भाकपा नेता और जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार एक बार फिर अपने आलोचकों के निशाने पर आ गए हैं। दरअसल गुरुवार को बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान पर आयोजित हुई एक रैली में कन्हैया कुमार राष्ट्रगान गाते हुए उसे बीच में ही भूल गए और उन्होंने गलत लाइन से राष्ट्रगान पूरा किया। इसे लेकर सोशल मीडिया पर लोग कन्हैया कुमार को जमकर ट्रोल कर रहे हैं।
बता दें कि सीएए-एनपीआर-एनआरसी के खिलाफ बिहार के विभिन्न जिलों में निकाली गई कन्हैया कुमार की “जन गण मन यात्रा” का गुरुवार को पटना के गांधी मैदान पर समापन हो गया। इसी दौरान कन्हैया कुमार राष्ट्रगान गाने में गलती कर बैठे।
गांधी मैदान में आयोजित हुई इस रैली में कई सामाजिक और सांस्कृतिक हस्तियों ने मंच साझा किया। इनमें ‘नर्मदा बचाओ’ आंदोलन की मेधा पाटकर, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पोते तुषार गांधी, पूर्व आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथन और दिवंगत मार्क्सवादी नाटककार और निर्देशक सफदर हाशमी की बहन शबनम हाशमी और कांग्रेस विधायक शकील अहमद खान शामिल हुए।
इस ”संविधान बचाओ, नागरिकता बचाओ” रैली की शुरुआत हाल में दिल्ली में हुए दंगों में मारे गए लोगों की याद में एक मिनट के मौन से हुई। इसके बाद रैली को संबोधित करते हुए कन्हैया ने सत्तारूढ़ भाजपा पर मुसलमानों के खिलाफ हिंदुओं को भड़काने का आरोप लगाते हुए लोगों से “राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाकउल्ला खान की दोस्ती का अनुकरण करके उनके एजेंडे को हराने का संकल्प करने का आह्वान किया।
कन्हैया ने बिहार विधानसभा में एनपीआर और एनआरसी के खिलाफ सर्वसम्मति से पारित किए गए प्रस्ताव पर भी नाखुशी जताई। कन्हैया ने कहा ‘‘सरकार और विपक्ष दोनों खुद को बधाई देने में व्यस्त हैं। मैं अपनी बधाई भी देता हूं। लेकिन उन सभी के लिए जो यहां मौजूद हैं, मैं कहूंगा कि यह आधी जीत है। जब तक एनपीआर की कवायद वापस नहीं ले ली जाती,हम गांधी के सविनय अवज्ञा से सबक हासिल कर अपने आंदोलन को विफल नहीं होने देंगे।
उन्होंने कहा, “ग्रामीणों को अपने संबंधित पंचायत प्रमुखों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहना चाहिए कि जब एनपीआर को मई में निर्धारित किया जाना है, तो किसी भी एनपीआर अधिकारी को उनके अधिकार क्षेत्र में दस्तक देने की अनुमति नहीं है”। कन्हैया ने कहा, ‘‘हमें एक लंबी और कठिन लड़ाई के लिए तैयार होना होगा। हम एक ऐसे शासन के तहत रह रहे हैं, जो डाक्टर कफील अहमद जैसे कर्तव्यनिष्ठ पेशेवरों को सलाखों के पीछे भेज देता है और उसके कार्यों पर सवाल उठाने पर किसी को भी राष्ट्र विरोधी घोषित कर देता है ’’।
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इससे पहले, तुषार गांधी ने अपने संबोधन में सीएए, एनपीआर और एनआरसी की तुलना “महात्मा को मारने वाली तीन गोलियों” से की और जोर देकर कहा कि ये “सभी धार्मिक समुदायों विशेषकर मुसलमानों से संबंधित” गरीबों को नुकसान पहुंचाएंगे। उन्होंने कहा “अगर सरकार गरीबों की परवाह नहीं करती है, तो हमें सत्ता में उन लोगों को बताना होगा – चले जाओ जैसे हमने ब्रिटिश उपनिवेशवादियों के साथ किया था … यह एक लंबी लड़ाई होने जा रही है।
रैली में शामिल हुए पूर्व आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथन ने आरोप लगाया ‘‘सीएए नागरिकता प्रदान करने न कि किसी की नागरिकता लेने का दावा बकवास है । जो भी कानून धर्म के आधार पर समाज के एक वर्ग का पक्ष लेता है, उसे दूसरे सामाजिक तबके को नुकसान पहुंचाने के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है … लोगों का कहना है कि यह सरकार फासीवादी है।

