अमेरिकी दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी ऐमज़ॉन और फ्यूचर ग्रुप के बीच विवाद गहराता जा रहा है। इसकी वजह है भारतीय कारोबारी मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज, जिसने हाल में 3.4 अरब अमेरिकी डॉलर में कंपनी को खरीदने की सहमति दी है। ऐमज़ॉन का कहना है कि फ्यूचर ग्रुप ने उसके प्रतिद्वंदी संग ब्रिकी का करार कर एक अनुबंध का उल्लंघन किया है और वो इसे रोकना चाहता है। जेफ बेजोस के ऐमजॉन ने फ्यूचर ग्रुप और इसके संस्थाक किशोर बियानी पर नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। कंपनी ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग को भी लिखा है कि वो मध्यस्थता की कार्रवाई होने तक अधिग्रहण की मंजूरी ना दे।

कंपनी ने बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट में भी कहा कि सिंगापुर मध्यस्थता न्यायाधिकरण का किशोर बियानी की अगुवाई वाली फ्यूचर रिटेल लि. के खिलाफ निर्णय एक वैध आदेश है और उसे फैसले के बारे में सांविधिक निकायों को सूचना देने का अधिकार है। फ्यूचर रिटेल की याचिका पर सुनवाई के दौरान ऐमज़ॉन ने उक्त बातें जस्टिस मुक्त गुप्ता के समक्ष कही। याचिका में आरोप लगाया गया है कि ई-वाणिज्य कंपनी सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण (एसआईएसी) के आदेश के आधार पर रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ 24,713 करोड़ रुपए के सौदे में हस्तक्षेप कर रही है।

अमेजन की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमणियम ने कहा कि फ्यूचर रिटेल की याचिक संदेहपूर्ण है और विचारनीय नहीं है। सुब्रमणियम ने अपनी मंगलवार की दलील को आगे जारी रखते हुए कहा कि फ्यूचर रिटेल लि. (एफआरएल) आपात मध्यस्थता न्यायाधिकरण (ईए) के समक्ष उपस्थित हुई थी और अंतरिम आदेश तबतक नहीं देने का आग्रह किया जब तक फ्यूचर समूह की तरफ से मध्यस्थ की नियुक्ति नहीं हो जाती।

दरअसल मुकेश अंबानी और जेफ बेजोस के बीच भारत में अनुमानित एक खरब डॉलर (करीब 75 खरब रुपए) के रिटेल मार्केट के प्रभुत्व की लड़ाई है। फ्यूचर ग्रुप दुनिया के दो सबसे अमीर लोगों के बीच खींचतान में फंसा पड़ा है। रिलायंस पहले ही देश का सबसे बड़ा रिटेलर है। फ्यूचर ग्रुप की रिटेल, होलसेल, लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग यूनिट्स हासिल होने के बाद रिलायंस की मार्केट में हिस्सेदार को ये काफी बढ़ा देगा और ऐमजॉन जैसे प्रतिद्वंदी पर इसे बढ़त मिल जाएगी। इधर अगर ऐमजॉन सबसे बड़े उपभोक्ता बाजार में अपनी पकड़ बनाना चाहता है तो उसे रिलायंस को ब्लॉक करना बहुत जरुरी है।