योग गुरु रामदेव की Patanjali Ayurveda Ltd के एक इवेंट में शरीक होने को लेकर Indian Medical Association (IMA) ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ.हर्षवधन पर सवाल उठा दिए हैं। भारत में मॉर्डर्न साइंटिफिक सिस्टम ऑफ मेडिसिन्स से जुड़े डॉक्टर्स की इस स्वयंसेवी संस्था ने कहा है कि हेल्थ मिनिस्टर ने उस कार्यक्रम में जाकर डॉक्टरों से संबंधित आचार संहिता का उल्लंघन किया है।

आईएमए पदाधिकारियों के हवाले से अंग्रेजी अखबार ‘Telegraph’ की रिपोर्ट में बताया गया, “मंत्रियों (गडकरी मुख्यातिथि थे, जबकि साथ में स्वास्थ्य मंत्री भी थे) की आड़ में जिस तरह से रामदेव के बैनर को दर्शाया गया और दावा (डब्ल्यूएचओ द्वारा प्रमाणित दवा) किया गया, उससे गलत ही असर पड़ा।” सोमवार को जारी आईएमए के आधिकारिक बयान में बोला गया- स्वास्थ्य मंत्री द्वारा गैर-वैज्ञानिक दवा का गलत और बढ़ाचढ़ाकर पेश किया जाना व डब्ल्यूएचओ की ओर से उसे खारिज करना भारत की जनता के लिए एक ‘तमाचा और बेइज्जती’ है।

बकौल आईएमए राष्ट्रीय अध्यक्ष जॉनरोस ऑस्टिन जयलाल, “हम पूछ रहे हैं, आखिरकार वह वहां गए क्यों?” वहीं, संस्था के महासचिव जयेश लेले ने पूछा- हम कोरोना महामारी के मध्य में हैं…अगर लोग मंत्री के साथ इस कार्यक्रम को टीवी पर देखेंगे और दवा खरीद लेंगे तब?”

दरअसल, 19 फरवरी को नई दिल्ली में रामदेव ने कोरोना के उपचार के लिए कथित दवाई कोरोनिल (पहले इम्युनिटी बूस्टर थी) को लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। उन्होंने व उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण ने उस दौरान दवा से जुड़े कुछ रिसर्च पेपर्स भी जारी किए थे। दावा किया था कि यह 158 मुल्कों में जाने के लिए तैयार है। इस दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन के साथ केंद्रीय सड़क एवं परिहन मंत्री नितिन गडकरी मौजूद थे।

कोरोनिल को लेकर विवाद तब गहराया, जब रामदेव ने अपनी पीसी के दौरान दावा किया था कि यह अब CoPP-WHO GMP प्रमाणित है, जबकि WHO ने ट्वीट कर साफ कर दिया था कि उसने किसी भी पारंपरिक दवा को प्रमाणित नहीं किया है और न ही समीक्षा की है। बता दें कि सीओपीपी का मतलब सर्टिफिकेट ऑफ फॉर्मासुटिकल प्रोडक्ट होता है।

जय लाल और लेले ने कहा कि बैनर (पतंजलि) की ओर से जिस तरह से ‘डब्ल्यूएचओ’ और ‘जीएमपी’ का नाम लिया गया, उससे तो यही लगता है कि गलत इंप्रेशन पैदा करने की कोशिश की गई कि उत्पाद डब्ल्यूएचओ से प्रमाणित है। आईएमए को देश में डॉक्टरों की सबसे बड़ी संस्था माना जाता है। मौजूदा समय में देशभर में इससे साढ़े तीन से अधिक डॉक्टर सदस्य के तौर पर जुड़े हैं।