकिस्तानी नागरिक को भारत में शरण दी और उससे विवाह किया, जिसकी जानकारी संबंधित अधिकारियों को नहीं दी गई। आदेश में इसे गंभीर कदाचार बताया गया और कहा गया कि यह कार्य राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है।
बर्खास्तगी का निर्णय तब सामने आया जब मुनीर की पत्नी मेनल उन पाकिस्तानी नागरिकों में शामिल थीं जिन्हें पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत छोड़ने का नोटिस मिला था। इस हमले में 26 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें एक नेपाली नागरिक भी शामिल था। मुनीर ने अपनी पत्नी के निर्वासन को अदालत में चुनौती दी थी और इस आरोप को खारिज किया कि उन्होंने शादी की सूचना नहीं दी। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि सीआरपीएफ को विवाह की सूचना दी गई थी और बल ने एक पत्राचार में इसे स्वीकार भी किया था।
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याचिका में बताया गया कि उन्होंने 2022 में प्रस्तावित विवाह की सूचना सीआरपीएफ को दी थी, जिसे कुछ आपत्तियों के साथ लौटा दिया गया था। इसके उत्तर में उन्होंने अक्टूबर 2023 में जवाब प्रस्तुत किया। 17 नवंबर 2023 को सीआरपीएफ के महानिरीक्षक ने एक मेसेज में विशेष पुलिस महानिदेशक को सूचित किया कि याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम 21(3) के तहत पर्याप्त हैं और मामले में मार्गदर्शन मांगा गया है।
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इसके बाद 12 दिसंबर 2023 को उप महानिरीक्षक ने महानिरीक्षक (प्रशासन) को सूचित किया कि याचिकाकर्ता ने नियमों के तहत सूचना देने का कर्तव्य पूरा किया है और संबंधित दस्तावेज भी सौंपे हैं। इन दस्तावेजों को आगे की कार्रवाई और अनापत्ति प्रमाण पत्र के लिए कार्यालय भेजा गया। जब इस पर कोई उत्तर नहीं मिला, तो मुनीर ने 8 मार्च 2024 को एक और अभ्यावेदन देकर अपनी पाकिस्तानी पत्नी के साथ विवाह के लिए अनुमति और अनापत्ति प्रमाण पत्र मांगा।
30 अप्रैल 2024 को सीआरपीएफ के महानिदेशक ने प्रमाणित किया कि याचिकाकर्ता ने नियमों के तहत विभाग को उचित रूप से सूचित किया है। उन्होंने यह भी कहा कि नियमों के अनुसार कोई अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने का उल्लेख नहीं है।
इसके बाद, याचिका के अनुसार, पिछले साल 24 मई को मुनीर ने अपने पिता की तबीयत खराब होने के कारण ऑनलाइन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए मेनल से शादी की। यह विवाह भारत और पाकिस्तान दोनों में विधिवत पंजीकृत किया गया था। उन्होंने अक्टूबर और दिसंबर में अपने अभ्यावेदनों के माध्यम से कमांडेंट 72 बीएन और आईजीपी जम्मू को इस विवाह की जानकारी दी थी।
मार्च 2024 में भोपाल की 41वीं बटालियन में स्थानांतरण के बाद उन्होंने वहां के नए कमांडेंट को भी विवाह की जानकारी दी और सीआरपीएफ के महानिदेशक से साक्षात्कार की मांग की। उन्होंने विवाह से संबंधित सभी दस्तावेज भी प्रस्तुत किए। इसके बावजूद, याचिका के अनुसार, उन्हें उस समय बर्खास्त कर दिया गया जब वे घरेलू कारणों से छुट्टी पर थे। याचिका में इसे संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया गया है।
विदेशी नागरिक को शरण देने के आरोप पर मुनीर ने कहा कि उनकी पत्नी 28 फरवरी 2024 तक वीजिट वीजा पर भारत में थीं और उन्होंने 4 मार्च को दीर्घकालिक वीजा के लिए आवेदन किया था, जो अब तक लंबित है। उन्होंने अपने अच्छे सेवा रिकॉर्ड का हवाला भी दिया और कहा कि उनकी बेदाग ईमानदारी को देखते हुए संसद सदस्यों ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री और विदेश मंत्री से मेनल खान को वीजा देने की सिफारिश की थी।
