कांग्रेस के पूर्व नेता और स्वतंत्र भारत के पहले भारतीय गवर्नर-जनरल सी राजगोपालाचारी के परपोते सीआर केसवन बीजेपी में शामिल हो गए हैं। हाल ही में केसवन ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। केसवन ने 23 फरवरी 2023 को कांग्रेस से यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया था कि अब उन मूल्यों के अवशेष भी नहीं बचे हैं जिन्होंने उन्हें दो दशकों से ज्यादा समय तक पार्टी के लिए काम करने के लिए प्रेरित किया।
भारत को विश्वगुरू बनाने में मेरा वही योगदान होगा जो रामसेतु बनने में गिलहरी ने दिया- सीआर केसवन
शनिवार (8 अप्रैल) को भाजपा का दामन थामने के बाद केसवन ने कहा, ” मैं दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी-भाजपा में शामिल करने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं, खासकर उस दिन जब हमारे पीएम तमिलनाडु में हैं। बीजेपी में शामिल होने पर सीआर केसवन ने कहा कि उसी दिशा में काम करूंगा कि भारत 2047 तक विश्वगुरू बन जाए। मेरा वही योगदान रहेगा जो रामसेतु बनने में गिलहरी ने दिया था।
इससे पहले कांग्रेस छोड़ते वक्त उन्होंने कहा था कि वह पार्टी में जारी राजनीति के तरीके से खुश नहीं हैं। उन्होंने कहा था, “एक बार पार्टी छोड़ने के बाद मुझे नहीं लगता कि मुझे कांग्रेस पर कोई टिप्पणी करनी चाहिए। कांग्रेस में जिस तरह की राजनीति हो रही है, उससे मैं सहज नहीं हूं और पार्टी छोड़ना ही सही फैसला है और यही मैंने आज किया।” उन्होंने कहा था, “मैं बीते 22 सालों से कांग्रेस का हिस्सा हूं लेकिन समय के साथ मुझे महसूस हुआ कि कांग्रेस में दृष्टिकोण न रचनात्मक था और न ठोस। जिन मूल्यों के लिए मैंने काम किया, वे बदल गए हैं।”
कांग्रेस को तीन दिन में तीन झटके
सीआर केसवन ने 2001 में कांग्रेस की सदस्यता ली थी। इस दौरान वह राजीव गांधी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ यूथ डेवलेपमेंट के उपाध्यक्ष पद पर भी रहे। कांग्रेस पार्टी को दक्षिण में तीन दिन में तीन झटके लगे हैं। केसवन से पहले गुरुवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी और इसके बाद शुक्रवार को अविभाजित आंध्र प्रदेश के पूर्व और अंतिम सीएम किरण कुमार रेड्डी ने भाजपा का दामन थामा है।
कौन थे सी राजगोपालाचारी?
भारत के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक सी राजगोपालाचारी भारत के पहले गवर्नर-जनरल थे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का नेतृत्व करने के अलावा, उन्होंने मद्रास प्रेसीडेंसी के प्रमुख, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल, भारतीय संघ के गृह मामलों के मंत्री और मद्रास राज्य के मुख्यमंत्री के पद भी संभाले। राजगोपालाचारी भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न प्राप्त करने वाले पहले व्यक्तियों में से एक थे। उन्होंने स्वतंत्र पार्टी भी बनाई।
भारत के पहले गवर्नर-जनरल के रूप में उनका कार्यकाल 21 जून 1948 से 26 जनवरी 1950 तक रहा। विभाजन के समय उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल भी बनाया गया था। सी राजगोपालाचारी ने 10 अप्रैल 1952 को मद्रास के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य भाषा के रूप में पेश करने की उनकी नीति का मद्रास के लोगों ने बहुत विरोध किया था। जिसके बाद राजगोपालाचारी ने 13 अप्रैल, 1954 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफे के बाद उन्होंने लेखन पर ध्यान देना शुरू किया। राजगोपालाचारी ने रामायण का तमिल अनुवाद लिखा, जिसे बाद में चक्रवर्ती थिरुमगन के रूप में प्रकाशित किया गया। इस पुस्तक ने साल 1958 में तमिल भाषा में साहित्य अकादमी पुरस्कार जीता था।