राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में तबलीगी जमात के निजामुद्दीन मरकज में शामिल होने और वहां से कोरोना वायरस संक्रमण के विस्फोट के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय और टीवी चैनलों ने जमातियों को न सिर्फ आड़े हाथों लिया बल्कि कोरोना के फैलने का जिम्मेदार भी ठहराया। मीडिया रिपोर्ट्स में ये दावा भी किया गया कि दिल्ली पुलिस ने रुढ़िवादी मुस्लिम समुदाय के नेता और फरार चल रहे मौलाना साद को पकड़ने के लिए बड़ा अभियान चलाया है। तबलीगी जमात से 36 सवाल पूछे गए और मौलाना साद की तलाश में यूपी के शामली स्थित उसके फार्महाउस पर दिल्ली पुलिस की टीम ने छापे भी मारे। लेकिन उसे हिरासत में लेने का कोई ठोस प्रयास नहीं किया गया।

इंडियन एक्सप्रेस में लिखे अपने कॉलम ‘इनसाइड ट्रैक’ में कूमी कपूर (Coomi Kapoor) ने बताया है कि मौलाना साद के संगठन के खिलाफ दर्ज किए गए मामलों को अदालत में गैर-संज्ञेय अपराध के रूप में भी आजमाया जा सकता है, क्योंकि उस पर कड़ी धाराएं नहीं लगाई गई हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार का एक हाथ दूसरे के साथ मिलकर उल्टी दिशा और उद्देश्यों के लिए काम कर रहा है। उन्होंने लिखा है कि सत्ता प्रतिष्ठान का एक वर्ग मानता है कि तब्लीगी जमात भारत के लिए एक बड़ी संपत्ति है।

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इस संप्रदाय, जो पैगंबर के समय से चली आ रही इस्लाम के शुद्धतम रूप का प्रचार करता है, ने कभी भी आतंकवाद या जिहाद के रास्ते की वकालत नहीं की है, और न ही कभी देश की राजनीति में कोई हस्तक्षेप कभी किया है। माना जाता है कि दुनिया के करीब 170 देशों में जमात के अनुयायी हैं और कई इस्लामिक देशों में इसका अच्छा सम्मान है। यह भी माना जाता है कि मौलाना साद के खिलाफ कार्रवाई करने से पाकिस्तान में एक छोटे छिछोरे गुट को मजबूती मिलेगी।

बता दें कि दिल्ली के अलग-अलग क्वारंटीन सेंटर में फिलहाल 916 जमाती हैं। इन सभी की क्वारंटीन अवधि पूरी हो चुकी है। दिल्ली पुलिस की क्राइन ब्रांच ने वीजा नियमों में गड़बड़ियों को लेकर इनमें से 850 लोगों से पूछताछ कर चुकी है। इनमें से ज्यादातर जमाती टूरिस्ट वीजा पर आए थे लेकिन धार्मिक आयोजन में शामिल हुए थे। यह वीजा नियमों का उल्लंघन है। मध्य मार्च में निजामुद्दीन स्थित मरकज में 67 देशों से आए करीब दो हजार से ज्यादा लोगों ने शिरकत की थी। इनमें से कई कोरोना पॉजिटिव मिले थे। इनसे दिल्ली समेत देशभर में संक्रमण फैला था।