Coronavirus Lockdown: कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन के बीच शहरी क्षेत्रों में रोजगार का संकट बढ़ गया है जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में मई के आखिरी सप्ताह में कुछ सुधार देखने को मिला है। रिसर्च ग्रुप सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) द्वारा जारी डेटा से पता चलता है कि देश में 31 मई को समाप्त सप्ताह में बेरोजगारी दर पहले सप्ताह के 24.34 फीसदी से घटकर 20.19 फीसदी हो गई थी। जबकि शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 22.72 फीसदी से बढ़कर 25.14 फीसदी हो गई। इस बीच ये दर ग्रामीण क्षेत्रों में 25.09 फीसदी से घटकर 17.92 फीसदी हो गई।

CMIE डेटा के मुताबिक 25 मार्च को राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन शुरू होने के बाद से बेरोजगारी दर सबसे कम है। 22 मार्च को समाप्त सप्ताह में 8.41 फीसदी की संचयी बेरोजगारी दर दर्ज की गई थी। जो शहरी क्षेत्रों में 8.66 फीसदी जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 8.29 फीसदी थी। हालांकि अगले सप्ताह देशव्यापी बेरोजगारी दर बढ़कर 23.81 फीसदी हो गई। शहरी क्षेत्रों में ये 30.01 जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 20.99 फीसदी रही। तब से प्रत्येक सप्ताह के लिए बेरोजगारी दर 21 से 25 फीसदी की बीच बनी हुई है।

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पिछले एक महीने में किए गए सभी सर्वेक्षणों ने भारत में एक महत्वपूर्ण बेरोजगारी की स्थिति की ओर इशारा किया है। इम्पैक्ट एंड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट (IMPRI) द्वारा किए गए सर्वे में 7 मई से 17 मई तक 50 से अधिक शहरों के 3,121 परिवारों का साक्षात्कार लिया गया। इसके डायरेक्टर अर्जुन कुमार ने द टेलीग्राफ को बताया कि शोध में पता चला कि 10 में से 8 दिहाड़ी मजदूर और 10 में से 6 सैलरी पाने वाले कर्मचारियों बेरोजगार थे या फिर लॉकडाउन में बिजनेस और निर्माण गतिविधियां बंद होने के कारण अपनी नौकरी को चुके थे। कुमार ने कहा कि 50 फीसदी से अधिक उत्तरदाता काम खोने के खोने के चलते चिंतित थे। उन्हें चिंता की थी परिवार का गुजारा कैसे होगा।

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में सेंटर फॉर इनफॉर्मल सेक्टर एंड लेबर स्टडीज के चेयरपर्सन प्रोफेसर संतोष मल्होत्रा ने मई के आखिरी सप्ताह में बुवाई की गतिविधियों और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) के तहत रोजगार में बढ़ोतरी को बेरोजगारी दर में गिरावट का कारण माना है। मल्होत्रा ​​ने बताया कि खरीफ सीजन के लिए बुवाई कुछ दिनों में खत्म हो जाएगी।

उन्होंने कहा कि जैसा कि मैं देख रहा हूं कि खरीफ की फसल के लिए बुवाई मानसून से पहले की जा रही है। यह ग्रामीण क्षेत्र में अस्थाई अवधि के लिए रोजगार के लिए बहुत अधिक गुंजाइश प्रदान करता है। बता दें कि अप्रैल 2019 तक 1.55 करोड़ परिवारों ने मनरेगा के तहत काम किया था। मनरेगा एक ऐसी योजना है जो एक वर्ष में प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 100 दिनों तक रोजगार प्रदान करकती है। मई 2019 तक 1.94 करोड़ परिवारों ने मनरेगा के तहत काम किया था। मई 2020 में ये आंकड़ा बढ़कर 2.39 करोड़ पहुंच गया।