Lockdown 4.0 Guidelines: 18 मई से लॉकडाउन में काफी रियायत दी गई है। लेकिन इसके साथ कई शर्तें भी लगाई गई हैं। कुछ शर्तें ऐसी भी हैं, जिनका पालन करना व्यावहारिक तौर पर काफी मुश्किल है। साथ ही, कुछ ऐसी शर्तें भी हैं जिनके पीछे का तर्क स्प्ष्ट तौर पर नहीं समझा जा सकता। हालांकि सरकार ने पहले कई ऐसे फैसले लिए हैं, जिन्हें कुछ ही दिन में बदला गया है। शायद अगले दिशानिर्देश में इन शर्तोंं को लेकर भी कुछ ऐसी पहल नजर आए।
पार्क में सुबह-शाम लोगों को घूमने की इजाजत दी गई है। लेकिन, 65 साल से ज्यादा के बुजुर्गों के लिए यह अभी भी प्रतिबंधित है। जानकार मानते हैं कि लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों के लिए डॉक्टर ताजी हवा और व्यायाम को सबसे अच्छा उपचार मानते हैं। इसके बावजूद बुजुर्गों के पार्क में जाने पर पाबंदी जारी है। वे यात्रा कर सकते हैं, सामान खरीद सकते हैं, पर पार्क नहीं जा सकते।
सरकार ने कहा है कि कोरोना से लड़नेे के लिए शारीरिक दूरी का पालन करना है। इसके लिए दो गज (या छह फीट) की दूरी का नारा भी दिया गया है। लेकिन, सरकार ने ऑटो में ड्राइवर के अलावा दो सवारियों के बैठने की इजाजत भी दी हुई है। ट्रेन में सारे बर्थ बुक हो रहे हैं। विमान में भी बीच की सीट खाली नहीं छोड़ने का फैसला लिया है। तीन फीट के ऑटो में छह फीट की दूरी बना कर बैठना कैसे संभव हो सकेगा? सरकार को यह सोचना चाहिए।
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लखनऊ जिला प्रशासन ने आदेश जारी किया है कि लॉकडाउन 4.0 गाइडलाइंस के तहत शॉपिंग कॉम्प्लैक्स में दुकानें तो खुलेंगी, पर बिना एसी चलाए। जबकि, केंद्र सरकार एसी ट्रेन काफी पहले से चला रही है।
फोर्ब्स मार्शल के सह-अध्यक्ष और कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) के पूर्व अध्यक्ष नौशाद फोर्ब्स ने इंडियन एक्सप्रेस के E-XPLAINED वेबिनार में महज चार घंटे का वक्त देकर पहला लॉकडाउन घोषित किए जाने के सरकार के फैसले पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा- पता नहीं क्यों केवल चार घंटे के नोटिस पर सरकार ने लॉकडाउन घोषित कर दिया। इसकी वजह से प्रवासी मजदूरों को भारी परेशानी हुई।
नौशाद ने सरकार द्वारा घोषित पैकेज को भी नाकाफी बताया और सीआईआई के इस सुझाव की वकालत की कि मजदूरों को तीन महीने का वेतन देने के लिए सरकार को उद्यमियों को 4-5 फीसदी ब्याज पर गारंटी के साथ लोन देना चाहिए।